tag:blogger.com,1999:blog-7500169753572291342024-03-13T11:14:59.314-07:00Kalpanik Kahaaniyan - Hindi Storiesa collection of stories, hindi stories, hindi stories for kids, hindi stories kids, hindi stories of kids, hindi stories moral, hindi stories love, hindi stories motivational, hindi stories short, hindi stories book, hindi love stories movies, hindi stories movies, hindi stories for reading, hindi stories moral values, stories in hindi, stories stories, hindi stories, stories of kids, hindi stories with morals, hindi stories site in India, hindi written stories , stories that inspireProgrramershttp://www.blogger.com/profile/11092840251425263196noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-750016975357229134.post-66297534681054911472020-05-06T12:08:00.000-07:002020-05-12T08:56:50.228-07:00 Stories in Hindi : Paschatap ke Aansu (पश्चाताप के आँसु) - लघु कथा 2020<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<h1 style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; color: #2c3e50; font-family: Verdana, sans-serif; margin: 0px 0px 15px; outline: 0px; padding: 0px; position: relative; text-align: center; vertical-align: baseline;">
पश्चाताप के आँसु</h1>
<h1 style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; color: #2c3e50; font-family: Verdana, sans-serif; margin: 0px 0px 15px; outline: 0px; padding: 0px; position: relative; text-align: center; vertical-align: baseline;">
Paschatap ke Aansu</h1>
<h2 style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; color: #2c3e50; font-family: Verdana, sans-serif; margin: 0px 0px 15px; outline: 0px; padding: 0px; position: relative; text-align: center; vertical-align: baseline;">
<div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; color: black; font-family: Verdana, sans-serif; font-size: 17px; outline: 0px; padding: 0px; vertical-align: baseline;">
श्रेणी (Category)<span style="font-weight: 400;">: लघु कथा</span><br />
लेखक (Author)<span style="font-weight: 400;"> – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</span></div>
<div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; color: black; font-family: Verdana, sans-serif; font-size: 17px; font-weight: 400; outline: 0px; padding: 0px; vertical-align: baseline;">
<br /></div>
<div style="background-attachment: initial; background-clip: initial; background-image: initial; background-origin: initial; background-position: 0px 0px; background-repeat: initial; background-size: initial; border: 0px; color: black; font-family: Verdana, sans-serif; font-size: 17px; font-weight: 400; outline: 0px; padding: 0px; vertical-align: baseline;">
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-0iIiBndM3es/XrMI_66Vq6I/AAAAAAAABZ4/wy0ysFLRUpk5LVeH9j01dpipNVxs_5BTQCLcBGAsYHQ/s1600/pashchataap-ke-aansu1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img alt="Crying Girl/ Woman Images, Weeping Girl/Woman Images, Crying woman in Dark Background" border="0" data-original-height="1000" data-original-width="1600" height="400" src="https://1.bp.blogspot.com/-0iIiBndM3es/XrMI_66Vq6I/AAAAAAAABZ4/wy0ysFLRUpk5LVeH9j01dpipNVxs_5BTQCLcBGAsYHQ/s640/pashchataap-ke-aansu1.jpg" title="Pashchataap Ke Aansu (पश्चाताप के आँसु) - लघु कथा 2020" width="640" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">Pashchataap Ke Aansu (पश्चाताप के आँसु) - लघु कथा 2020</td></tr>
</tbody></table>
<br /></div>
</h2>
<h2 style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; color: #2c3e50; font-family: Verdana, sans-serif; margin: 0px 0px 15px; outline: 0px; padding: 0px; position: relative; text-align: center; vertical-align: baseline;">
अस्वीकरण</h2>
<h2 style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; color: #2c3e50; font-family: Verdana, sans-serif; margin: 0px 0px 15px; outline: 0px; padding: 0px; position: relative; text-align: center; vertical-align: baseline;">
<u style="background: 0px 0px; border: 0px; outline: 0px; padding: 0px; vertical-align: baseline;">(Disclaimer)</u></h2>
<div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; font-family: Verdana, sans-serif; font-size: 17px; outline: 0px; padding: 0px; text-align: center; vertical-align: baseline;">
<br /></div>
<div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; font-family: Verdana, sans-serif; font-size: 17px; outline: 0px; padding: 0px; text-align: center; vertical-align: baseline;">
इस कहानि के सभी पात्र और उनके नाम और घटनाएं काल्पनिक है और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति या घटना से कोई भी संबंध नहीं हैं। यह कहानि किसी भी व्यक्ति के नीजि जिन्दगी से प्रेरित नहीं है। यह पुरी तरह से एक काल्पनिक रचना है। यदि किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से समानता पाई जाती है तो ये मात्र एक संयोग होगा।</div>
<div style="background: 0px 0px rgb(255, 255, 255); border: 0px; font-family: Verdana, sans-serif; font-size: 17px; outline: 0px; padding: 0px; text-align: center; vertical-align: baseline;">
<hr />
<br /></div>
<br />
तरुण अपने दोस्त अभीषेक की शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली से बिहार आया हुआ था, शादी एक मंदिर में थी जहां रहने की व्यवस्था भी थी और यह विवाह स्थल वर और वधु दोनो के अपने अपने शहर से बराबर की दुरी पर था । वर और वधु पक्ष को मिला कुल 350 लोगो का जमावडा था ।<br />
<br />
पुरे विश्व में महामारी की स्थिति बनी हुई थी जिसका प्रभाव भारत पर भी था, पर शादी की तारिख पहले से तय होने के कारण बगैर किसी बदलाव के वर-वधु पक्ष के द्वारा कार्यक्रम को तय तारिख पर समपन्न करने का निर्णय ले लिया गया । इसका कारण यह भी था की लोगों को इस महामारी के प्रकोप का अंदाज़ा नहीं था । स्थिति कितनी बिगड़ सकती है लोगों को इसका अंदाज़ा बिल्कुल भी नहीं था ।<br />
<br />
शादी एक दिन बाद थी, तो सभी लोग पास के बाज़ार में अपने-अपने जरुरत के सामान खरीदने लिए जाने लगे और वहीं लोगों को पता चला की अगले दिन सम्पुर्ण भारत को एक दिन के लिए बंद किया जा रहा है जिसमें सभी लोग अपने अपने घरों पर ही रुकेंगे । इस खबर को सुनने के बावजुद भी लोगों को लगा की शादी में जितने लोगों को आना था वो तो मौजुद ही हैं तो विवाह संपन्न करने बाद जब दुसरे दिन भारत पुन: खुलेगा तो स्थिति को देखते हुए वधु-विदाई करके सभी अपने अपने घरों को लौट जाएंगे ।<br />
<br />
सभी लोग मंदिर के बड़े से खुले प्रांगण में अपना समय व्यतित कर रहे थे और तरुण अपने दोस्त अभीषेक से बातें कर रहा था । काफि समय तक बात करने के बाद अभीषेक ने तरुण से कहा - तरुण तुमने काफि लंबा सफर तय किया है इसलिये तुम फ्रेश होकर कुछ खा लो और थोड़ा आराम कर लो ।<br />
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अभीषेक तरुण को उसके कमरे का दिशा बता देता है और तरुण अपने कमरे की ओर जाने लगता है तभी कोमल नाम की एक महिला उसे आवाज़ देती है, तरुण और कोमल एक दुसरे को ज़ानते थे । वो दोनो काफि देर तक बातें करते है और फिर तरुण अपने कमरे की बढ़ जाता है और तभी कोमल के पति जिसका नाम प्रतिक है वो आकर कोमल से बात करने लगते है -<br />
<br />
<b>प्रतिक </b>- कौन था वो लड़का जिससे तुम अभी बात कर रही थी ?<br />
<b>कोमल (प्रतिक से मज़ाकिये लहज़े में)</b> - क्यों तुम्हें जलन हो रही है ?<br />
<b>प्रतिक </b>- मुझे क्यों जलन होगी भला, बस मै तो ऐसे पुछ रहा था... क्योंकि मैने उसे कभी देखा नहीं ।<br />
<b>कोमल </b>- उसका नाम तरुण है वो संध्य़ा का पुराना बॉयफ्रेंड है ।<br />
<b>प्रतिक </b>- अब ये संध्या कौन है ?<br />
<b>कोमल </b>- तुम सारे मर्द ना डफ़र होते हो, अभीषेक़ की होने वाले दुल्हन की बड़ी बहन है संध्या ।<br />
<b>प्रतिक </b>- ओ हो ... ऐसी बात है ! तो अब तरुण क्या चाहता है ?<br />
<b>कोमल </b>- तरुण एक बार संध्या से मिलना चाहता है ।<br />
<b>प्रतिक </b>- क्यों ?<br />
<b>कोमल </b>- बात ये कि तरुण और संध्या एक दुसरे को चाहते थे, तरुण संध्या से शादी करना चहता था पर उसकी कोई नौकरी नहीं थी और वह किराये के मकान में अपने माता पिता के साथ रहता था तो संध्या को इस बात से परेशानी थी । संध्या के माता पिता ने उसकी शादी एक इंजीनियर से तय कर दी और संध्या ने शादी के लिये हां भी कर दी थी और तरुण से अपना रिश्ता तोड़ लिया पर उसने एक प्रॉमिस किया की वो उसे हमेशा याद रखेगी, कभी भी भुलेगी नहीं । इसलिये तरुण एक बार ऐसे ही संध्या से मिलना चाहता है ।<br />
इतना कह कर कोमल वहां से चली जाती है ।<br />
<br />
तरुण कई बार संध्या से मिलने की कोशिश करता रहा पर संध्या तरुण को नज़रअंदाज़ करती रही । तरुण ने सोचा की संध्या अब किसी और की पत्नि है और उसका यह व्यवहार सहज़ और जायज़ भी है । तरुण संध्या से बात करने की कोशिश कर रहा है इसकी भनक संध्या की माँ को लग ज़ाती है और वह तरुण और संध्या के पुराने संबंधों के बारे में जानती है और इसलिये वह तरुण से अकेले में मिल कर उसे काफि डाँट लगाती है और बहुत भला बुरा कहती है ।<br />
<br />
अगले दिन शादी बड़ी ही धुम धाम से सम्पन्न हुई और उसके अगले दिन सभी विदाई के लिए तैयार हो ही रहे होते हैं कि वहां के स्थानिय निवासियों के बीच सांप्रदाइक दंगा हो जाता है और अनन-फानन में उस पुरे स्थान पर स्थानिय प्रशासन के द्वारा कर्फ्यु लगा दिया जाता है और वर-वधु दोन पक्षों के 350 लोग वहां फंस जाते है । अगले दो दिनों के बाद कर्फ्यु हटती भी नहीं है कि पुरे भारत में महामारी के वजह से एक महिने का लॉकडाउन घोषित कर दिया जाता है जिससे सभी लोग जहां थे वहीं फंसे रह जाते हैं ।<br />
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इसके बाद एक दो दिन तो जैसे तैसे करके लोग अपने खर्चे पर काट लेते है पर असली मुसिबत तो तब शुरु है जब सभी के पास पैसे और खाने पीने के चीज़ें खत्म हो जाती है । लोगों में अफरा तफरी मचने लगती है और जिसका सारा भार संध्या के पिता पर आ जाता है ।<br />
<br />
संध्या के पिता के पास भी पैसे खत्म हो जाते है वह संध्या के पति से मदद करने के लिये कहते है पर संध्या के पति सीधे इंकार कर देते है और यह दलील देते हैं कि यह जिम्मेवारी उनकी नहीं है । अभीषेक के पिता भी संध्या के पिता पर दवाब बनाने लगते है और धीरे धीरे सभी लोग लकीर के फकीर की तरह संध्या के पिता पर खाने-पीने के खर्चे का दवाब बनाने लगते है । देखते ही देखते शादी में उपस्थित अपने सम्बन्धी पराये लोगो की तरह व्य्वहार करने लगते है, एक दिन तो तो पार हो जाता है पर अगले दिन दवाब धमकियों और तिरस्कार में बदलने लगते है जिससे संध्या के पिता बहुत ही आहत हो जाते है । संध्या के पुरे परिवार पर मानों बिजली सी गिर पड़ी हो । इतने सारे लोगों के लिये राशन-पानी का खर्च वो भी महिने भर के लिये, कोई करें तो करें भी क्या? यह किसी को समझ में नही आ रहा था ।<br />
<br />
किसी भी तरह दो तीन दिन पार हो जाते है फिर संध्या के पिता के पास शादी को सम्पन्न कराने वाले पंडित जी आते है और कहते है कि अब आप लोगों की खाने-पीने के खर्चे की चिंता छोड़ दें क्योकि मंदिर के ट्रस्टी नें यहां पर फंसे सभी लोगों के लिये खाने पिने और सभी ज़रुरी सामान को उपल्बध कराने का अश्वाशन दिया है । संध्या के पिता कहते है कि यह तो बहुत अच्छी खबर है सब परम पिता परमेश्वर की कृपा है । संध्या के पिता मंदिर के ट्रस्टी से मिल कर उन्हें धन्यावाद देने की इच्छा ज़ाहिर करते है तो पंडित जी कहते है कि मंदिर के ट्रस्टी भी अभी खुद कहीं और फंसे है उनसे मिलना संभव नहीं है ।<br />
<br />
सभी लोगों के पास यह खबर पहुंचती है और जिससे सभी लोग उत्साहित और खुश हो जाते है । एक से दो दिनों के भीतर ही गाडियों में भर कर 350 लोंगों के राशन और अन्य खाने पीने की वस्तुएं आ जाती हैं, अब सभी लोगों में सौहार्द्र बढने लगता है और दिन आसानी से पार होने लगते है । पर तरुण, ... उसका ध्यान केवल संध्या पर होता है, पर वह संध्या की मां से मिली फटकार की वजह से उससे मिलने की कोशिश नहीं करता और हमेशा संध्या से दुरी बना कर रखता है। कभी-कभी तरुण का सामना संध्या से हो जाता है पर संध्या एन वक्त पर ताने मार कर उसका अपमान करती रहती है और तरुण मुस्कुरा कर संध्या के तानों को नज़र-अंदाज़ करता रहता है ।<br />
देखते ही देखते लॉकडाउन की अवधि समाप्त हो जाती है सभी लोगों के अपने अपने घरों को लौटने का समय आ जाता है। जाने से पहले तरुण संध्य़ा से मिलने की आखरी कोशिश करता है और कोमल के जरिये एक कागज टुकड़े में अपने फोन नम्बर लिख कर उसे कॉल करने को कहता है । कोमल वह नम्बर संध्या को दे देती है और कॉल करने को कहती है पर संध्या उस कागज़ टुकड़े को फाड़ कर फेंक देती है और कहती है कि तरुण मेर गुज़रा हुआ वक्त था और उसको याद रखने की अब कोई वज़ह नहीं है ।<br />
<br />
यह बात कोमल तरुण को जाकर बताती है, तरुण दुखी हो जाता है और संध्या को जिस मोबाईल का नम्बर देता है उसे तोड़ कर फेंक देता है और कोमल से कहता है मुझ्से वादा करो की मेरा कोई भी कॉंटेक्ट नम्बर कभी भी संध्या को नहीं दोगी। इतना कह कर तरुण वहां से चला ज़ाता है ।<br />
<br />
छ: महिने बीत जाते है संम्पुर्ण देश में महामारी भी खत्म हो जाती है, संध्या अपने माईके पर ही रह रही होती है । सभी एक साथ टी0वी0 पर न्युज़ देख रहे होते है जहां हर ओर भारत के प्रधानमंत्री के तारिफें ही हो रही होती है । तभी घर पर शादी को सम्पन्न कराने वाले पंडित जी का अगमन होता है और सभी पंडित जी को आदर पुर्वक बिठाते हैं । तभी संध्या की माँ बातों बातों में तरुण का जिक्र करती है और उसके बारे में काफि भला बुरा कहती है ।<br />
<br />
संध्या की माँ के मुख से तरुण की बुराई सुनकर पंडित जी को क्रोध आ जाता है और वह संध्या की माँ से कहते हैं कि किसी के बारे में बीना जाने ही हमें अपने मन कोई विचार गढने नहीं चाहिये, मुझे यह तो नहीं पता कि आप तरुण से इतनी नफरत क्यों करती है पर मैं इतना तो जानता ही हुँ कि अभी आप बिल्कुल गलत कह रहीं है।<br />
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संध्या की माँ को आश्चर्य होता है कि आखिर पंडित जी को हुआ क्या है, वह इतने गुस्से में क्यों है और तरुण को कैसे जानते है ? वह पंडित जी से उनके गुस्से का कारण पुछती है तो पंडित जी बताते है कि जिस इंसान के बारे में आप इतने जहर उगल रहीं हैं असल में आपको उसकी पुजा करनी चाहिये, उसने मुझसे वचन लिया था कि मैं आप सब को इस बारे में कभी भी कुछ भी न बताउं पर उसके बारे में आपकी ऐसी धारना मुझे अपना वचन तोड़ने पर विवश कर रही ।<br />
<br />
पंडित जी संध्या की माँ को बताते हैं कि मंदिर में जब संध्या के पिता पर सभी लोगों के खाने -पीने का खर्च उठाने का दवाब बना रहे थे तो तरुण ने मंदिर को अपने कमाई के जमा पैसे दान में दे दिये और तब जाकर मंदिर ने सभी लोगों का खर्च उठाया। इस बात को तरुण किसी पर ज़ाहिर होने देना नही चाहता था पर आपके कठोर शब्दों के कारण मुझे आपको यह सब बताना पड़ा, बस मैं और उसके बारे में ऐसे कठोर शब्द नहीं सुन सकता जिसने मेरी एक महिने तक भुख-प्यास मिटाई हो । ज़रा सोचिये आज के ज़माने में कोई अपना अपने के काम नहीं आता पर उसने अपनी ज़िंदगी भर की कमाई को ही आप सभी के उपर खर्च कर दिया । हो सके तो संध्य़ा के पिता को यह बात मत बताना नहीं तो वह खुद को तरुण के एहसान तले दबा हुआ महसुस करेंगें ।<br />
<br />
पंडित जी की बातों को सुनने के बाद संध्या को अफसोस होता है कि जहां वो और उसका पति अपने पिता की सहायता कर नहीं सके वहां तरुण नें उसकी मदद की जबकि बदले में उसने उसका सिर्फ और सिर्फ तिरस्कार ही किया था । संध्या तो पहले ही उसके नम्बर वाले कागज़ के टुकड़े को फाड़ कर फेंक चुकी थी उसने यह सोच कर कोमल को फोन लगाया कि कोमल उसका नम्बर देगी पर कोमल ने भी उसका नम्बर देने से मना कर दिया क्योंकि उसने तरुण से वादा किया था कि वो कभी भी उसका फोन नम्बर संध्या को नही देगी ।<br />
<br />
संध्या ने एक बार तरुण से कहा था वह उसे हमेशा याद रखेगी, पर वह उसे गुज़रे हुये वक्त की तरह भुला चुकी थी क्योंकि पहले वह तरुण के प्रेम के कोमल छाँव में थी, पर अब वास्तव में उसका तरुण को भुला देना असंभव हो गया था क्योंकि अब वह तरुण के एहसान के बोझ के तले दब गयी थी ।<br />
<br />
संध्या के आँखों से पश्चाताप के आँसु तो निकलते है पर इस पुरी दुनिया में उन आँसुओं की किमत केवल तरुण ही समझ सकता था उसके बगैर वो महज़ आँसु ही थे जिनका कोई मोल नहीं था ।<br />
<br />
समाप्त ।<br />
<br />
आपको यह कहानि कैसी लगी हमें कमेंट मे लिख कर जरुर बताएं, ताकि हम और भी प्रेरणादायक कहानियां आपके समक्ष लाते रहें ।<br />
धन्यवाद । </div>
Progrramershttp://www.blogger.com/profile/11092840251425263196noreply@blogger.com4Dhanbad, Jharkhand, India23.7956531 86.4303858999999923.6794281 86.269024399999992 23.9118781 86.591747399999988tag:blogger.com,1999:blog-750016975357229134.post-67166371714118323382019-10-17T12:12:00.002-07:002019-10-17T20:17:24.778-07:00Stories in Hindi - Amrit Dhara : A bloody love tale Part-1<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: center;">
</h2>
<h1 style="text-align: center;">
<u>अमृत-धारा</u></h1>
<h1 style="text-align: center;">
Amrit Dhara : A bloody love tale</h1>
<div style="text-align: center;">
वर्ग (Category) – हिन्दी, प्रेम कथा, रहस्य-रोमांच (Love Story in Hindi, Thriller Story)<br />
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-UAnKNmlfasc/XXJfD66Bh0I/AAAAAAAABEs/359Gr3kWRpQ9n0PAFUQBrXVn_-7__igPgCLcBGAs/s1600/amrit-dhara-a-bloody-love-tale.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img alt="Amrit-Dhara : A bloody love tale, stories, stories stories, stories about love, stories love, stories in hindi, stories motivational, stories that inspire, stories good, stories about life" border="0" data-original-height="1000" data-original-width="1600" height="400" src="https://1.bp.blogspot.com/-UAnKNmlfasc/XXJfD66Bh0I/AAAAAAAABEs/359Gr3kWRpQ9n0PAFUQBrXVn_-7__igPgCLcBGAs/s640/amrit-dhara-a-bloody-love-tale.jpg" title="Amrit-Dhara : A bloody love tale" width="640" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">Amrit-Dhara : A bloody love tale</td></tr>
</tbody></table>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<hr />
<div style="text-align: center;">
<strong>इस काहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं इनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है । यदि किसी प्रकार की कोई भी समानता पाई जाती है तो यह मात्र एक संयोग होगा ।</strong></div>
<hr />
जब हमारी आँखों से मासुमियत का चश्मा उतरता है तब जाकर हमें दुनिया के असली रंग का पता तब चलता है वरना हम सभी को खुद की तरह मासुम समझ लेते है पर वास्तव में ऐसा होता नहीं है ।<br />
<br />
यह कहानी अमृत नाम के एक लड़के और धारा नाम की एक लड़की है। दोनो का बचपन साथ साथ बीत रहा होता है, पर एक दिन एक भयंकर आंधी आती है जिसकी क्रुर थपेड़े उन दोनो की जिंदगी को तहस नहस कर देती है लेकिन ये जो जिंदगी है उसे भले ही कोई रास्ता दिखाये या नहीं, वो अपना रास्ता खुद ही बना लेती है, पर दो बातें हैं, पहली की यह तय नहीं होता कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा गलत और दुसरी बात यह की कौन तय करेगा कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा गलत ?<br />
<br />
ठंडी दोपहरी की भीनी सी धुप जो तन को जलाने के बजाये गुनगुने पानी से स्नान करने जैसा अनुभव देती है, उसमें एक बेहद प्यारी सी मुस्कान लिये नन्हा सा अमृत एक खुबसुरत फुल से आकर्षित हो जाता है जो काँटों से भरे एक पौधे पर लगा था, वो उस फुल को तोड़ना चाहता है पर उसके हाथ वहां उस फुल तक नहीं पहुंच पाते और वह उस फुल को तोड़ नहीं पाता । चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है और उपर इंद्रधुणुषी रंगों से सना नीला आसमान, एक मनमोहक नज़ारा ।<br />
<br />
अमृत अपनी मां को आवाज लगाता है -
<strong>अमृत </strong>- माँ ... माँ...मुझे वो फुल चाहिये...यहाँ आओ ना माँ ... माँ...मुझे वो फुल चाहिये ।<br />
<strong>अमृत की माँ</strong> उसके पास आती है और फुल की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए अमृत से पुछती है - यह फुल तो बेहद खुबसुरत है पर तुम इस फुल का क्या करोगे?<br />
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अमृत दुसरी ओर इशारा करते हुये कहता है - मैं यह फुल उसे दुंगा ।<br />
अमृत की माँ (उसके इशारे की दिशा में देखती है और कहती है) - ओ हो तो यह धारा के लिये है !<br />
धारा बेहद प्यारी सी लड़की और अमृत के बचपन की दोस्त जो पास के एक पेड़ से बंधे एक झुले पर झुल रही है।<br />
अमृत की माँ उस फुल को तोड़ने के लिए आगे बढ़ती और जैसे ही फुल को अपने हाथों से पक़ड़ती है तो सारे नज़ारे बदलने लगते है, सारे पेड़ और घास मुर्झाने लगते है और देखते ही देखते हरियाली से भरे नज़ारे आँखों को चौंधिया देने वाले पीली सी तेज रोशनी में बदलने लगती है और इंद्रधुणुषी रंगों से सना नीला आसमान पुरी तरह खुनी लाल से रंग जाता है अमृत यह देख कर डरने लगता है उसे समझ में नहीं आता की यहाँ क्या हो रहा है, उसकी धड़कन तेज़ होने लगती है तभी अमृत की मां की पुकार सुनाई देती है - अमृत...अमृत... बेटा मुझे बचा लो...तुम नहीं बचाओगे तो कौन बचायेगा मुझे ?<br />
<br />
अमृत अपनी माँ की ओर देखता है तो पाता है की वह अपनी मां से दुर होता जारहा है, उसके सामने एक भयानक दृष्य होता है जो उसे दहशत से भर देता है । वह देखता की उसकी की माँ जिस पौधे से फुल तोड़ने वाली होती वह पौधा एक विकराल रुप धारण कर लेता और उसकी माँ को अपनी गिरफ्त में लेकर जकड़ता ही चला जाता है उस पौधे के बड़े बड़े कांटे उसकी माँ के शरीर के हर हिस्से में धँसते जा रहे थे ।<br />
<br />
अमृत अपनी माँ को बचाने के लिए आगे बढ़ता है तो दुसरी तरफ से चींखने की आवाज सुनाई देती है जो धारा की होती है, अमृत धारा की तरफ देखता है तो पाता है कि धारा की सिर्फ काली परछाई ही बची है जो झुले पर झुल रही है और उसका शरीर दिख नही रहा है । अमृत बेबस सा महसुस करने लगता है और उसकी धड़कन और तेज़ होने लगती है तभी उसे गाड़ी की बेहद तेज़ हॉर्न खुनाई देती है और वह अपने दोनो हाथों से अपने कानों को ढक लेता और अपनी आँखों को भी बंद कर लेता है और अचानक अमृत की आँखे खुलती है तो वह खुद को एक चार पहिये वाहन के आगे की सीट पर बैठा पाता है, उसकी सांसे काफि तेज़ चल रही होती है, वह जैसे ही अपने दाहिने ओर मुड़ता है तो एक और शख्स को गाड़ी की ड्राईविंग सीट पर बैठा देखता है ।<br />
उस शख्स का नाम किंडर है । किंडर अमृत की हालत देख कर पुछता है -<br />
<br />
<strong>किंडर </strong>: तुम ठीक तो हो ?<br />
<strong>अमृत </strong>(हाँफते हुए): हाँ ...मैं ठीक हुँ बस थोड़ी देर के लिये आँख लग गयी थी ।<br />
<br />
किंडर (पानी की बोतल को अमृत की तरफ बढाते हुए): सांस लो ... आराम से और ये लो थोड़ा सा पानी पी लो तुम्हें बेहतर महसुस होगा ।<br />
अमृत (हाँफते हुए ): शुक्रिया ...<br />
<strong>किंडर </strong>: तुमने फिर वही भयानक सपना देखा न ?<br />
<strong>अमृत </strong>: हां ...<br />
<br />
थोड़ी देर के लिये दोनो शांत हो जाते है, चारो तरफ सान्नाट पसरा होता है और किंडर के अल्फ़ाज़ फिर से सन्नाटे को तोड़ते हैं<br />
<strong>किंडर </strong>: अमृत तुम्हें अपने बीते हुये कल को भुलना...<br />
<strong>अमृत </strong>(किंडर को बीच में टोकते हुए) : मैं अपने बीते हुये कल को नहीं भुल सकता हुँ ...यह सपना महज़ एक सपना नहीं एक भयानक हकिकत है जो मेरे अतीत से जुड़ा है और इसी की वजह से मैं आज यहाँ रात के अंधेरे में अपने हाथों में ऑटोमेटीक मशीन गन से साथ इस धने बीयाबान जंगल के बीच खड़ा हुँ और तुम कहते हो मैं अपना अतीत भुला दुँ ?<br />
<strong>किंडर </strong>: मैं समझ सकता हुँ ... ये आसान नहीं है और फिर मैं तो तुम्हारे दर्द का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता...(थोड़ी देर रुक कर) अमृत मै बस तुम्हारी थोड़ी सी मदद करना चाहता हुँ दोस्त...<br />
<strong>अमृत </strong>(थोड़ा रिलेक्स होकर मुस्कुराते हुए): अच्छा तो मदद करना चाहते हो, तो चलो काम की बात करते है ...ये बताओ की हमारे मिशन का स्टेटस क्या है ?<br />
<strong>किंडर </strong>: अभी तक तो सब ठीक है, नक्सलियों का खेमा एक गाड़ी में अभी यहां से गुजरा है, शायद इस एरिया का मुआएना करने आये होंगें पर सालों ने इतनी तेज़ हॉर्न क्यों बजा दी यह बात समझ में नहीं आ रही है ।<br />
<strong>अमृत </strong>: क्या?<br />
<strong>किंडर </strong>: हाँ जो गाड़ी अभी गुजरी उसने तेजी से लम्बा हॉर्न दिया ।<br />
<br />
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यह सुनकर अमृत को थोड़ी देर पहले वाला सपना याद आ जाता है । अगले पल अपना सिर हिलाता है और किंडर से पुछता है -<br />
<strong>अमृत </strong>: तुम्हे क्या लगता है यह किसी तरह का संकेत होगा ?<br />
<strong>किंडर </strong>: पता नहीं कुछ कह नहीं सकते ।<br />
<strong>अमृत </strong>: उस गाड़ी में एरिया कमांडर था ?<br />
<strong>किंडर </strong>: नहीं ।<br />
<strong>अमृत </strong>: समझ मे नहीं आ रहा है कि चल क्या रहा ... वैसे हम इस जंगल की झाड़ियों के पीछे सुरक्षित है ... मैं जब तक इशारा नहीं करुं तब तक अपनी लोकेशन एक्स्पोज़ मत करना ।<br />
<strong>किंडर </strong>: मतलब ?<br />
<strong>अमृत </strong>: मतलब की मेरे अलावा किसी को तुम्हारे और इस गाड़ी के बारे में पता नहीं चलनी चाहिये ।<br />
<br />
तभी पीछे की झाड़ियो में हलचल होती है, अमृत और किंडर बड़ी फुर्ती से अपनी-अपनी बंदुकें झाड़ियो में हो रही हलचल की दिशा में तान देते है और धीरे धीरे उसी दिशा में आगे बढ़ते है । थोड़ा नज़दिक जा कर वो झाड़ियों हटाते है तो एक फटे-हाल हालत में एक अंजान आदमी दिखाई पड़ता है और वो आदमी अमृत और किंडर को देख कर डर जाता है और गिड़गिड़ाने लगता है -<br />
<br />
अंजान आदमी - गोली मत चलाना ..गोली मत चलाना ...मुझे मारना मत...हाथ जोड़ता हुँ ।<br />
<strong>किंडर </strong>(अपने मुँह पर उगली रख कर इशारा करते हुए ) : श... श... श... श...(वह दबी आवाज़ में कहता है) शांत हो जाओ...शांत हो जाओ...।<br />
<br />
वह अंजान आदमी शांत हो जाता है, फिर अमृत उस पर बंदुक तान कर पुछता है -<br />
<strong>अमृत </strong>: कौन हो तुम और यहां क्या कर रहे हो ?</div>
Progrramershttp://www.blogger.com/profile/11092840251425263196noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-750016975357229134.post-91774445832868956072019-10-17T10:55:00.000-07:002019-10-17T11:34:11.664-07:00The Boy Friend Part - 20<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 20)</h2>
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शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 20)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
<br />
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<a href="https://3.bp.blogspot.com/-1b0cnKE3z-k/WrpzgzuqCZI/AAAAAAAAAb8/_Z-7S7Bd9coaKEgh2oesGc6qTXzvrJ_EACPcBGAYYCw/s1600/The_Boy_Friend.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img alt="The_Boy_Friend" border="0" data-original-height="600" data-original-width="800" height="240" src="https://3.bp.blogspot.com/-1b0cnKE3z-k/WrpzgzuqCZI/AAAAAAAAAb8/_Z-7S7Bd9coaKEgh2oesGc6qTXzvrJ_EACPcBGAYYCw/s320/The_Boy_Friend.jpg" title="The Boy Friend" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<hr />
</div>
<br />
<div style="text-align: center;">
<div style="text-align: left;">
आखरी बार जब कॉलेज में आतंकियों का हमला हुआ था तब वहां जो दुसरा कमांडो छुप कर गोलियां चला रहा था वो रंजीत था, याद है जब सुबह होने वाली थी तब सारे आतंकियों को धोखा हुआ था कि हम दुसरे मंजिल पर हैं या तीसरी मंजिल पर । वास्तव हम दोनो नें अपने चेहरे कपड़े से ढँक लिये थे पर हम दोनो के साथ जो दो लोग थे उन के चेहरे एक ही जैसे थे विश्वजीत और रंजीत के, जैसे आज तुम धोखे से रंजीत को विश्वजीत समझ रही थी, उस दिन उनके साथ भी वही धोखा हो रहा था । उस समय भी तुम्हारे साथ रंजीत ही था ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
किस्मत कुछ और ही मंजुर था उस दिन जब मुझे बचाने के लिए विश्वजीत मेरी तरफ आ रहा था तभी एक आतंकी ने उसे धक्का दे दिया और पांचवे मंज़िल से नीचे केम्पस की दिवार पर पीठ के बल जा गिरा और उसके रीढ के हड्डी टुट गयी ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
जब तक मिशन पुरा हुआ और सारे आतंकी मारे गये तब तक विश्वजीत कोमा में जा चुका था, मिशन खत्म होने के बाद आखरी बार तुम जिस शख्स से बात कर रहीं थी वह वास्तव में रंजीत था विश्वजीत नहीं । उस दिन रंजीत ने अपने भाई को लगभग खो दिया था और इस वजह से वो बाहर से तो गुस्से में था पर अंदर से टुट चुका था । उसके पास तुम्हें बताने के लिए कुछ भी नहीं था क्योंकि यह एक सिक्रेट मिशन था, इसलिये वो वहां से चुप-चाप चला गया ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आर्मी के डॉक्टर्स ने जब विश्वजीत की जांच की तो पाया कि उसकी हालता इतनी नाज़ुक थी, कि उसे कहीं दुर बड़े अस्पताल में ले जाना मुम्किन ही नहीं था, जो सबसे नज़दीक अस्पताल था, वो था यह आशिर्वाद हॉस्पीटल इसीलिए डॉक्टर्स ने उसे इसी अस्पताल में भर्ती करा दिया और मेडिकल के स्पेशल इक्वीपमेंट्स की व्यवस्था कराने के आदेश दे दिये । उन स्पेशल इक्वीपमेंट्स के आने में काफि देर हो चुकी थी और हफ्ते बीत चुके थे पर विश्वजीत की सांस उन कठिन हालातों में भी चल रहे थे यह देख कर यहाँ के डॉक्टर्स ने दुसरे बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स से विश्वजीत के बारे में बात की । और तो और विश्वजीत की बदनसीबी नें इन हालातों मे भी उसका साथ नहीं छोड़ा । कुछ बड़े-बड़े डॉक्टर्स ने विश्वजीत की जांच की तो पाया की उसक दिमाग पुरी तरह कोमा में पर उसके बावजुद भी वह कुछ लिखने की कोशिश कर रहा है । बड़े डॉक्टर्स ने जांच के डेटा न्युरोमैक्स नाम की एक कंपनी को दी । <b>न्युरोमैक्स </b>सिगांपुर की एक मेडिकल संस्था है जो <b>न्युरोलॉजी </b>के क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट करती है ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
<b>न्युरोमैक्स </b>विश्वजीत को ठीक करने के बजाए एक टेस्ट सब्जेक्ट बना कर अपने रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिये इस्तेमाल करने लगी । उन सभी लोगों का कहना था कि आज़ तक उन्होनें मेडिकल साइंस के इतिहास में ऐसा केस नहीं देखा था । कुछ हफ्ते पहले न्युरोमैक्स ने अपने टेस्ट को खत्म करने के बारे में जानकारी दी और कहा की सारे डेटा एनालाईज़ हो चुके है और उन्हें विश्वजीत की अब कोई ज़रुरत नहीं ।</div>
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<div style="text-align: left;">
रंजीत किसी भी तरह अपने भाई को ठीक कराने के लिये सिंगापुर जा कर डॉक्टर्स और साइंटिस्ट्स से मिला, उनसे मिन्नते की पर शायद एक बोल न पाने वाले फौजी के दिल की आवाज उन डॉक्टर्स और साइंटिस्ट्स के कानों तक नहीं पहुंच पाई और जंग के मैदान में दुश्मनों दाँत खट्टे कर देने वाला ये सिपाही जिंदगी की जंग में हार गया ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
<b>न्युरो साइंटिस्टों</b> ने इस घटना के एक साल के भीतर ही विश्वजीत का टेस्ट करके उसके लिये एक बायोमकेनीकल डिवाईस बनाई थी, जो उसके नर्व सिस्टम से जुड़ी हुई थी, उन न्युरो साइंटिस्ट्स का कहना था मानव और मशीन का यह मेल नायाब है । उस मशीन की मदद से विश्वजीत कोमा होने के बावजुद भी अपनी मन की बात कागज़ पर अपने दाहिनें हाथ से लिख सकता था ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
वह उन्नीस साल से हर रोज़ कुछ न कुछ लिखा करता था पर कल तुम्हारे आने के बाद विश्वजीत ने अपने सारी एक्टीवीटी बंद कर दी । इसीलिए हमनें सोचा की अब इस मामले को गुप्त रखने का क्या फायदा आखिरकार आखिरी सांस लेने से पहले इस सिपाही की एक छोटी सी फरियाद तो पुरी होनी ही चाहिये ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
इतनी कहानी बता कर आलिया शांत हो जाती है, आशि विश्वजीत के पास बैठी रोती ही जाती है लेकिन फिर भी वह आलिया से पुछती है - कैसी फरियाद ?</div>
<div style="text-align: left;">
आलिया कहती है - वो बीस सालों से तुम्हारे इंतज़ार में था और शायद कल उसे पता चल चुका था की तुम आ चुकी हो । वह तुमसे कुछ कहना चाहता है आशि ।</div>
<div style="text-align: left;">
आशि आलिया की तरफ देखती है और बेबस होकर पुछती है - क्या ?</div>
<div style="text-align: left;">
आलिया आशि के पास जाती और अपने हाथों का सहारा देकर उसे खड़ा करती है और कहती है </div>
<div style="text-align: left;">
आलिया - वह एक जांबाज़ फौजी है आशि और उसके के दिल की बात मेरे ज़ुबान की मोहताज़ नहीं ।</div>
<div style="text-align: left;">
इतना कह कर आलिया आशि को पास के एक कमरे के दरवाजें के पास ले कर आती है और फिर आशि से कहती है -</div>
<div style="text-align: left;">
आलिया - वह तुमसे जो कहना चाहता है, उसने तुम्हारे लिये लिख कर छोड़ा है...लो पढ़ लो उसके दिल की बात ...</div>
<div style="text-align: left;">
कह्ते हुए आलिया उस कमरे के दरवाजे को धक्का देकर खोलती है और जो नज़ारा आशि के सामने होता है वह उसके रोम रोम को छु जाता है । उस कमरे की दिवारें फर्श सभी जगह कागज़ बिखरे होते है जिसमें सिर्फ आशि का नाम और उसके साथ बिताए हुये पल के बारे में लिखे होते है, उन कांगज़ों में लिखा होता है विश्वजीत आशि को कितना चाहता है और अपनी सारी जिंदगी आशि के साथ कैसे बिताना चाहता है ।</div>
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<div style="text-align: left;">
आशि यह सब देख कर फुट फुट कर रोने लगती और विश्वजीत के पास जाती है और कहती है - </div>
<div style="text-align: left;">
आशि - विश्वजीत तुमसे मिलने के बाद मैनें सिर्फ और सिर्फ तुम्हें चाहा है ...(आशि पागलों की तरह कहने लगती है )... विश्वजीत तुम ठीक हो जाओगे फिर हम दोनो सिर्फ हम दोनो कहीं दुरी अपनी एक खुबसुरत दुनिया बसा लेंगें... मैं तुमसे प्यार करती हुं विश्वजीत प्लीज़ प्लीज ... (वह बोल पाने में असमर्थ हो जाती है और जोर जोर से रोने लगती है... कभी वो डॉक्टर्स के पास जाकर पैर पकड कर मिन्नतें करती है तो कभी आलिया के पास जाकर डॉक्टर्स को समझाने के लिये कहती है पर सभी अपना सिर झुका कर खड़े रहते है ।)</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आलिया आशि को संभालती है और उससे कहती है -</div>
<div style="text-align: left;">
आलिया - इस कमरे के दहलीज़ पर मौत फरिश्ते खड़े है आशि, जिसे हर रोज़ विश्वजीत यह कह कर टाल देता है कि तुम उससे मिलने एक दिन जरुर आओगी और पढोगी उसके होठों का एक-एक लफ्ज़ जिसे बोल नहीं सकता... जो उसने लिखा था उन्नीस साल से हर रोज़ सिर्फ तुम्हें याद करके ।</div>
<div style="text-align: left;">
आशि आलिया से रोते-बिलखते हुए पुछती है - </div>
<div style="text-align: left;">
आशि - आलिया तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया आलिया...</div>
<div style="text-align: left;">
आलिया (आशि को सांत्वना देते हुए) - ये वादा था आशि एक फौज़ी का एक फौज़ी से ।</div>
<div style="text-align: left;">
आशि - कैसा वादा ?</div>
<div style="text-align: left;">
आलिया - आशि... एक तरफ वो तुम्हारा इंतजार तो कर रहा था पर दुसरी तरफ वह तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता था और चाह्ता था कि तुम उसे भुल जाओ और अपनी नई ज़िंदगी शुरु कर लो, इसीलिये उसने मेरे लिये भी एक संदेश लिखा था ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आलिया अपने जेब से एक कागज़ का टुकड़ा निकाल कर आशि को दिखाती है, जिसमें आशि को उसके हालत के बारे में न बताने के बारे कसम दी हुई होती है ।</div>
<div style="text-align: left;">
आलिया - मैनें सोचा जब कसम देने वाला ही नहीं रहेगा तो इस कसम का क्या मोल ?</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आलिया की बात सुन कर आशि का दिल बैठा जाता है और वो बेबस होकर विश्वजीत के पास जाकर बैठ जाती है, तभी विश्वजीत से जुड़े लाईफ सपोर्ट सिस्टम से बीप की तेज़ आवाज़ें आने लगती है, आशि यह देख घबरा जाती है और वहां मौजुद सभी डॉक्टर्स विश्वजीत की जाँच करने लगते है । विश्वजीत के चेहरे पर लगे वेंटीलेटर मास्क के पीछे से आँसुओं की धारा बहने लगती है और उससे जुड़े बायोमकेनीकल डिवाईस से एक कागज़ आशि के पैरों के पास आकर गिरता है । आशि उस कागज़ को उठने के झुकती है और जब तक वापस उठती है तब तक लाईफ सपोर्ट सिस्टम के मॉनिटर पर लाईफ लाईन सामानांतर हो जाते हैं क्योंकि विश्वजीत इस दुनिया को छोड़ कर जा चुका होता है । आशि के लिये मानो वक्त थम सा जाता है और कुछ पलों के बाद वह जोर से विश्वजीत को पुकारती है और फुट फुट कर रोने लगती है ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आलिया आशि को सहारा और सांत्वना देती है ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
<b>अगली सुबह :</b></div>
<div style="text-align: left;">
आशि विश्वजीत की चिता को दुर से जलते हुए देखती है, उसके हाथों में वहीं कागज़ का टुकड़ा होता है जो बायोमकेनीकल डिवाईस से निकल कर आशि के पैरों के पास आकर गिरा था । अभीषेक आशि के पास जाता है और आशि को सांत्वना देते हुए कहता है -</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
अभीषेक - आशि यह समय कठिन है पर तुम्हे अपने आप को संभलना होगा और अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आशि - जानते हो अभीषेक ... मैं हमेशा सोचती थी कि मेरा बॉयफ्रेंड एक फौजी होगा...आर्मी का एक जांबज और बहादुर सोल्ज़र । लेकिन विश्वजीत को जानने से पहले मुझे यह पता नहीं था कि सोल्ज़र इतने बहादुर होते हैं । मैं निराश नहीं हुँ क्योंकि उसने मुझे अपनी जिंदगी पर नाज़ करने मौका दिया ... गर्व है मुझे कि मेरा बॉयफ्रेंड विश्वजीत जैसा इंडियन आर्मी का एक जांबज और बहादुर सोल्ज़र है... या फिर उससे भी ज्यादा जिसको बयां करने के लिये मेरे पास अल्फाज़ नहीं हैं । बस एक सवाल है मेरे मन में ...जिसका मुझे अफ़सोस रहेगा ... जिन्दगी भर...</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
अभीषेक - कैसा सवाल ?</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आशि - यही कि एक फैजी को अपने देश के सेवा करने के लिये कितनी बार मरना होगा ? क्या उसे मरने का भी हक नहीं था ? वो हमारे देश का फौजी था उसकी शहादत शानदार होनी चाहिये थी, पर उन लोगों ने उसे महज़ टेस्ट सबजेक्ट बना कर रख दिया और उसकी ज़िन्दगी को मौत की दहलीज़ पर ले ज़ाकर शर्मिन्दा करते रहे हर रोज़ ...बीस ... बीस सालों तक । क्या यही इंसानियत है ?.. क्या ये सही है ?</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
अभीषेक - याद है आशि उस डॉक्टर ने कहा था कि कुछ बातें सही और गलत से परे होंती है ... और विश्वजीत खुद भी तो हमेशा कहता था "जिंदगी में सफलता का असली मतलब दुसरों के काम आना होता है ।" उसने अपना फर्ज़ निभाया है जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी । आशि इस समय तो कहना सही नहीं है ... फिर भी अब आगे क्या करना है तुम्हें इसके बारे में सोच समझ कर फैसला लेना होगा ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आशि - अभीषेक हर वो इंसान जो इंसानियत के खातिर अपने कर्म और फर्ज़ के रास्ते पर चलता है चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हो, वो एक सोल्ज़र है । विश्वजीत जाते जाते मुझे जीने की एक नई वजह दे गया है ...</div>
<div style="text-align: left;">
अभीषेक - क्या मैं वो वजह जान सकता हुँ ?</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आशि - बिल्कुल (आशि अपने हाथ में लिए कागज़ के टुकड़े को अभीषेक को देती है ... उस कागज़ में लिखा होता है मुव ऑन ) ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
अभीषेक - मुव ऑन ... याद है मुझे... कपिल मिश्रा की क्लास में हमने एक काहानी सुनी थी... कर्म नाम की ।</div>
<div style="text-align: left;">
आशि (एक गहरी सांस लेते हुए और अपने आँखों में गर्व भरते हुए ) - जाते जाते वो मुझे भी सोल्ज़र बना गया... (विश्वजीत की चिता को ओर देखते हुए) अब मैं जानती हुँ मुझे क्या करना है... ये वादा रहा एक सोल्ज़र का एक सोल्ज़र से ...अपने कर्म के रास्ते पर जरुरी चलुंगी । इस कॉलेज़ की इमारत मेरे पिता की आखरी निशानी है जिसमें विश्वजीत की आत्मा है और अब मैं इस कॉलेज़ को बंद नहीं होने दुंगी किसी भी किमत पर ।</div>
<div style="text-align: left;">
अभीषेक - ये हुई न बात ... भगवान भी तुम्हारे साथ हैं ... आज सुबह ही हरेराम सिंह जी के बेटे का कॉल आया था वो ज़मीन की लीज़ आगे बढ़ाने को राजी हो गये है ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
आशि अपना सिर उठा कर असमान की तरफ देखती है और कहती है - विश्वजीत ... बस तुम हमेशा मेरी ताकत बन कर मेरे साथ रहना । तुमने मुझे जो चाहत दी है उसके बदले में तुम्हें देने के लिए मेरे पास इस जिंदगी के सिवाय और कुछ भी नहीं और अब जितनी भी जिंदगी बची है वो भी तुम्हारे नाम ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: left;">
कुछ घंटों में विश्वजीत चिता भले ही ठंड़ी पड़ जाती है पर उसकी चिता आशि के अंदर फर्ज़ की एक लौ जला देती है आशि उसी लौ की तपिश के साथ अपने कर्म के रास्ते पर निकल पड़ती है ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<b>समाप्त ।</b></div>
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Progrramershttp://www.blogger.com/profile/11092840251425263196noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-750016975357229134.post-6281224810062728542019-09-06T06:31:00.004-07:002019-09-06T06:33:11.074-07:00Amrit Dhara : A bloody love tale<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h1 style="text-align: center;">
अमृत-धारा</h1>
<!--h2 style="text-align: center;">
सारंश (Synopsis)</h2>
<div style="text-align: center;">
वह सच्चाई क्या है जानने के लिए पढ़ें :</div-->
<h1 style="text-align: center;">
<br />Amrit Dhara : A bloody love tale</h1>
<div style="text-align: center;">
वर्ग (Category) – प्रेम कथा (Love Story, Thriller Story)<br />
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)<br />
<h2>
<span style="color: red;">Status : Coming Soon</span></h2>
</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-UAnKNmlfasc/XXJfD66Bh0I/AAAAAAAABEs/359Gr3kWRpQ9n0PAFUQBrXVn_-7__igPgCLcBGAs/s1600/amrit-dhara-a-bloody-love-tale.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img alt="Amrit-Dhara : A bloody love tale, stories, stories stories, stories about love, stories love, stories in hindi, stories motivational, stories that inspire, stories good, stories about life" border="0" data-original-height="1000" data-original-width="1600" height="400" src="https://1.bp.blogspot.com/-UAnKNmlfasc/XXJfD66Bh0I/AAAAAAAABEs/359Gr3kWRpQ9n0PAFUQBrXVn_-7__igPgCLcBGAs/s640/amrit-dhara-a-bloody-love-tale.jpg" title="Amrit-Dhara : A bloody love tale" width="640" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">Amrit-Dhara : A bloody love tale</td></tr>
</tbody></table>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<hr />
<h2 style="text-align: center;">
अस्वीकरण</h2>
<h2 style="text-align: center;">
<u>(Disclaimer)</u></h2>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
इस कहानि के सभी पात्र और उनके नाम और घटनाएं काल्पनिक है और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति या घटना से कोई भी संबंध नहीं हैं। यह कहानि किसी भी व्यक्ति के नीजि जिन्दगी से प्रेरित नहीं है। यह पुरी तरह से एक कल्पनात्मक रचना है। यदि किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से समानता पाई जाती है तो ये मात्र एक संयोग होगा।
<br />
<hr />
<br /></div>
</div>
Progrramershttp://www.blogger.com/profile/11092840251425263196noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-750016975357229134.post-56121228015721088992019-09-06T03:14:00.000-07:002019-09-06T03:14:03.481-07:00The Boyfriend - A thrilling love story<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h1 style="text-align: center;">
द बॉयफ्रेंड</h1>
<h2 style="text-align: center;">
सारंश (Synopsis)</h2>
<div style="text-align: center;">
यह काहनी है आशि माथुर नाम के एक लड़की की जो विदेश में पली-बढी है, उसके पिता पंजाब राज्य के अट्टारी गांव के नौजावनों को नशे से मुक्त करने के लिए स्कुल-कॉलेज़ का निर्माण कराना चाहते है पर गांव के भ्रष्ट नेता उनके कार्य में अड़चने डालते है और इस वजह से आशि अपने पिता के सपने को पुरा करने के लिए भारत आ जाती है और अपने पिता के कॉलेज़ में अपना दखिला करा लेती है । आशि को कॉलेज़ में विश्वजीत नाम के लड़के से प्यार हो जाता है जिसकी ज़बान साफ नहीं होती है वह हर बात हक्ला कर बोलता है एक दिन जब कॉलेज़ पर आतंकवादियों का हमला होता है तब आशि को विश्वजीत की असलियत का पता चलता है पर तब तक देर हो जाती है और विश्वजीत आशि को छोडकर जा चुका होता है । आशि बीस सालों तक उसका इंतज़ार करती है और वह जब दोबार विश्वजीत से मिलती है तो उसे विश्वजीत की एक अलग ही सच्चाई का पता चलता है वह सच्चाई क्या है जानने के लिए पढ़ें :</div>
<h1 style="text-align: center;">
<br />The Boyfriend : A thrilling love story</h1>
<div style="text-align: center;">
वर्ग (Category) – प्रेम कथा (Love Story, Thriller Story)<br />
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-1b0cnKE3z-k/WrpzgzuqCZI/AAAAAAAAAcA/IbPI274G3R0DWBAuSDoVSvE5oVsuwxdzgCPcBGAYYCw/s1600/The_Boy_Friend.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img alt="stories, stories that inspire, story about love, Indian Army story, stories motivational, stories to write, kalpanik kahaaniyan" border="0" data-original-height="600" data-original-width="800" height="480" src="https://1.bp.blogspot.com/-1b0cnKE3z-k/WrpzgzuqCZI/AAAAAAAAAcA/IbPI274G3R0DWBAuSDoVSvE5oVsuwxdzgCPcBGAYYCw/s640/The_Boy_Friend.jpg" title="The Boyfriend : A thrilling love story" width="640" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">The Boyfriend - A thrilling love story</td></tr>
</tbody></table>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<hr />
<h2 style="text-align: center;">
अस्वीकरण</h2>
<h2 style="text-align: center;">
<u>(Disclaimer)</u></h2>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
इस कहानि के सभी पात्र और उनके नाम और घटनाएं काल्पनिक है और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति या घटना से कोई भी संबंध नहीं हैं। यह कहानि किसी भी व्यक्ति के नीजि जिन्दगी से प्रेरित नहीं है। यह पुरी तरह से एक कल्पनात्मक रचना है। यदि किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से समानता पाई जाती है तो ये मात्र एक संयोग होगा।
<br />
<hr />
<br />
<br />
<h3>
<u>सुचीकरण</u></h3>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/the-boy-friend-part-1.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -1)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/the-boy-friend-part-2.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -2)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/the-boy-friend-part-3.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -3)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-4.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -4)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-5.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -5)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-6.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -6)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-7.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -7)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-8.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -8)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-9.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -9)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-10.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -10)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-11.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -11)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/04/the-boy-friend-part-12.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -12)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/05/the-boy-friend-part-13.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -13)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/05/the-boy-friend-part-14.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -14)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/05/the-boy-friend-part-15.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -15)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/05/the-boy-friend-part-16.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -16)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/05/the-boy-friend-part-17.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -17)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/05/the-boy-friend-part-18.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -18)</a></div>
<div style="text-align: center;"><br /></div>
<div style="text-align: center;"><a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/06/the-boy-friend-part-19.html" rel="dofollow" target="_blank" title="The Boyfriend - A thrilling love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">द बॉयफ्रेंड – A thrilling love Story(भाग -19)</a></div>
</div>
</div>
Progrramershttp://www.blogger.com/profile/11092840251425263196noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-750016975357229134.post-90775796316268314072019-09-06T02:47:00.004-07:002019-09-06T02:54:24.986-07:00Hamaari Adhuri Kahani - A love Story<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा।</h2>
यह कहानी है 27 वर्षीय युवक राकेश शर्मा की, जो पटना (बिहार) का रहने वाला है और 22 वर्षीय युवती गौरी की है जो एक खुबसुरत पर बहुत ही सीधी सादी गरीब लड़की है । राकेश की सरकारी नौकरी लग जाती है और उसकी पहली पोस्टींग यु0पी0 के एक गाँव बिलासपुर में होती है , जो उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा गाँव है । कहानी वर्तमान काल से कुछ सालों पहले की है, इसीलिए गांव का विकासक्रम की कड़ी से अछुता है, परन्तु इस गांव में शहरी लोगों के भी आवागमन के कारण कुछ बुनियादी सुविधाएं (जैसे की ऑटोरिक्शा, शुरुआती मोबाईल फोन के नेटवर्क) उपलब्ध हैं ।<br />
गौरी बहुत ही सीधी सादी लड़की है । अपनी विषम परिस्थितियों में भी वह पढाई करने के लिये संघर्ष कर रही है । उसकी मां का नाम कजरी है जो दुसरों के घर का काम करके अपना जीवन यापन करती है । गौरी के एक मामा है जिनके घर में गौरी और उसकी मां दोनो कई सालों से बसेरा लिये हुए हैं । गौरी के परिवार का बीता हुआ कल बेहद दुखदाई है । वह यु0पी0 से दुर जिस गांव में रहती थी, वहां के एक बुढ़े और अय्याश जमींनदार की बुरी नज़र गौरी पर पड़ गयी थी, उसी से पीछा छुड़ानें में गौरी और उसकी मां को वह गांव छोडना पड़ा और गौरी के पिता को अपनी जान गवाँनी पड़ी । गौरी का किरदार हमारे समाज़ के कुरितियों से बने बेड़ियों को हल्के से टटोलता है पर उसमें उन बेड़ियों को तोड़ने की क्षमता नहीं है ।<br />
राकेश गौरी के बीच पनपे रिश्ते के ताने बाने को इस कहानी में पिरोया गया है इस कहानी में राकेश और गौरी एक दुसरे को अपने मन की बात बता पाते है या नहीं यह जानने के लिए पढ़ें :<br />
<div>
<br /></div>
<div>
<br /></div>
शिर्षक (Title) - <b>हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा (Love Story)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-1F4a0ABXQIM/WrhEiTlZ5nI/AAAAAAAAAbs/3WeME3s0a6EsH6xnAgliguPY_1VrWvngACEwYBhgL/s1600/Hamaai_Adhuri_Kahani_A_Love_Story.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img alt="Hamaari_Adhuri_Kahani_A_love_Story" border="0" data-original-height="720" data-original-width="1280" height="360" src="https://1.bp.blogspot.com/-1F4a0ABXQIM/WrhEiTlZ5nI/AAAAAAAAAbs/3WeME3s0a6EsH6xnAgliguPY_1VrWvngACEwYBhgL/s640/Hamaai_Adhuri_Kahani_A_Love_Story.jpg" title="Hamaari Adhuri Kahani - A love Story" width="640" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
</div>
<br />
<hr />
<h2 style="text-align: center;">
अस्वीकरण</h2>
<h2 style="text-align: center;">
<u>(Disclaimer)</u></h2>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
इस कहानि के सभी पात्र और उनके नाम और घटनाएं काल्पनिक है और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति या घटना से कोई भी संबंध नहीं हैं। यह कहानि किसी भी व्यक्ति के नीजि जिन्दगी से प्रेरित नहीं है। यह पुरी तरह से एक कल्पनात्मक रचना है। यदि किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से समानता पाई जाती है तो ये मात्र एक संयोग होगा।
<br />
<br />
<div style="text-align: center;">
</div>
<br />
<hr />
</div>
<div style="text-align: center;">
<h3>
<u>सुचीकरण</u></h3>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<div style="text-align: center;">
<a href="http://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/Hamaari-Adhuri-Kahani-a-love-Story-part-1.html" rel="dofollow" target="_blank" title="Hamaari Adhuri Kahani - A love Story">हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा (भाग -1)</a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<a href="http://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/Hamaari-Adhuri-Kahani-a-love-Story-part-2.html" rel="dofollow" target="_blank" title="Hamaari Adhuri Kahani - A love Story">हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा (भाग -2)</a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<a href="http://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/Hamaari-Adhuri-Kahani-a-love-Story-part-3.html" rel="dofollow" target="_blank" title="Hamaari Adhuri Kahani - A love Story, stories, stories with moral in hindi">हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा (भाग -3)</a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<a href="http://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/Hamaari-Adhuri-Kahani-a-love-Story-part-4.html" rel="dofollow" target="_blank" title="Hamaari Adhuri Kahani - A love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा (भाग -4)</a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<a href="http://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/Hamaari-Adhuri-Kahani-a-love-Story-part-5.html" rel="dofollow" target="_blank" title="Hamaari Adhuri Kahani - A love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा (भाग -5)</a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<a href="http://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/Hamaari-Adhuri-Kahani-a-love-Story-part-6.html" rel="dofollow" target="_blank" title="Hamaari Adhuri Kahani - A love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा (भाग -6)</a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<a href="http://kalpanikkahaaniyan.blogspot.com/2018/03/Hamaari-Adhuri-Kahani-a-love-Story-part-7.html" rel="dofollow" target="_blank" title="Hamaari Adhuri Kahani - A love Story, stories, stories with moral in hindi, stories in hindi">हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा (भाग -7)</a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
</div>
</div>
</div>
</div>
Progrramershttp://www.blogger.com/profile/11092840251425263196noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-750016975357229134.post-21562915887002040262019-05-19T02:43:00.000-07:002020-01-02T21:02:44.573-08:00Story Unpublish due to some important reason. Please be with us...!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
महत्वपुर्ण कारणवश इस कहानी को अन-पब्लिश किया गया है । हमारे साथ जुड़े रहिये और भी रोचक कहानियों के लिये ।
आपको हुई असुविधा के लिए 'झारख़ण्ड इंफो' और 'काल्पनिक कहानिय़ां' आपसे क्षमा की विनती करते है ।
हमारे साथ बने रहने के लिये आप सभी का धन्यवाद !
<br />
<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://2.bp.blogspot.com/-RzsOJvgdWDs/XOEuPl2CbEI/AAAAAAAAA38/zb8d_0AEJrMDUaQIS2Y9IncCNSC_JKnbwCPcBGAYYCw/s1600/sorry.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="768" data-original-width="1024" height="480" src="https://2.bp.blogspot.com/-RzsOJvgdWDs/XOEuPl2CbEI/AAAAAAAAA38/zb8d_0AEJrMDUaQIS2Y9IncCNSC_JKnbwCPcBGAYYCw/s640/sorry.png" width="640" /></a></div>
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<br />
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 19)</h2>
<br />
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 19)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<br />
<hr />
</div>
आशि तेजी से अपने कमरे से निकल कर सिढ़ियों से नीचे उतरती है और बगीचे के रेस्टोरेंट में पहुंचती है और जिसे देखती है, उसे देख कर अपनी आंखों पर यकिन नहीं होता है, उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वो कोई सपना देख रही हो । वो पीछे से उस शख्स के पास जाकर उसे पुकारती है - विश्वजीत !<br />
<br />
वो शख्स आशि की तरफ मुड़ता है,<br />
<br />
आशि उसे ऐसे देख रही थी मानो जैसे की वो अब भी किसी खुबसुरत सपने में हो, उसे यकिन नहीं हो रहा था कि क्या उसके सामने जो भी कुछ हो रहा है वो सच है या फिर सपना, आशि उसके चेहरे को अपने हांथों से छुती है और फिर उसके सामने घुटनों के बल बैठ कर रोते हुए उसका हाथ पकड़ती है और पुछती है - तुम कहां चले गये थे बिना बताए, ... क्यों चले गये थे बिना बताए ... जानते हो मैंने कितना ढुंढा तुम्हें ... तुम्हें कितना मिस किया ... मां-पापा के ग़ुजर जाने के बाद कैसे संभाला है खुद को, तुम्हें इसका अंदाज़ा है ? तुमने तो लिखा था कि मुझसे प्यार हो तो मेरे लिए रुके क्यों नहीं ... ? मेरे लिए रुके क्यों नहीं ... जवाब दो मुझे ?<br />
<br />
आशि का रो-रो कर बुरा हाल हो जाता है, लेकिन उसके सवाल रुक नहीं रहे थे -<br />
<br />
आशि - (रोते हुए) जवाब दो विश्वजीत, कुछ तो बोलो ... बोलते क्यों नहीं तुम ?<br />
<br />
तभी पीछे से एक आवाज़ आती है - वो जवाब नहीं दे सकता ... क्योंकि वो बोल नहीं सकता है ...<br />
<br />
आशि को वो आवाज़ भी जानी पहचानी लगती है जैसे ही वो पीछे मुड़कर देखती है तो उसे आलिया खड़ी दिखती है ।<br />
<br />
आशि - (खड़ी होकर, आश्चर्य से देखते हुए) आलिया ... तुम यहां और क्या मतलब की वो बोल नहीं सकता है ?<br />
आलिया - हां मैं ...और तुम जिसे तुम विश्वीजीत समझ रही हो वो विश्वजीत नहीं है ।<br />
आशि - नहीं नहीं ...(काँपते हुए आवाज़ में) मेरे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है ।<br />
आलिया - ये विश्वजीत नहीं रंजीत है विश्वजीत का ज़ुड़वा भाई ।<br />
<br />
आशि - (एकाएक आशि खुद को स्थिर करती है) ओह ! (रंजीत की ओर देखते हुए) माफ करना मैंने तुम्हें विश्वजीत समझ लिया, वो तुम्हारे बारे अक्सर बातें करता था पर... पर कभी नहीं बताया की तुम दोनो ज़ुड़वा हो, ...सॉरी ... पर मेरा विश्वजीत कहां है ? (आशि की आँखों में उम्मीद साफ झलक रही थी )<br />
<br />
आलिया - वो आज भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है ।<br />
आशि - प्लीज ... मुझे उसके पास ले चलो ।<br />
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<br />
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आशि के बाकि साथी भी तब तक नीचे आ चुके होते है, उन सभी को आलिया और रंजीत विश्वजीत के पास ले जाते है ।<br />
<br />
आशि के साथ सभी लोग आशिर्वाद हॉस्पीटल पहुंचते है ।<br />
<br />
आशि - (आश्चर्य से पुछते हुए) आशिर्वाद हॉस्पीटल !? आलिया तुम मुझे यहां क्यों लाई हो ?<br />
आलिया - तुम्हारा विश्वजीत,... बीस सालों से यहीं तुम्हारा इंतजार कर रहा है ।<br />
<br />
ये कहते हुए आलिया आशि उसे कमरे के पास लाती है जिस कमरे के बारे आशि डॉक्टर से बात कर रही थी, उस कमरे की द्वार पर लिखा था 'अनाधिकृत प्रवेश निषेध' ।<br />
<br />
आशि से ही उस कमरे की ओर देखती है ही डर से उसके रौंगटे खड़े होने लगते है, आलिया गेट पर खड़े सिक्योरिटी गॉर्ड से दरवाज़ खोलने को कहती है और आलिया, आशि, अभिषेक और कुछ खास डॉक्टर अंदर जाते है ।<br />
<br />
आशि को सबसे दिवार पर एक काग़ज़ का टुकड़ा चिपका हुआ मिलता है जिस पर लिखा होता है ‘जिंदगी में सफलता का असली मतलब दुसरों के काम आना होता है ‘ और जो दुसरी चीज़ दिखती है वो था उसका टेडी बीयर जो कॉलेज़ में अक्सर उसके हाथ में होता है ।<br />
<br />
आशि - (डर से काँपते हुए आवाज़ में ) ये सब क्या है और यहां क्यों है आलिया ?<br />
आलिया - आशि यहां जो कुछ भी हुआ है उसके सिवा हमारे पास कोई चारा नहीं था । (आलिया एकाएक रोने लगती है )<br />
<br />
आशि - (डर से काँपते हुए आवाज़ में) आलिया तुम रो क्यों रही हो... कहां है मेरा विश्वजीत ...?<br />
आलिया - (बेड पर पडे हुए मरिज़ की ओर इशारा करते हुए) यहां है तुम्हारा विश्वजीत आशि ... ।<br />
<br />
आशि डर और हैरानी से उस मरिज़ की ओर देखते हुए उसके पास जाती है, उस मरिज़ का चेहरा एक वेंटीलेटर मास्क से छीपा हुआ था जिससे उसे कृत्रिम प्राण वायु दी जा रही थी, पर पास से देखने पर वो विश्वजीत को पहचान लेती है, उसकी हालत देख कर आशि को सदमा लग जाता और रोते ही चली जाती है वहां मौजुद लोग उसे संभालने की कोशिश करते है पर विश्वजीत ये हालत देख कर आशि को मर जाने इच्छा होने लगती है । किसी भी तरह लोग उसे संभालते है ...<br />
<br />
आशि - (ज़ोरों से विलाप करते हुए) आलिया ये क्या हाल कर दिया मेरे विश्वजीत का ... ये सब कैसे हुआ आलिया ? क्या हुआ है इसे बताओ ?<br />
आलिया आशि अपने गले से लगा कर उसे सहार देती है और उसे शांत करती है और फिर उसे पुरी बात बताती है -<br />
<br />
आलिया - ये कहानि इतनी छोटी नहीं है आशि पर सच जानने का तुम्हें पुरा हक है... क्योंकि तुम्हारे एक साहसी कदम से ये सब शुरु हुआ था ।<br />
<br />
आशि तुम्हें याद होगा कि गांव वालों नें तुम्हारे पिता के सामने शर्त रखी थी कि कॉलेज में सबसे पहले तुम्हार दाखिला होगा और फिर दुसरे बच्चों का । जब तुम लंदन से वापस आ गई तो तुम्हारे पिता को इंटर्पोल की खबर मिली थी कि सरहद के उस पार के आंतकी तुम्हें अगवा करने का प्लान बना रहे है और तुम्हारी रिहाई के बदले कॉलेज की इमारत को गिराने की मांग करेंगे ।<br />
<br />
अगर आंतकियों पर दवाब पाकिस्तान के तरफ से होता तो सोवियत रुस और अमेरिका इस मामले में जरुर अपनी टांग अड़ाते, पर जब पाकिस्तान से इस मुद्दे पर एक गुप्त वार्ता हुई तो पाकिस्तान इस योजना में अपना हाथ होने से साफ साफ मुकर गया ।<br />
<br />
जब रॉ नें पुरे मामले की ज़ाँच की, तो पता चला की हमारे देश के कुछ भ्रष्ठ नेता इस योजना में शामिल थे । केन्द्र सरकार इसमें ज्याद कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि एक तरफ पोखरण के परमाणु प्रयोग का मामला था और दुसरी तरफ कार्गिल के सरहद पर युद्ध का खतरा, इस कारण सरकार भी दवाब में थी । इस मामले की जब अंदरुनी ज़ाँच हुई, तब इस योजना में कई बड़े नेता के नाम निकल गये । अगर केन्द्र सरकार इस मामले में सीधे सीधे हस्तक्षेप करती तो केंद्रिय मंत्री मंडल भंग हो जाता और सरकार गिर जाती क्योंकि उस समय हमारे देश में गठबंधन की सरकार थी ।<br />
<br />
इसलिए तुम्हारे पिता नें ट्विस्टर ट्वींस कमांडो को इस मिशन में शामिल कर लिया । ट्विस्टर ट्वींस कमांडो की अपनी एक खासियत होती है । जैसे की विश्वजीत और रंजीत ।<br />
आशि - क्या ? विश्वजीत ... ट्विस्टर ट्वींस कमांडो था ? (आशि विश्वजीत की तरफ देखती है और उसे उस पर नाज़ होने लगता है ।)<br />
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आलिया - हाँ , दोनो जुडवा है, विज्ञान की भाषा में आईडेंटीकल ट्वींस''। इन दोनो में इतनी समानता है कि इन दोनो में फर्क बताना मुश्किल है । रंजीत ने कश्मीर में हुए एक आतंकी हमले में अपनी ज़बान खो दी थी । पर विश्वजीत मॉर्डन इलेक्ट्रानिक साइंस में माहीर था उसने अपने भाई के इस कमज़ोरी को ही अपना हथियार बना लिया और एक ऐसा इलेट्रॉनिक रेडियो डीवाईस बनाया जिससे इन दोनो के बीच होने वाली बात-चीत को डिकोड करना मुश्किल था और इससे इनकी काबलिया और भी बढ गयी ।<br />
<br />
एक दुसरे से संपर्क में रहने के लिए इसी रेडियो डीवाईस की मदद लेते थे जिसका एक हिस्सा रंजीत के पास था और दुसरा विश्वजीत के टेडी बीयर में फ़ीट था । इसीलिए विश्वजीत कभी भी इस टेडी बीयर को अपने से अलग नहीं होने देता था । जब रजींत को किसी बात का जवाब हां या ना में देना होता तो उसके पास इस डिवाईस से ज़ुड़े ट्रांस्मीटर का बटन दबा कर ज़वाब देता, जब इस टेडी बीयर की आंखे हरी होती तो उसका मतलब था 'हां' और जब लाल होती तो उसका मतलब था 'ना' और जब तेजी से आंखें लाल हो जाती तो इसका मतलब था 'खतरा है भागो' ।<br />
<br />
तुम्हें याद है उस आतकीं ने बहादुर को ट्विस्टर ट्वींस कमांडो समझ कर मार डाला था दरसल वो सच में कमांडो नहीं था और जिस कमांडो को वो लोग ढुंढ रहे थे वो कोई और नहीं विश्वजीत ही था ।<br />
<br />
आलिया - आशि तुम पहले भी रंजीत से मिल चुकी हो ।<br />
आशि - पहले भी ? ये क्या कह रही हो ?(आश्चर्य से देखते हुए ।)<br />
<br />
आलिया - हाँ , तुम्हें याद होगा, एक दिन तुमने विश्वजीत को तुमने डाँट लगाई थी क्योंकि उसने तुम्हार घर तक पीछा किया था, उससे एक दिन पहले तुमने पहली बार रंजीत को अपने घर के पास देखा था ।<br />
<br />
दुसरी बार, जब हम लोग शहर घुमने गये थे और वहां बदमाशो नें हम पर हमला किया था, वहां बदमाशों को जिसने मारा था वो भी रंजीत ही था । वहां तुम्हें शक था कि मेरे साथ ट्रॉयल रूम में विश्वजीत है या नहीं, तुम्हारा शक बिल्कुल सही था... ट्रॉयल रूम में एक बदमाश मुझे मारने के लिए पहले ही जाकर छुप गया था, यह विश्वजीत नें देख लिया था, इसलिये मुझे बचाने वो भी ट्रॉयल रूम के अंदर आ गया पर तुम्हें न जाने कैसे पता चल गया । जब तक तुमने ट्रॉयल रूम का दरवाज़ा खटखटाया तब तक विश्वजीत उस बदमाश की गर्दन तोड़ चुका था और दरवाजे के पीछे उसे लेकर छीपा था और जो तुम्हारे पीछे खड़ा था वो विश्वजीत नहीं रंजीत था । जब तुमने उससे सवाल किया तो वो कुछ बोल नहीं पाता इसीलिए उसने टेडी बीयर के गुम होने और भागने का नाटक किया था ।<br />
<br />
आखरी बार जब कॉलेज में आतंकियों का हमला हुआ था तब वहां जो दुसरा कमांडो छुप कर गोलियां चला रहा था वो रंजीत था, याद है जब सुबह होने वाली थी तब सारे आतंकियों को धोखा हुआ था कि हम दुसरे मंजिल पर हैं या तीसरी मंजिल पर । वास्तव हम दोनो नें अपने चेहरे कपड़े से ढँक लिये थे पर हम दोनो के साथ जो दो लोग थे उन के चेहरे एक ही जैसे थे विश्वजीत और रंजीत के, जैसे आज तुम धोखे से रंजीत को विश्वजीत समझ रही थी, उस दिन उनके साथ भी वही धोखा हो रहा था । उस समय भी तुम्हारे साथ रंजीत ही था ।<br />
<br />
किस्मत कुछ और ही मंजुर था उस दिन जब मुझे बचाने के लिए विश्वजीत मेरी तरफ आ रहा था तभी एक आतंकी ने उसे धक्का दे दिया और पांचवे मंज़िल से नीचे केम्पस की दिवार पर पीठ के बल जा गिरा और उसके रीढ के हड्डी टुट गयी ।<br />
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 18)</h2>
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 18)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
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<br />
<hr />
</div>
विश्वजीत आलिया को भागने का इशार करता है, पर आलिया जैसे ही भागती है तो एक आतंकी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागता और आलिया को बचाने के दरम्यान एक आतकीं विश्वजीत को धक्का देता है और विश्वजीत पांचवी मंजिल के खिड़की से बाहर गिर जाता है । आलिया यह देख कर स्तब्ध रह जाती है, पर वो चीख भी नहीं पाती है ।<br />
<br />
आतंकी अब भी आलिया को आशि ही समझ रहे थे वो जैसे ही आलिया पर झपटते है की मौका देख कर पांचवी मंजिल छुप कर बैठे फौजी आतंकियों पर हमला कर देते है और सभी को मार गिराते है ।<br />
<br />
आलिया समेत सभी लोग सीढ़ियों से नीचे जाने लगते है ।<br />
<br />
दुसरे मंजिल पर पहला आतंकी इन सभी बातों से बेखबर अपने साथियों के साथ अब भी आशि को ढ़ुंढ रहा होता है, आलिया और उनके साथी इस बात से अंजान नीचे उतरते ही रहते है कि उन आतंकियों की नजर आलिया पर पड़ती है और वो भी आलिया को आशि समझने लगते है ।<br />
<br />
इससे पहले की आलिया के साथी फौजी कुछ भी कर पाते, सभी आतंकी अपनी बंदुक की नली उन सभी फौजियों सिर पर टीक देते है लेकिन आलिया बड़ी ही चलाकी दिखाते हुए अपने एक साथी से बंदुक छीन कर अपने ही कनपटी पर लगा लेती है क्योंकि आलिया को पता होता है उन सभी का निशाना आशि है और चुँकि आलिया का चेहरा काले कपड़े से ढँका हुआ था तो सारे आतंकी अब भी उसे आशि ही समझ रहे थे । पर अब जो दृष्य बन रहा था वो विश्वजीत के प्लान के मुताबिक नहीं था ।<br />
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<br />
पहला आतंकी गुस्से से कहता है - ऐ लड़की ... ये तमाश किसे दिखा रही है हां ... मार गोली तु खुद को ... नहीं तो मैं मार दुंगा तुझे ... पर सबसे पहले उस कमीने को मारुंगा जिसकी वजह मेरे इतने साथी मारे गये ... (अपने आतंकी साथियों से कहते हुए) इस लडकी को छोड़ कर सभी को ख़त्म कर दो ।<br />
<br />
तभी अचानक पहले आतंकी पर पीछे से हमला होता है और सभी आतंकी का ध्यान हमलावर पर जाता है और एक भी गोली चलने के पहले सारे फौजी एक साथ सभी आतंकियों पर हमला कर देते है और सभी आतंकी ख्त्म कर देते है ।<br />
<br />
पहला आतंकी हमले की चोट से नीचले मंजिल की फर्श पर जा गिरता है । जब वह वापस उठा कर खड़ा होता है तो उसके सामने विश्वजीत को देखता है और गुस्से से कहते हुए जवाबी हमला करता है -<br />
<br />
पहला आतंकी - तुने मेरा मिशन बरबाद कर दिया तुझे छोड़ुँगा नही ।<br />
<br />
उन दोनो में कुछ देर तक मुकाबला होता है, इस दरम्यान रानी, नैना दो फौजी साथियों के साथ कॉलेज की इमारत से बाहर भागते है और आलिया अपने दो फौजी साथियों के साथ दुसरे मंज़िल पर आशि को ढ़ुंढने लगती है और वो एक कमरे में बेहोश पड़ी मिलती है, आशि को दोनो उठा कर कॉलेज की इमारत से बाहर ले जाते है, आलिया भी कॉलेज की इमारत से बाहर जाती है, जाते जाते वो विश्वजीत की तरफ देखती तो है पर उसके चेहरे पर उदासी साफ झलकती है , बाहर सुबह भी हो जाती है ।<br />
<br />
फौजी बाहर जाकर पुलिस को बताते है कि अंदर विश्वजीत और आतंकी के बीच मुठभेड़ चल रही है, थोड़ी देर में पुलिस भी कॉलेज़ के अंदर आ जाती है जहां विश्वजीत आतंकी को पागलों की मार रहा होता है, वह उस आतंकी जान से ही मारने वाला होता है कि पुलिस उसे रुकने का आदेश देती है ।<br />
<br />
पुलिस - रुक जाओ कमांडो, उसे सज़ा हमारे देश का कानुन देगा ।<br />
<br />
यह सुनकर विश्वजीत हमला करना बंद कर देता है और कॉलेज़ के केम्पस के बाहर जाने लगता है उसके आंखों में निराशा भरी आँसु होते हैं मानो उसे इस जंग में जीत की खुशी नहीं बल्कि किसी अपने के खोने दर्द महसुस हो रहा हो ।<br />
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<br />
जब पुलिस उस आतंकी को हथकड़ी पहनाने लगी तो वह आतंकी विश्वजीत की तरफ देख कर ज़ोर ज़ोर से हंस कर कहने लगा - हा...हा...हा तैयार रहना लड़के मैं वापस आउँगा हा ..हा...हा ... तब तक तुम्हारे देश का कानुन ... हा...हा...हा... मुझे शाही दामाद की तरह रखेगा हा...हा...हा ।<br />
<br />
यह सुन कर सभी पुलिस वाले को भी गुस्सा आने लगता है और वो उस आतंकी हाथ की हथकड़ी वापस खोल कर उसे छोड़े देते है और वापस मुड़ कर कॉलेज के बाहर जाने लगते है और जाते जाते विश्वजीत से कहते है - कमांडो, इस शाही दामाद को हमारे देश के फौज़ की खातिरदारी से रुबरु करा दो ।<br />
<br />
सभी पुलिस वाले कॉलेज़ के बाहर चले जाते है और थोड़ी देर बाद कॉलेज से गोलियों और चींखों की तेज़ आवाज़े आने लगती है ।<br />
<br />
बाहर खड़े पुलिस वाले चींखों की आवाज़ सुनकर अपने साथी पुलिस वालों से कहते है - लगता है शाही दावात में मिर्ची बहुत तेज़ हो गयी हा ... हा... हा ।<br />
<br />
थोड़ी देर बाद पुलिस वाले विश्वजीत को हाथ में बड़ी से बंदुक लेकर बाहर निकलता हुआ देख कर अपने साथी पुलिस वालों से कहते है - लो ये बाहर आ गये हमारे मेहमान नवाज़ हा ...हा ...हा ।<br />
<br />
थोड़ी देर बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है, कॉलेज़ के बाहर एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ियों का जमावड़ा लग जाता है, कई पुलिस वाले और हथियारों से लैस सैनिक भी कॉलेज़ को चारों तरफ से घेर लेते हैं । कॉलेज़ में पढ़ने वाले छात्रों की ज़ांच करने के लिए कई डॉक्टर भी आ जाते है ।<br />
<br />
आशि भी होश में आ जाती है और वो विश्वजीत को ढुंढने लगती है । आशि फैजी के बंकर की गाड़ी के पास विश्वजीत को खड़ा देखती है और दौड़ कर उसके पास ज़ाती है ।<br />
<br />
आशि - (अपना हाथ आगे करके मुस्कुराते हुए कहती है) मुबारक हो ... तुमने अपना वादा पुरा कर दिया ।<br />
<br />
पर आशि को कोई जवाब नहीं मिलता है, यह उसे थोड़ा अटपटा सा लगता है । वो फिर से कहती है -<br />
आशि - (अपना सिर झुका कर) पता नहीं तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो ... म्म म्म मुझे पता नहीं ... पर मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हुं ... कि मैं तुमसे ....<br />
<br />
आशि अपनी बात कहते हुए अपना चेहरा उठाती है और अपने सामने देखती है तो उसके सामने कोई नहीं होता है । बस उसे एक फैजी का बंकर दुर जाता हुआ नज़र आता है जिसमें विश्वजीत बैठा हुआ होता है । धीरे-धीरे वह बंकर उसकी आंखों से ओझल हो जाता है ।<br />
<br />
विश्वजीत के अचानक कुछ कहे बिना ही चले जाने से आशि के मन कई सवाल खड़े हो जाते है और आशि जो कहानी पत्रकारों को सुना रही थी उसका अंत यही हो जाता है । बस रह जाते है तो वो सवाल जिसके जवाब के लिए आशि 20 सालों से इंतज़ार कर रही है ।<br />
<br />
आशि अपनी कहानी ख़त्म करती है और सभी पत्रकार शांत अवस्था में बैठे रहते है, उन पत्रकारों में एक महिला पत्रकार खड़ी होकर आशि से पुछती है -<br />
<br />
महिला पत्रकार - आशि मेम, क्या आपको यकिन है की विश्वजीत आपको प्यार करता ही होगा ? ... मेरा मतलब है कि हो सकता है कि वो नाटक कर रहा हो, उसका कोई प्लान हो आपके करीब रहने का ।<br />
<br />
आशि - नहीं ... ऐसा नहीं हो सकता ... मुझे पुरा यकिन है की वो मुझे प्यार करता है ... जरुर उसकी कोई मज़बुरी रही होगी, कि वो बिना बताये मुझे छोड़ कर चला गया, पर मुझे यकिन है कि वो मेरा इंतज़ार कर रहा होगा ... कोई न कोई तो मज़बुरी ज़रुर जिसकी वजह से वो मेरे पास नहीं आ रहा ।<br />
<br />
महिला पत्रकार - इतना यकिन से कैसे कह सकती हैं आप ?<br />
आशि - क्योंकि उस घटना के बाद जब कॉलेज़ की शिनाख्त की ज़ा रही थी तभी वहां शिनाख्त कर्मियों को मेरा बैग और मोबाईल मिला था उन्होनें वो सब मुझे वापस लौटा दिया । एक दिन जब मैंने अपना बैग चेक किया तो उसमें मुझे विश्वजीत का लिखा हुआ लेटर मिला । उस लेटर में उसने मुझसे वादा किया था, की वो सिर्फ मुझे ही चाहेगा और मेरे जवाब का वो पुरी जिंदगी इंतज़ार करेगा और मैं जानती हुं कि वो हमारे देश का बहादुर सैनिक है चाहे वादा किसी से भी किया हो, वो पुरा तो ज़रुर करेगा ।<br />
<br />
महिला पत्रकार - आप विदेश में क्यों बसना चाह रहीं है ?<br />
<br />
आशि - ये खबर ग़लत है ... मैं विदेश बसने नहीं जा रही, कुछ दिनों पहले मैंने एक न्युज़ चैनल की खबर में विश्वजीत को देखा था वह खबर सिंगापुर की थी, बस उसे ढ़ुंढने जा रही हुँ... पता नहीं इसमें कितना वक्त लगेगा ।<br />
<br />
एक दुसरा पत्रकार - आशि मेम, अभिषेक जी के बारे में कुछ बताएंगे ।<br />
<br />
आशि - कॉलेज में हुए हमले में आखिर के हम 12 लोगों में से अभिषेक भी एक था । उसने इसी कॉलेज़ से अपनी पढाई पुरी की और अब से ये ही इसी कॉलेज़ की बागडोर संभालेंगे ।<br />
<br />
एक अन्य महिला पत्रकार - मैम, आप यहां आशिर्वाद हॉस्पिटल के एक छोटे से वार्ड के उद्घाटन के लिए कैसे राज़ी हो गयी ?<br />
<br />
आशि - जब मैं लंदन में थी, तब वहां मेरे देख भाल के लिए एक चाचा जी मेरे साथ रहते थे, उनका नाम हामिद था वो अक्सर मुझे कहते थे कि तुम्हारे कई कोशिशों के बावजुद भी जब तुम्हारी मंजिल तुम्हें दिखाई न दे तो शुरु से कोशिश करनी चाहिए ... मेरी जिन्दगी की शुरुआत यहीं इसी हॉस्पिटल से हुई थी तो सोचा, शुरुआत यहीं की जाये ।<br />
<br />
पत्रकार और भी कई सवाल पुछते है और आशि सभी का संतुष्टी भर उत्तर देती है । प्रेस कॉंफ्रेंस खत्म होता है और डेविड जो आशि का शेड्युल प्लानर है, उसके मुताबिक वो होटल वापस चली जाती है ।<br />
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<br />
<b>अगली सुबह</b><br />
<br />
कई सालों के बाद आशि अपनी कहानी बयां करके काफि हल्का महसुस कर ही थी, उसे उम्मीद थी कि पिछली रात की प्रेस कॉंफ्रेंस जब टी0वी0 पर प्रसारित हो तो शायद विश्वजीत भी उसे देख ले और उससे मिलने की कोशिश करे ।<br />
<br />
आशि होटल के कमरे की खिड़की से बाहर देखती रहती है मानो वो खिड़की से अंदर आ रही सुरज़ की रोशनी में आशा की किरण ढ़ुंढ रही हो तभी नीचे होटेल के बगीचे के खुले रेस्टोरेंट में उसे एक शख्स खड़ा दिखता है जो काफी जाना पहचाना सा दिखता है ।<br />
<br />
आशि तेजी से अपने कमरे से निकल कर सिढ़ियों से नीचे उतरती है और बगीचे के रेस्टोरेंट में पहुंचती है और वहां जिसे देखती है, उसे देख कर अपनी आंखों पर यकिन नहीं होता है, उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वो कोई सपना देख रही हो । वो पीछे से उस शख्स के पास जाकर उसे पुकारती है - विश्वजीत !<br />
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
<br />
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 17)</h2>
<br />
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 17)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<br />
<hr />
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और बाहर पुलिस वाले भी बेबस नज़र आ रहे थे, पुलिस एक बड़ा अधिकारी अपने साथियों से कहता है - रात के अंधेरे में हम कोई कदम उठा नहीं सकते है इसलिए हमें सुबह होने का इंतज़ार करना पड़ेगा, तब तक उपर वाले से दुआ करो की कॉलेज़ के अंदर सब कुछ ठीक -ठाक हो ।<br />
<br />
उधर विश्वजीत अपने प्लान के मुताबिक काम करना शुरु कर देता है । वह अपने सभी साथियों से तैयार रहने को कहता है -<br />
विश्वजीत - तुम सभी तैयार हो ना ?<br />
सभी लोग कहते है - हां..हां ... ।<br />
<br />
विश्वजीत अपनी पैर के आस्तीन से एक छोटी सी बंदुक निकालता है, यह देख कर आशि विश्वजीत से पुछती है<br />
आशि - ये बंदुक तुम्हारी है ?<br />
विश्वजीत - हां ... ।<br />
आशि - बंदुक रख सकते हो पर मोबाईल नहीं ?<br />
<br />
विश्वजीत - (आशि की ओर देख कर ) तुमने ... यहां इस गांव में किसी को मोबाईल चलाते देखा है ?<br />
आशि - (थोड़ी देर सोच कर) नहीं ... इस पर तो मैंनें कभी ध्यान दिया नहीं ... पर हो सकता है की यहां मोबाईल मंहगी होने के कारण लोग इस्तेमाल नहीं करते हों ।<br />
विश्वजीत - नहीं ... यह वजह नहीं है ।<br />
आशि - तो क्या वजह है ?<br />
<br />
विश्वजीत - क्योंकि यहां मोबाईल का नेटवर्क ही नहीं है ।<br />
आशि - अच्छा तो फिर मेरा मोबाईल कैसे काम करता है ?<br />
विश्वजीत - जिसे तुम मोबाईल समझ रही हो वो मोबाईल नहीं है, हमारे देश में मोबाईल की टेक्नोलॉजी अभी इतनी विकसीत नहीं हुई की आम आदमी उसे रख सके ।<br />
आशि - मतलब ?<br />
विश्वजीत - (चीढ़ते हुए) हर बात में मतलब क्यों पुछती हो ?<br />
आशि - ऐसे पुछ लिया नाराज़ क्यों होते हो ?<br />
<br />
विश्वजीत - तुम्हारे पास जो मोबाईल है, वो मोबाईल नहीं बल्कि उसकी शक्ल में एक एडवांस कम्युनिकेशन माईक्रो डिवाईस है, जिसका एंक्रिप्टेड रेडियो सिग्नल सीधे भारतीय सुरक्षा संस्थान की सेटेलाईट से कनेंटेड है, इसे तुम्हारी सुरक्षा के लिए तुम्हें दिया गया था ।<br />
<br />
आशि - (अपने आप में फुसफुसाते हुए) पता नही अभी और क्या क्या जानना बाकि है ?<br />
विश्वजीत - (चारों फौजी की टीम से कहता है) जैसे ही मैं इशारा करुँ तो तो तुम चारों में से एक बिना कोई आवाज़ किए, सबसे उपर छत पर चले जाना और वहां सबसे उपर के दरवाज़े पर कोई ताला नहीं होगा ... दरवाज़ा धीरे से खोलना और वहां उपर एक कक्ष होगा जिसमें दरवाज़ा नहीं होगा ... उस कक्ष में कुछ रस्सियां होंगी ... उन रस्सियों में सबसे बड़े टुकडे को छत के किसी खुंटे से बांध कर बाहर गिरा देना और बाकि पांच लोग में से चार लोग पांचवीं मंज़िल की सबसे पीछे वाले कक्ष में छुपे रहना ... और आशि को सबसे सामने वाली कक्षा में छुपाना ।<br />
<br />
आशि - क्या मैं इन लोगों के साथ नहीं रह सकती ?<br />
विश्वजीत - (आशि को सभी से थोड़ी दुर दुसरे कोने में ले जाकर, धीरे से कहता है )आशि अगर ये लोग तुम्हारे साथ रहे तो मारे जायेंगे ?<br />
आशि - इतना यकिन से कैसे कह सकते हो तुम ?<br />
विश्वजीत - आशि ... यह संघर्ष होगा ये पहले से तय था...<br />
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<br />
आशि - (आश्चर्य से विश्वजीत को देखते हुए) क्या मतलब है तुम्हारा ?<br />
<br />
विश्वजीत आशि की ओर आश्चर्य से देखता है क्योंकि वो फिर से मतलब पुछ रही थी ।<br />
<br />
विश्वजीत - मैं मतलब तो समझा नहीं सकता है... पर मेरा यकिन करो यह संघर्ष होगा ये पहले से तय था, उन आतंकियों को यहां लाया गया है और उनका एक ही मकसद है तुम्हें जिंदा पकड़ना और रास्ते में जो भी आये उसे मिटा देना , ... अगर तुम्हारी जान चली गई तो हम लोगों और उन लोगों में से कोई भी जिंदा नहीं बचेगा और अगर तुम उनके गिरफ्त में आ गयी तो इस कॉलेज़ की एक-एक दीवार गिरा दी जायेगी और फिर धीरे धीरे पुरा गांव नशे की गिरफ्त में आ जायेगा । पर हम इस मुसिबत से निकल सकते है बस हमें अपनी इच्छा शक्ति और काबलियत से इस संघर्ष के परिणाम को अपनी तरफ मोड़ना है, इसलिये मैं जैसा कहता हुँ वैसा करो ।<br />
<br />
इतना कह कर जैसे ही विश्वजीत अपने दुसरे साथियों तरफ जाने के लिए मुड़ता है तो आशि फिर से एक सवाल पुछती है<br />
<br />
आशि - (निराशा भरी मुस्कान के साथ) विश्वजीत ... हम यहां से बच कर निकल तो जाएंगे न ?<br />
विश्वजीत आशि की तरफ वापस मुड़ता है और कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - (आंखों में जोश भरते हुए, गर्व के साथ) एक बात याद रखना आशि ... संघर्ष का हर वो लम्हा जिसमें इतिहास बनता है, वो लहु का प्यासा होता है, ... जान की कुर्बानी तो किसी न किसी को तो देनी ही होगी पर मैं तुम सभी को यहां से सही सलामत बाहर निकाल दुंगा ये मेरा वादा है ।<br />
<br />
आशि - तुम पर पुरा भरोसा है मुझे ।<br />
<br />
इतना कह कर आशि अपनी टीम के साथियों के साथ मिलकर ठीक वैसा ही करती है जैसा विश्वजीत ने कहा था और विश्वजीत अपने टीम के साथियों के साथ दुसरे मंजिल पर जाकर छुप जाता है ।<br />
<br />
प्लान के मुताबिक विश्वजीत को खुद ही अपने छुपने वाले जगह की जानकारी को देनी थी इसीलिए वह भागते समय रास्ते में कई चीज़ें ठोकर मारकर गिरा देता है जिसे दुसरे मंजिल पर खड़े दो आतंकी सुन लेते है और विश्वजीत को ढ़ुंढ़ लेते है ।<br />
<br />
आतंकी विश्वजीत को देखते ही उस पर निशाना साध लेते है, पर इससे पहले की वो गोली चलाते है, विश्वजीत एक चाल चलता है, वो आलिया को अपने बाज़ुओं में जकड़ कर अपनी ढाल बना लेता है और उसके सिर पर बंदुक टीका कर आतंकियों से कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - अगर तुम्हारे तरफ से एक भी गोली चली तो मंत्री के बेटी का भेजा उड़ा दुंगा और फिर न हम रहेंगे और न तुम और ना बचेगा तुम्हारा मिशन, ... सोच लो क्या करना है ।<br />
<br />
आलिया का चेहरा ढ़ँका हुआ था और रात का अंधेरा भी था जिससे आलिया को पहचाना मुश्किल था ।<br />
आतंकी सोच में पड़ जाते है और एक दुसरे से कहते है - ये कैसी चाल है, जो काम हमें करना चाहिए था वो तो ये लोग कर रहे हैं ।<br />
<br />
तभी बाहर से एक आतंकी शोर मचाता हुआ अंदर आता है और पहले आतंकी से कहता है - जनाब ! बारह छत से एक रस्सी लटक रही है, लगता है वो छत पर से उतरने की कोशिश कर रहे हैं ।<br />
<br />
यह सुन कर पहला आतंकी सभी को छत की ओर जाने के लिए है, सभी आतंकी छत की ओर बढ़ते है पर दुसरे मंजिल पर उन्हें अपने दो साथी के सामने विश्वजीत और आलिया दिखाई पड़ते है जिसे सभी आशि समझने लगे थे ।<br />
<br />
इससे पहले की कोई कुछ करता विश्वजीत और आलिया अंधेरे का फायदा उठा कर फिर से छीप जाते है, सारे आतंकी कुछ देर तक विश्वजीत को दुसरे मंज़िल पर ढ़ुंढ़ते है ।<br />
<br />
कुछ देर बाद पांचवी मंज़िल की सामने वाली कमरे में छीप कर बैठी आशि को विश्वजीत अचानक दिखाई पड़ता है जो उसे अपने पास आने का इशारा कर रहा होता है । आशि उसके पास जाती है, उसके हाथों में एक बड़ी बंदूक होती है जिसे देख कर पुछती है -<br />
<br />
आशि - (धीरे से फुसफुसाते हुए) विश्वजीत तुम्हारी छोटी बंदुक इतनी बड़ी कैसे हो गयी ?<br />
पर वो कुछ भी नहीं कहता और अपनी उंगली को अपने होठों पर रख कर चुप रहने का इशारा करता है और कुछ देर बाद वो आशि का हाथ पकड़ कर नीचे की मंजिल को ओर ले जाने लगता है ।<br />
<br />
जैसे वो दोनो चौथे मंजिल पर पहुंचते है तो एक आतंकी उन्हें देख लेता है और बंदुक तान देता है और कहता है - ए लड़के... इस लड़की को हमारे हवाले कर दे नहीं तो गोली चला दुंगा ।<br />
<br />
विश्वजीत के प्लान मुताबिक आशि को अब अपना चेहरा काले कपड़े से ढकना था बिल्कुल आलिया की तरह की और वो ठीक वैसा ही करती है । उन दोनो के सामने खड़ा आतंकी पुरी ताकत से नीचे खड़े अपने साथियों को आवाज़ लगाता है -<br />
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<br />
आतंकी - दोनो मेरे सामने खड़े हैं, जल्दी सब लोग चौथी मंजिल पर आ जाओ ।<br />
पर तीसरी मंजिल पर खड़े दो आतंकी में एक कहता है - क्या बक रहे हो, अरे वो मेरे सामने है तीसरी मंजिल पर और लड़की ने अपना चेहरा काले कपड़े से ढका हुआ है जल्दी सभी लोग यहां आओ ।<br />
<br />
और फिर अंधेरे का फायदा उठा कर वो आतकियों के आँखो से ओझल हो जाते है और शुरु हो जाता है नुकाछुपी का खेल, कभी उन्हें लगता की वो दुसरी, तो कभी तीसरी और चौथी-पाँचवी मंजिल पर है । इस तरह से काफि वक्त गुज़र जाता है और सुबह की किरण निकलने लगती है और कॉलेज़ में धीरे-धीरे उजाला होने लगता है ।<br />
<br />
विश्वजीत आलिया के साथ आतंकियों को भ्रमित कर ही रहा होता है की दिन रोशनी के वजह से उसकी चाल नाकाम होने लगती है और वो पांचवी मंज़िल पर चारों तरफ से आतंकिय़ों से घीर जाता है, सभी आतांकी उस पर एक साथ हमला कर देते है काफि देर तक मुठभेड़ होने के बाद वो थकने लगता है ।<br />
<br />
विश्वजीत आलिया को भागने का इशार करता है, पर आलिया जैसे ही भागती है तो एक आतंकी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागता और आलिया को बचाने के दरम्यान एक आतकीं विश्वजीत को धक्का देता है और विश्वजीत पांचवी मंजिल के खिड़की से बाहर गिर जाता है । आलिया यह देख कर स्तब्ध रह जाती है, पर वो चीख भी नहीं पाती है ।<br />
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 16)</h2>
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शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 16)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<hr />
</div>
पहला आतंकि - (तेज़ आवाज़ में) दो लोग बाह्रर जाने वाले दरवाज़े पर दो बड़ी-बड़ी मेज़ लगाओ ... और उस दरवाज़े पर निशाना साधे रखो ... कोई भी वहां हलचल हो तो गोलियां चला देना । दो लोग इस इमारत की बिजलीघर को ढ़ुंढ़ो और मेन फ्युज़ चेक करके .... ठीक करो ।<br />
<br />
बाकि सारे आतंकि ठीक वैसा ही करते है जैसे पहले आतंकी ने कहा था और तभी बाहर पुलिस आ जाती है और कॉलेज को चारों तरफ से घेर लेती है ।<br />
<br />
पुलिस अपनी फौज़ के साथ कॉलेज को चारों ओर से घेरे हुए लाउड स्पीकर पर घोषणा करती है - इस कॉलेज़ पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया है, ... सभी बच्चों को छोड़ दो और अपने आप को हमारे हवाले कर दो ।<br />
<br />
यह देख कर पहला आतंकी कहता है - (अपने आप से कहते हुए ) लो... ससुराल वाले भी अपनी बेटी की विदाई के लिए आ गये है ।<br />
<br />
पुलिस बच्चों के विद्यालय में छुपे छात्रों को बाहर निकाल लेती है । अब सिर्फ 12 लोग ही आंतकियों के बीच फंसे रहते है ।<br />
<br />
उधर दो आतंकी सभी 12 लोगों को ढ़ुंढ़ते हुए तीसरी मंजिल पर लाईब्रेरी तक पहुंच जाते है पर जैसे ही वो लाईब्रेरी के अंदर जाते ही हैं की पीछे से उन दोनो सिर पर बारी-बारी से हमला होता है और वे दोनो वहीं पर ढ़ेर हो जाते है और किसी को कुछ पता नहीं चलता है ।<br />
<br />
तीसरी मंजिल पर विश्वजीत को जैसे ही पुलिस की आवाज़ सुनाई देती है ... वो झट से आशि से कहता है ...<br />
<br />
आशि तुम अपने पास मोबाईल फोन रखती हो न ?<br />
आशि - हाँ रखती तो हुँ मगर ....<br />
विश्वजीत - मगर क्या ....?<br />
आशि - वो तो नीचे बैग में रखी है ...<br />
विश्वजीत - धत तेरी की ... ।<br />
आशि - क्यों क्या हुआ ?<br />
विश्वजीत - बाहर पुलिस वाले आ गये है... पर वो हमें बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पायेंगें ।<br />
आशि - क्यों ?<br />
विश्वजीत - क्योंकि सिर्फ हम 12 लोगों और उन आतंकियों को पता है कि हम उन आतंकियों कब्ज़े में नहीं है और हम चाह कर भी पुलिस तक यह संदेश नहीं पहुँचा सकते । यह लाईब्रेरी भी इस भवन के ठीक बीचों हैं और इस कक्ष से बाहर निकलने में भी खतरा है ।<br />
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<br />
आशि - पर पुलिस हमें बचाने के लिए कुछ क्यों नहीं करेगी ?<br />
विश्वजीत - क्योंकि आतंकी अब भी पुलिस से वैसे बात करेंगे जैसे कि हम सभी उन आतंकियों कब्जे में हो और वो हमें जब चाहें तब मार सकते है और इस डर से पुलिस अपनी तरफ से हमला करने और कॉलेज़ के अंदर का खतरा नहीं उठाएगी ।<br />
<br />
आलिया - अब क्या होगा ?<br />
विश्वजीत - डरने वाली बात नहीं है ... इस वक्त हमारे पास एक सबसे बढ़िया चीज़ है ... जिस पर अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया ।<br />
<br />
आशि - वो क्या है ?<br />
विश्वजीत - जरा अपने अपने कपड़ों की ओर देखो ।<br />
<br />
सभी लोग अपने कपड़े देखने लगते है पर किसी को कुछ समझ में नहीं आता ।<br />
<br />
आलिया - क्या खास बात है हमारे कपड़ों में ?<br />
विश्वजीत - खास बात है आलिया... तुम सभी लड़कियों ने एक जैसी ड्रेस पहनी है और सभी लड़कों ने एक जैसी ड्रेस ।<br />
<br />
आलिया - हां हम सभी लड़कियों ने स्वागत नृत्य के लिए एक जैसे कपड़े पहने थे...<br />
<br />
एक फौजी - ...और हम लड़कों ने नाटक के लिये ... पर इससे फायदा क्या है ?<br />
<br />
विश्वजीत - फायदा है ... मेरे पास एक आडिया है ... यहां से बाहर निकलने का ... इसमें थोड़ा रिस्क है,... पर मुझे पुरा यकिन है कि ये काम करेगा ।<br />
<br />
उधर आतंकी कॉलेज़ के बिजली वाले कक्ष को ढ़ुंढ़ लेते है पर जैसे वो फ्युज़ को जोड़ कर बिजली को जोड़ते है, फ्युज़ वास्तव में जल जाती है और ऐसा बार होने लगता है और बिजली नहीं आती है ।<br />
<br />
आलिया और आशि एक दुसरे से धीमी आवाज़ में बातें करते है कि - विश्वजीत का आइडिया काम करने लगा है बिजली वाकई में बार बार चली जा रही है ।<br />
<br />
बिजली के कक्ष में काम कर रहे आतंकी कई बार प्रयास करते है पर उन्हें सिर्फ नाकामी हाथ लगती है काफि देर होने के बाद थक हार कर वो वापस पहले आतंकी के पास आकर सारी बात बताते हैं ।<br />
<br />
इस बात से बौखला कर पहला आतंकी कहता है - यह इन लोगों की कोई चाल है ... ज़रुर कोई गड़बड़ है ... ।<br />
दुसरा आतंकी - जनाब! बाहर पुलिस भी आ चुकी है ... लेकिन हम पर हमला नहीं कर रही है, इसका मतलब है कि यहां की मौजुदा हालात के बारे में उन लोंगों को कुछ नहीं पता है... नहीं तो वो अब तक हम पर हमला कर देते ।<br />
<br />
पहला आतंकी - तुम सही कह रहे हो ।<br />
दुसरा आतंकी - मंत्री की बेटी और उन लडकों को ढ़ुंढ़ने से ज्याद बेहतर है पुलिस को गुमराह करना ।<br />
पहला आतंकी - कहने का मतलब क्या है तुम्हारा ?<br />
दुसरा आतंकी - जनाब ! जिस तरह से वो हमें लाउडस्पीकर पर आगाह कर रहें है ... उसी तरह बदलें में हम भी उन्हें इस इमारत से 50 मीटर दुरी बनाए रखने के लिए आगाह कर देते है ।<br />
पहला आतंकी - ऐसा करने से होगा क्या ?<br />
दुसरा आतंकी - वो 12 लोग जो यहां छुपे है उनके पास कोई भी तरकीब नहीं है पुलिस तक अपना पैग़ाम पहुँचाने का ... पर पुलिस इमारत के ज्यादा नज़दीक़ आ गई तो फिर उन्हें यहां के हालात की भनक लग जायेगी और वो हम पर हमला कर देगी ।<br />
<br />
पहला आतंकी - ह्म्म्म ... तुम सही कर रहे हो । इन पुलिस वालों को गुमराह करना जुरुरी है ... उसके बाद देखंगे की क्या करना है ।<br />
<br />
थोड़ी देर बाद पहला आतंकी भी चिल्ला कर पुलिस वालों को चेतावनी देता है - सभी पुलिस वालों ध्यान से सुनों ... सभी लोग इस कॉलेज़ के बाहरी दिवार से 50 मीटर पीछे चले जाओ और कोई चालाकी करने की कोशिश नहीं करना नहीं तो यहां सभी बंदकों को जान से मार दुंगा ।<br />
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<br />
सभी पुलिस वाले पीछे हट जाते है ।<br />
<br />
पहला आतंकी अपने साथी आंतकियों से कहता है - तुम सभी में से कुछ लोग बाहर जाओ और बाहर से इस इमारत पर नजर रखों ... अगर कोई भी बाहर जाने या अंदर आने की कोशिश करे तो उसे गोली मार देना ।<br />
इधर विश्वजीत अपना प्लान बना लेता और सभी को समझा देता है । प्लान के मुताबिक सभी 12 लोग 6-6 की अलग-अलग टीम बनाते है, एक टीम में आशि, रानी के साथ चार फौजी होते है और दुसरी टीम में विश्वजीत, आलिया, नैना, अन्य दो छात्र और एक फौजी ।<br />
<br />
विश्वजीत और आशि को छोड़ कर सभी लोग अपने चेरहे को कपड़े से ढंक लेते है सिर्फ उनकी आँखें ही दिखाई देती हैं ।<br />
<br />
विश्वजीत - (सभी लोंगों से पुछते हुए ।) मैंने जो प्लान समझाया है तुम लोग समझ गये हो ना ?<br />
सभी लोग - हाँ हाँ ... हम सभी समझ गये हैं ।<br />
<br />
विश्वजीत - हमारा मकसद आशि को यहां से बाहर निकालना है और अगर हम ये करने में कामयाब हो जाते है तो हम सभी बच जायेंगें ... पर सबसे अहम काम ये है कि अब कुछ ही देर में सुबह होने वाली है और हमें यह काम रात के अंधेरे में ही करना होगा क्योंकि सुबह के उजाले में हमारी योजना नाकाम हो जाएगी ।<br />
<br />
उधर नीचे पहला आतंकी अपने अन्य साथियों से कहता है - उस छुपे हुए कमांडो ने रात के अंधेरे का अच्छा फायदा उठाया है ... और हमारा बहुत नुकसान किया है... कुछ भी हो हमें अपने मंसुबे में कामयाब होने के लिए सुबह होने का इंतजार करना पड़ेगा तब तक किसी भी तहर इस हालात को अपने काबु से बाहर नहीं होने देना है ।<br />
<br />
और बाहर पुलिस वाले भी बेबस नज़र आ रहे थे, पुलिस एक बड़ा अधिकारी अपने साथियों से कहता है - रात के अंधेरे में हम कोई कदम उठा नहीं सकते है इसलिए हमें सुबह होने का इंतज़ार करना पड़ेगा तब तक उपर वाले से दुआ करो की कॉलेज़ के अंदर सब कुछ ठीक -ठाक हो ।<br />
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 15)</h2>
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शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 15)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
<br />
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<br />
<hr />
</div>
तभी रमन का ध्यान भटक कर विश्वजीत की ओर जाता है और इतने में फिर कहीं से गोली चलने की आवाज़ आती है और अगले ही पल में रमन के सिर के चिथड़े उड़ जाते है और विश्वजीत बड़ी ही तेजी से आशि की ओर झपटता है और जोर से चिल्लाते हुए कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - सभी फर्श पर लेट जाओ...<br />
<br />
आशि फर्श पर गिर जाती है, विश्वजीत आशि के उपर आकर उसे ढंक लेता है और इसी बीच बम एक हल्का सा धमाका होता है चारों ओर धुआँ ही धुआं छा जाता है और किसी को कुछ भी दिखाई नहीं देता ... सभी आतंकी कुछ पलों में संभलते है और फर्श पर अंधाधुन गोली चलाने लगते है ...<br />
<br />
तभी पहला आतंकी ज़ोर से चिल्लाता है - रूक...जाओ ।<br />
<br />
अचानक गोलियों की आवाज़ थम जाती है, अब कमरे में चारो ओर केवल तीन चीज़ें फैलीं थी - धुंआ, बारुद की दुर्गंध और सन्नाटा । जब धुआँ छटता है तो वहां फर्श पर केवल रमन और बहादुर की लाश पड़ी होती है और वहां से सभी लोग भाग कर छुप जाते है ।<br />
<br />
विश्वजीत समेत सभी 12 लोग दुसरे मंजिल की एक कक्षा में जाकर छुप जाते हैं । विश्वजीत जाते जाते अपनी टेडी बीयर को साथ में लेना नहीं भुलता है ।<br />
<br />
एक फौजी विश्वजीत से कहता है - विश्वजीत हमें दरवाज़ा खोल कर बाहर भाग जाना चाहिए था ... हम यहां आकर और भी ज्यादा फंस गये हैं ।<br />
<br />
विश्वजीत - नहीं... ये पागलपन होता, पहला ज़ोखिम तो बाहर का दरवाज़ा खोलने में था और अगर दरवाज़ा खुल भी जाता तो बाहर अंधेरा था...वो आतंकी बिना सोचे हम पर गोलियां चला देते और कोई भी नहीं बचता है ।<br />
<br />
दुसरा फौजी - अब हमें उनसे हर हाल में छुप कर रहना होगा ... (आशि की तरफ देख कर ) नहीं तो आशि के सिवा हम में से कोई नहीं बचेगा ।<br />
<br />
रानी - (आश्चर्य से फौजी की तरफ देखते हुए) क्यों !<br />
<br />
विश्वजीत - क्योंकि उनका मिशन सिर्फ आशि को ज़िंदा पकड़ना है बाकि हम में से कोई भी उनके लिए मायने नहीं रखता है ।<br />
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उधर सबसे निचली मंज़िल पर आतंकी इस घटना से काफि गुस्से में थे -<br />
<br />
पहला आतंकी - (अपने एक आदमी से) ए ... बाहर जाने का दरवाज़ा देखो ।<br />
<br />
एक आतंकी बाहर जाने के मुख्य दरवाज़े की जांच करता है और कहता है - जनाब ! यहां दरवाज़ा अंदर से ही बंद है ।<br />
<br />
पहला आतंकी - इसका मतलब वो सभी इसी इमारत में कहीं छुपे हुए है, पुरे इमारत में पांच मंजिले है सभी की तलाशी करो,... पर चौकन्ने रहना अब उनके पास हथियार भी है और हम पर वो हमला भी कर सकते है ... याद रहे की हमें मंत्री की बेटी को जींदा पकड़ना है बाकि बीच में जो भी आये सभी को खत्म कर दो ।<br />
<br />
इधर विश्वजीत और बाकि सभी लोग कॉलेज़ से सुरक्षित बाहर निकलने की योजना बना रहे थे -<br />
आशि - तो अब क्या करें ।<br />
विश्वजीत - (सभी से कहता है) तुम लोगों के पास घड़ी है न ?<br />
सभी लोग - हां... हां... हम सभी के पास है ।<br />
विश्वजीत - बहुत बढ़िया ... अब सभी घड़ी लोग अपने अपने घड़ी की समय एक साथ मिला लो ?<br />
आशि - ठीक है ... पर इससे होगा क्या ...?<br />
विश्वजीत - देखो आशि ... इससे होना कुछ नहीं है पर ... अगर इसकी जरुरत आ पड़ी तो हमें पहले से तैयार रहना होगा ।<br />
सभी लोग अपनी अपनी घड़ी के समय एक दुसरे से मिला लेते हैं ।<br />
<br />
विश्वजीत - (सभी से पुछता है) तुम लोगों में से किसी के पास सिक्का है ?<br />
सभी लोग - नहीं ... ?<br />
विश्वजीत इधर उधर अपनी नज़र घुमा कर देखता है तभी उसकी नजर आलिया के कानो के बालियों पर पड़ती है जिसका आकार बिल्कुल सिक्के जैसा था ...<br />
विश्वजीत - आलिया तुमने कान में जो कानो की बालियों पहनी हैं वो किस धातु की है ?<br />
आलिया - सोने की ?<br />
विश्वजीत - (मुस्कुराते हुए) बहुत खुबसुरत हैं ... !<br />
<br />
आशि - विश्वजीत तुम्हें इस वक्त मज़ाक सुझ रहा है ...?<br />
विश्वजीत - (बीच मे टोकते हुए) नहीं नहीं ... मैं तो बस ये जानना चाह रहा था कि आलिया को अपनी जान प्यारी है या अपने कानों की बालियां ?<br />
आलिया - (खीज़ कर) विश्वजीत... ? क्या कहना चाहते हो ?<br />
<br />
विश्वजीत - तुम मुझे अपनी एक कान की बाली दे दो ... इसके बाद मैं सभी को यहां से सही सलामत बाहर निकालने का रास्ता ढ़ुढ़ुंगा?<br />
आलिया - (अपने एक कान की बाली खोलते हुए) एक कान की क्या दोनो कान की बाली ले लो पर हमें बचा लो ।<br />
<br />
आलिया अपनी एक कान की बाली खोल कर विश्वजीत को दे देती है । विश्वजीत बिना देर किये कान की बाली में से सिक्केनुमा पट्टी को अलग करता है और कक्षा के मेज़ पर रखे टेबल लेम्प के बल्ब को निकाल कर होल्डर में उस सोने का सिक्का को डाल कर बल्ब को वापस लगा देता है ।<br />
<br />
आलिया - विश्वजीत इससे क्या होगा ... ?<br />
विश्वजीत - इससे यहां की बिजली में शार्ट सर्किट होगा ... और मेन फ्युज़ जल कर डिस्कनेक्ट हो जायेगा और ... ।<br />
आशि - (बीच मे टोकते हुए) और ... बिजली चली जाएगी ... वाह काफि तेज़ दिमाग है तुम्हारा ... और उन आतंकियों को फ्युज़ जोडना तो आता नहीं होगा क्यों ? (एकाएक गुस्से से) एक दम वाहियात आडिया है ... बिजली दो मिनट में वापस आ जायेगी ... कोई फायदा नहीं होगा इससे ।<br />
<br />
विश्वजीत - आशि ... थोडा सब्र करो ... मैं जानता हुं की फ्युज़ को जोडने में ज्यादा से ज्यादा दो मिनट लगेंगें पर जब तक ये सोने का सिक्का यहां लगा है फ्युज़ बार बार जल जायेगा और हमें कोई दुसरी तरकीब सोचने का वक्त मिल जायेगा ।<br />
<br />
सभी लोग - आशि... विश्वजीत ठीक कह रहा है ... इससे काम बन सकता है ... ।<br />
आलिया - (आशि के कान फुसफुसा कर) सच में इसका दिमाग तो काफि तेज़ है !<br />
<br />
विश्वजीत अपनी टेडी बीयर आशि को देकर कहता है - इसे अपने पास रखना... संभाल कर ... कुछ भी हो इसे खोना मत ।<br />
आशि अपना सिर हिलाकर हां मे जवाब देती है ।<br />
<br />
विश्वजीत टेबल लेम्प के प्लग को स्वीचबोर्ड से जोड़ता है और सभी की ओर देख कर कहता है - जैसे ही मैं स्वीच दबाउंगा बिजली चली जायेगी फिर हममें से कोई भी आवाज़ नहीं करेगा ... और हम सभी एक साथ बिना कोई शोर किये तीसरी मंज़िल पर चले जायेंगे ... ठीक है ?<br />
<br />
सभी लोग एक साथ धीमी आवाज़ में - हां ... हां बिल्कुल ठीक ।<br />
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विश्वजीत स्वीच दबाता है और पुरे कॉलेज़ की बिजली चली जाती है ।<br />
<br />
निचली मंज़िल एक आतंकी खिड़की से बाहर झाँक कर देखता है और बाहर लगे बिजली के खँभे को देख कर कहता है - जनाब ! बाहर खम्भे की बत्ती जल रही है यानि बिजली है... सिर्फ इसी इमारत की बिजली गई है ।<br />
<br />
पहला आतंकी समझ चुका था यह बिजली का शॉर्ट सर्किट है वह अपने आदमियों से कुछ कहने ही वाला होता है कि उसे अपने बगल में खड़े साथी आतंकी के सिर पर लाल लेज़र की रोशनी दिखाई देती है पर इससे पहले की वह कुछ भी कह पाता, गोली चलने की एक तेज़ आवाज़ आती है और उसके साथी आतंकी का सिर के चिथड़े उड़ जाते है ।<br />
<br />
दुसरी मंज़िल पर भी सभी लोग गोली के धमाके कि आवाज़ सुनते है, तभी आशि कहती है - ये गोलियां कौन चला रहा है ?<br />
<br />
इससे पहले की कोई आशि के बात का जवाब देता विश्वजीत फुर्ती से खड़े होकर कहता है - जो भी हो, यही मौका तीसरी मंजिल पर जाने का ... चलो जल्दी करो ।<br />
<br />
उधर सारे आतंकियों अफरा तफरी मच जाती है तभी उस अंधेरे और शोर का फायद उठा कर विश्वजीत सभी को तीसरी मंजिल पर ले कर चला जाता है और सभी लाईब्रेरी में छुप जाते हैं ।<br />
<br />
पहला आतंकि - (तेज़ आवाज़ में) दो लोग बाह्रर जाने वाले दरवाज़े पर दो बड़ी-बड़ी मेज़ लगाओ ... और उस दरवाज़े पर निशाना साधे रखो ... कोई भी वहां हलचल हो तो गोलियां चला देना । दो लोग इस इमारत की बिजलीघर को ढ़ंढ़ो और मेन फ्युज़ चेक करके ठीक करो।<br />
<br />
बाकि सारे आतंकि ठीक वैसा ही करते है जैसे पहले आतंकि ने कहा था और तभी बाहर पुलिस आ जाती है और कॉलेज को चारों तरफ से घेर लेती है ।<br />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 14)</h2>
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शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 14)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
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</div>
<br />
<hr />
</div>
पहला आंतकी - दो...,<br />
<br />
सभी के दिलों की धड़कने तेज़ हो ज़ातीं है ... धीमी-धीमी आवाज में सभी छात्रों के मुहँ से डर से भरी सिस्कियां निकलने लगती है । दुसरा आतकीं विश्वजीत के सिर पर बंदुक ताने हुए ट्रीगर दबाने को तैयार हो जाता है ...<br />
<br />
पहला आंतकी - तीन...,<br />
<br />
बंदुक की ट्रीगर दबती है और गोली चलने की आवाज़ भी आती है पर विश्वजीत के सिर पर बंदुक ताने दुसरा आतकीं खुद ही मुँह के बल ज़मीन पर गिर पड़ता है ... उसके सिर पर एक बड़ी गोली के आघात से बना बड़ा सा घाव साफ-साफ दिखता है । यह देख कर पहला आंतकी ज़ोर से चिल्लाता है -<br />
<br />
पहला आंतकी - वो यहीं पर है ....<br />
<br />
इससे पहले कोई कुछ भी समझ पाता ... बिजली की फुर्ती से विश्वजीत दुसरे आंतकी का बंदुक उठाकर पहले आतंकी पर तान देता है और बंदुक की नली को उस आतंकी के मुँह में घुसेड़ कर जोर से कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत (गुस्से से) - मेरे एक गिनने से पहले तुम्हारे आदमियों ने बदुंके नही फैंकी तो तेरे थोबड़े का वो हाल करूँगा की पता ही नहीं चलेगा कि ये थोबड़ा किसी आदमी का था या फिर कुत्ते की मौत मारे गये किसी कुत्ते का ।<br />
<br />
पहला आंतकी तुरंत सभी को आदेश देता है और सभी आतंकी अपनी-अपनी बंदुके जमीन पर फैंक देते है । विश्वजीत उस आतंकी के मुँह से बंदुक निकाल कर उसकी कनपट्टी पर लगाता है ।<br />
<br />
विश्वजीत को इतनी सफाई से बोलते देख कर आशि और बाकि के सभी छात्र हैरान हो जाते है और वो समझ जाते है कि विश्वजीत भी एक फौजी है ... पहला आतंकी गुस्से से विश्वजीत को चेतावनी देता है -<br />
<br />
पहला आंतकी - बच्चे ! ये गलती तुम्हें बड़ी मँहगी पड़ेगी ।<br />
<br />
विश्वजीत - मैं गलती करते वक्त अजांम का साईज़ नहीं देखता हुँ... पर तुझे दिख रहा होगा कि बाज़ी पलट गयी है, तो अब जितनी देर तक तु अपना मुँह बंद रखेगा ... तेरे जींदा रहने आसार उतने बढ़ेंगे ।<br />
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सभी छात्रों में पांच फौजी थे, विश्वजीत सभी फौजियों को आतंकियों की बंदुके उठाने को कहता है और कॉलेज़ के भवन के बाहर जाकर, आतंकियों की गतिविधि का मुआएना करने को कहता है ।<br />
<br />
पांचों फौजी बाहर की स्थिति का विस्तार से जायजा लेते है पर बाहर उन्हें न कोई आंतकी मिलता है और न कोई गड़बड़ी, सभी फौजी विश्वजीत को बाहर सब ठीक होने का इशारा करते हैं -<br />
<br />
विश्वजीत सभी छात्रों से कहता है - दोस्तों मेरी बात ध्यान से सुनों, बाहर रात हो चुकी है औरे अंधेरे में खतरा भी हो सकता है इसीलिए सभी लोग धीरे-धीरे कॉलेज़ भवन से बाहर निकल कर बगल के बच्चों के विद्यालय के भवन में जायेंगें ... याद रखना... कि किसी को घबराना नहीं है और जल्दबाज़ी में कोई गलती नहीं करनी है,... हिम्मत से काम लो मैं तुम्हारे साथ हुँ ... ठीक है ? (आशि की तरफ देखते हुए) आशि... तुम भी सभी के साथ जाना और सभी लोग एक साथ रहना और अंदर से दरवाज़ बंद कर लेना ।<br />
<br />
विश्वजीत रमन को बुलाता है -<br />
<br />
विश्वजीत - रमन यहां आओ और ज़मीन पर पड़ी इस पिस्टल को उठाओ...सावधानी से यह लोडेड है, तुम भी सभी के साथ जाओ और (पिस्टल की ओर इशारा करते हुए) इसे अपने पास रखना ।<br />
<br />
रमन पिस्टल उठाता है, सभी छात्र एक करके निकलने लगते हैं आशि सबसे पीछे रहती है और रमन आशि के पीछे चलता है, तभी अचानक रमन आशि को पीछे खींच कर दबोच लेता है और आशि के गर्दन को अपने एक बाज़ु में फंसा कर उसके सिर पर बंदुक की नली टीका देता है और विश्वजीत से कहता है -<br />
<br />
रमन - कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा, विश्वजीत अपनी बंदुक नीचे फैंक... नहीं तो इसकी खोपड़ी उड़ा दुंगा... और हां एक आदमी बाहर जाने का दरवाज़ा बंद करो ।<br />
<br />
एक आतकीं बाहर जाने के मुख्य दरवाज़े को अंदर से बंद कर देता है । अब कॉलेज के हॉल में आशि,रानी, आलिया, नैना, विश्वजीत, पांच फौजी और दो अन्य छात्र, कुल मिला कर 12 लोग आतंकियों के कब्ज़े में थे ।<br />
<br />
विश्वजीत रमन के इस रुप को देखकर हैरान हो जाता है और उससे कहता है - रमन मेरे भाई ये क्या कर रहे हो ? छोड़ दो आशि को ... उसे जाने दो ।<br />
<br />
रमन - छोड़ दुँ ?.. म्म्म ? ... छोड़ दुँ और इसे ? ... अरे यही तो हमारा मिशन है, ... यही तो इस बात की गांरटी है की हमारी माँगे जरुर पुरी होंगी ... बंदुक हटा ... मैंने कहा - बंदुक हटा... सुनाई नहीं देता तुझे ?<br />
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आशि डर के मारे कुछ भी कर नहीं पाती है, उसे देखकर विश्वजीत तुरंत ही अपनी बंदुक ज़मीन पर फैंक देता है और सारे फौजी साथियों को भी बंदुकें ज़मीन पर फैंकने का इशारा करता है, सभी फौजी अपने हाथ में लिए बंदुको को ज़मीन पर फैंक देते है ... विश्वजीत रमन की ओर देखकर कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - तो तु इनके साथ मिला हुआ है ? पहली बार गलती हुई आदमी पहचानने में ।<br />
<br />
रमन - (अपने दांत पीसते हुए) अब जाके सही पहचना तुने मुझे ... (आशि की तरफ इशारा करते हुए) ... अरे इसे तो हम उसी दिन दुकान में ही अगवा कर लेते, जिस दिन तुम लोग शहर घुमने गये थे, पर पता नहीं हमारे तीन आदमी वहां कैसे मारे गये ?<br />
<br />
आशि रमन की बात सुनकर सोचती है कि उस दिन दुकान में केवल दो लोग मारे गये थे, तो तीसरा कौन और कहाँ था...<br />
<br />
रमन - पता है बहादुर वापस यहाँ क्यों आया था ? जब तुने उसे पुलिस के पास जाने को कहा था तो बेचारा वो ठीक थाने जा रहा था ... पर रास्ते में मैंनें उसे उकसाया कि मुसीबत में तु अपने दोस्त का साथ छोड़ के जा रहा है ? कैसा दोस्त है रे तु ?... (हंसी उडाते हुए) ... हा हा हा हा... साला बेवकुफ उल्टे पांव यहां पर आ गया और यहां आकर उसने ये राज़ भी उगल दिया की वही ट्वीस्टर ट्वींस टीम का कमांडो है ... साला बेमौत मारा गया ।<br />
<br />
इस बीच पहला आतंकी ज़मीन पर पड़ी बंदुक उठाता है और बंदुक की हैंडल से विश्वजीत के पीठ पर कई बार प्रहार करता है, फिर भी विश्वजीत रमन की ओर देख कर अपनी बात कहता ही रहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - तुम्हारे वज़ह से मेरे दोस्त बहादुर की जान चली गई ... सभी का हिसाब चुकाना पड़ेगा तुझे ।<br />
<br />
पहला आतंकी (विश्वजीत के पीठ पर प्रहार करते हुए) - साले हिसाब चुकाएगा तु ... तेरे सामने ही तेरे एक-एक दोस्त को कुत्ते की मौत मारुँगा और अंत में तेरा खेल खत्म करुंगा ।<br />
<br />
आशि यह देख कर कहती है - प्लीज़ उसे छोड़ दो ... मत मारो मेरे विश्वजीत को ... (रोते हुए )... ।<br />
<br />
आशि की बात सुन कर विश्वजीत दर्द में भी मुस्कुराने लगता है । पहला आतंकी पागलों की तरह विश्वजीत पर प्रहार करता ही जाता है और आशि के पास ये सब देख कर रोने के आलाव कोई चारा नहीं रहता है ।<br />
<br />
रमन - (आशि की गर्दन पर अपनी पकड़ मजबुत करते हुए चिल्लाकर कहता है ) ट्वीटर ट्वींस ... कमांडो हम जानते हैं तुम यहीं हो ... आखरी बार कह रहें है तुम हमारे सामने आ जाओ ।<br />
<br />
तभी विश्वजीत की नज़र अपने टेडी बीयर पर पड़ती है, उस टेडी बीयर की दोनो आँखे कभी लाल तो कभी हरी हो रही थी ...और अचानक उस टेडी बीयर की दोनो आँखें लाल हो जाती है ... यह देख कर विश्वजीत पुरी ताकत के फुर्ती से खडा होता है और<br />
<br />
तभी रमन का ध्यान भटक कर विश्वजीत की ओर जाता है और इतने में फिर कहीं से गोली चलने की आवाज़ आती है और अगले ही पल में रमन के सिर के चिथड़े उड़ जाते है और विश्वजीत बड़ी ही तेजी से आशि की ओर झपटता है और जोर से चिल्लाते हुए कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - सभी फर्श पर लेट जाओ...<br />
<hr />
<div style="text-align: center;">
कहानी आगे जारी रहेगी...
<br />
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 13)</h2>
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शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 13)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<br />
<hr />
</div>
विश्वजीत पुरी सावधानी से अंदर तो जाता है पर बदकिस्मती से वो आतंकियों के कब्ज़े में आ जाता है और उसे भी उन्हीं के बीच में बैठा दिया जाता है जहां सारे लोगो बैठे होते है ।<br />
<br />
एक आतंकी सभी विद्यार्थियों के सामने आकर कहता है -<br />
<br />
आतंकी - मेरा तुम लोगों से कोई लेना देना नहीं,...पर तुम्हारी सरकार से लेना देना है, और जब तक तुम लोग डरोगे नहीं तब तक तुम्हारी सरकार हमारी बात सुनेगी नहीं, इसलिए तुम सब डरो, पर ऐसा कुछ मत करना जिससे तुम्हें अपनी जान गवाँनी पड़े ।<br />
<br />
यह बात सुन कर सभी और घबरा जाते हैं और चिखने चिल्लाने लगते है ।<br />
<br />
आतंकी - (हवा में एक फायर करते हुए) जितना शांत रहोगे उतनी आसान मौत मिलेगी और क्या पता शायद जिंदा भी बच सकते हो, इसीलिए अच्छे बच्चों की तरह पेश आओ समझे ? .... (चिल्लाकर) समझेएएएए ?<br />
<br />
पुरा हॉल उस आतंकी के गर्जन से गुँज उठता है और सभी शांत हो जाते है, एकदम से सन्नाटा छा जाता है । तभी वह आतंकी फिर से कहता है -<br />
<br />
पहला आतंकी - मेरे दो सवाल है ...पहला कि मुझे पता है कि तुम लोगों में से कुछ फौजी के जवान भी है जो यहां शागिर्द बनने का ढोंग कर रहे हैं... तो शराफत से खड़े हो जाओ नहीं तो मैं सभी को दोज़ख के रास्ते दिखा दुंगा ।<br />
<br />
तो पांच विद्यार्थी खड़े हो जाते है, सभी को यह देख कर हैरत होती है कि उनके साथ आर्मी के जवान भी पढ़ाई कर रहे थे । दुसरा आतंकी विश्वजीत से पुछता है -<br />
<br />
दुसरा आतंकी - ये तेरे हाथ में क्या है ?<br />
विश्वजीत - य..य...ये..ख...खिलौना है ।<br />
(सभी आतंकी ज़ोरदार ठहाके लगाकर हँसते है)<br />
दुसरा आतंकी - (विश्वजीत से) यहाँ पढ़ने आते थे या खेलने ? हा...हा...हा ।<br />
<br />
पहला आतंकी - मेरा दुसरा सवाल है कि तुम लोगों में दो अंडर कवर बैटल फिल्ड स्नाईपर भी है ... तो दोनो शराफत से अपना चेहरा दिखा दो ।<br />
<br />
पहला आतंकी कुछ देर इंतज़ार करता है और फिर कहता है -<br />
<br />
पहला आतंकी - (सभी छात्रों की ओर देखते हुए, जोर से दहाड़ते हुए) ट्वीस्टर ट्वींस कमांडोज़ ... मैं जानता हुँ कि तुम यहीं हो,... अपने आप को मेरे हवाले कर दो ।<br />
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सभी छात्र एक दुसरे का चेहरा देखते है, उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि वो आतंकी क्या कह रहे थे ? ट्वीस्टर ट्वींस से सभी लोग अंजान थे, ट्वीस्टर ट्वींस कमांडोज़ में से कोई भी सामने नहीं आता है, तभी अचानक दुसरा आतंकी विश्वजीत के सिर के बालों को पकड़ कर बड़ी ही क्रुरता से घसीटते हुए पहले आंतकी के पास लाता है और उस पर बंदुक तान देता है ।<br />
<br />
पहला आतंकी - मैं तीन तक गिनुंगा और अगर... ट्वीस्टर ट्वींस ...तुम हमारे सामने नहीं आये तो हर एक तीन की गिनती पर... मैं एक-एक को गोलियों से भुनना शुरु करुँगा ।<br />
<br />
पहला आतंकी - एक ... (उस आतंकी की आवाज़ सन्नाटे को चीरते हुए कॉलेज़ के हर एक कोने से टकरा कर गुंजती है ) दो ... (विश्वजीत अपनी दोनो आंखें बंद कर लेता है और जैसे तीन के गिनती पुरी होने वाली होती है कि पीछे के कमरे से एक आवाज आती है जो काफि देर तक गुंजती है - रुको ... ।)<br />
<br />
सभी लोग उस कमरे की दरवाज़े पर देखते है और कुछ ही पलों में उस कमरे से उस आवाज़ का मालिक बाहर निकलता है और उसे देख कर सभी भौंचक्के रह जाते है वहाँ कोई और नहीं बल्कि बहादुर रहता है, जैसे ही विश्वजीत बहादुर को देखता है तो उसके होश उड़ जाते है, वह आतंकी की पकड़ से छुटने के लिए बहुत छटपटाता है और ज़ोर से चिल्ला कर कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - भाग ... बहादुर भाग जा...<br />
<br />
पहला आतंकी - तो ये है ट्वीस्टर ट्वींस कमांडो ...(जोर से चिल्ला कर अपने आदमियों से कहते हुए ) भुन डालो इसे ....<br />
<br />
विश्वजीत - भाग ... बहादुर भाग जा... ये लोग तुझे मार डालेंगें ... भाग बहादुर...(आतंकी की तरफ देख कर) ...ए... अरे वो कोई कमांडो नही है ... झुठ बोल रहा वो... ।<br />
<br />
इससे पहले की कोई भी कुछ भी कर पाता, दुसरा आतंकी बिना कुछ सोचे समझे बहादुर पर तड़ातड़ गोलियां चला देता है । गोलियों की आवाज से वहां मौजुद सभी छात्र डर जाते हैं और चिखने चिल्लाने लगते है । पुरा कॉलेज़ फिर से डर और भय के शोर से गुंजने लगता है ।<br />
<br />
बहादुर के सीने पर कई गोलियां लग जाती हैं और वो खड़े ही खड़े ज़मीन पर गिर जाता है और यह देख कर विश्वजीत किसी भी तरह आतंकी की पकड़ से छुट कर बहादुर की तरफ भागता है,...आनन-फानन में दुसरा आतंकी पीछे से विश्वजीत पर बंदुक तान देता है, पर इससे पहले की वो गोली चलाता, पहला आतंकी उसे इशारे से मना कर देता है और खुद हवा में एक फायर करके सभी को खामोश रहने के लिए कहता है ।<br />
<br />
एकाएक शोर से भरा पुरा माहौल संन्नाटे में बदल जाता है पर तब तक विश्वजीत बहादुर के पास पहुंच जाता है ।<br />
विश्वजीत ज़मीन पर पड़े बहादुर का सिर अपने गोद में लेकर रोते हुए कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - (रोते हुए) साले..., मैंनें तुझे वापस आने को मना किया था ना ? तुने मुझे बचाने के लिए अपनी ज़ान क्यों खतरे में डाल दी ?<br />
<br />
बहादुर में अब भी थोड़ी जान बाकि थी, वो विश्वजीत से कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - ए...भाए तुने ही कहा था न दोस्ती में कुछ लेना देना नहीं होता है बस निभाना होता है...वैसे भी मेरे जिस्म को तो नशे ने खोखला करके कब का मार दिया था ... बस आज रुह आज़ाद हो जाएगी ...ए... भाए एक बात बोलुँ गुस्सा नहीं करेगा ना ...?<br />
<br />
विश्वजीत - ए... तु कुछ मत बोल रुक ... बस तु रुक... (चारो तरफ देख कर गिड़गिडाते) ए... कोई डॉक्टर को बुला दो ... डॉक्टर को बुला दो ना ...अरे कोई इसको डॉक्टर के पास ले चलो ...(बहादुर की तरफ देख कर) बहादुर तु हौसला रख, तुझे कुछ नहीं होगा ... (वह बहादुर को उठाने की कोशिश करता है )...<br />
<br />
बहादुर - (विश्वजीत को बीच में ही टोकते हुए) अरे ...रे भाए अब कुछ नहीं हो सकता ...एक बात बोलुं... अपने दिल की बात भाभी को जरुर कहेगा न...।<br />
<br />
विश्वजीत अपना सिर हिलाकर हां में जवाब देता है ।<br />
<br />
बहादुर - ए...भाए जानता मेरा नशा इतनी आसानी से कैसे छुठ गया ... क्योंकि तेरी दोस्ती में ना ... उस हीरोईन से ज्यादा नशा था...।<br />
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विश्वजीत के हाथों बहादुर दम तोड़ देता है, विश्वजीत की सिस्कीयां और बहादुर की आखरी सांसें दोनो थम जाती है और बहादुर के शांत शरीर को अपने गले से लगाए विश्वजीत एकदम शांत हो जाता है वो अपनी निगाहें झुका कर फर्श की ओर एक टक देखता ही जाता है ।<br />
<br />
विश्वजीत और बहादुर की बातों पर कोई आतंकी ध्यान नहीं देता हैं और पहला आंतकी फिर से कहता है -<br />
पहला आंतकी - (ज़ोर की आवाज़ में) एक गया और एक बाकि है ... ।<br />
<br />
यह सुन कर विश्वजीत के चेहरे पर भाव तेजी से बदल रहे थे, ऐसा लग रहा था...कि जैसे उसके अंदर बदला लेने कि भावना जाग रही थी ।<br />
<br />
फिर से दुसरा आतंकी बड़ी ही क्रुरता से विश्वजीत के सिर के बालों को पकड़ के घसीटता है पर इस बार विश्वजीत बहादुर की ओर एकटक निगाह से देखता ही रहता है जैसे की उसे दर्द का आभास ही नहीं हो रहा हो ... घसीटते हुए उसे पहले आतंकी के पास लाता है और फिर से उस पर बंदुक तान देता है -<br />
<br />
पहला आंतकी - अब मैं फिर से तीन तक गिनुंगा और अगर तुम सामने नहीं आये तो अंजाम तो तुम जानते ही हो ।<br />
<br />
पहला आंतकी - एक...,<br />
<br />
सभी लोग यही सोच रहे थे कि आगे क्या होगा ... और कौन है वो शख्स जिसे वो अब तक पहचान नहीं पाये थे ।<br />
<br />
पहला आंतकी - दो...,<br />
<br />
सभी के दिलों की धड़कने तेज़ हो ज़ातीं है ... धीमी धीमी आवाज में सभी छात्रों के मुहँ से डर से भरी सिस्कियां निकलने लगती है । दुसरा आतकीं विश्वजीत के सिर पर बंदुक ताने हुए ट्रीगर दबाने को तैयार हो जाता है ...<br />
<br />
पहला आंतकी - तीन...,<br />
<div>
<br /></div>
<hr />
<div style="text-align: center;">
कहानी आगे जारी रहेगी...
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<h2 style="text-align: left;">
Authors Column (English)</h2>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-XkmdVJIDLGM/Wq0n98FliiI/AAAAAAAAAac/9C6i4D-2pCgs6msvk4BEoOL9-LFI7tXvACPcBGAYYCw/s1600/favicon.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="364" data-original-width="364" height="320" src="https://3.bp.blogspot.com/-XkmdVJIDLGM/Wq0n98FliiI/AAAAAAAAAac/9C6i4D-2pCgs6msvk4BEoOL9-LFI7tXvACPcBGAYYCw/s320/favicon.png" width="320" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-GGvAQd7EwoA/WtLn_J5PB8I/AAAAAAAAAdE/MzioOv24R0Assr3xkLevKp1PpaNyG2RPQCPcBGAYYCw/s1600/KalpanikKahaniyaLogo.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="50" data-original-width="250" src="https://4.bp.blogspot.com/-GGvAQd7EwoA/WtLn_J5PB8I/AAAAAAAAAdE/MzioOv24R0Assr3xkLevKp1PpaNyG2RPQCPcBGAYYCw/s1600/KalpanikKahaniyaLogo.png" /></a></div>
<div>
<br /></div>
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<br /></div>
Hello & Welcome!<br />
<br />
We are in the era where the screens have taken place of papers. I think this might well enough to understand the evolution of <strong>technology</strong>. However we are not in the middle of the discussion where evolution of the technologies is getting explained.<br />
<br />
By the way I am C.N. Ajax and you are cordially welcome to a <strong>Story Website</strong> name <a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.in/" rel="dofollow" target="_blank">Kalpanik Kahaaniyan</a>. <a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.in/" rel="dofollow" target="_blank">Kalpanik Kahaaniyan</a> is a <strong>storysite</strong> that <strong>publish short stories online</strong>. There are many <strong>short story publishers</strong> online but the <a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.in/" rel="dofollow" target="_blank">Kalpanik Kahaniyaan</a> is a <strong>story web site</strong> where you can read, like and share the <strong>stories</strong>. If you find anything that can be suggest then you are welcome to comment through <strong>social media</strong> and <strong>website</strong> as well. We will be glad to receive your comments in any manner.<br />
<br />
My first inspiration came from a <strong>school drama</strong> when I wrote a short story which was taken to play a <strong>drama</strong> at a school. That story was based on <strong>Indian Wedding Dowry System</strong>. Sunaina Bhargav was first character which was drawn with my pen and it remains unforgettable for me ever. I heard that the play was fabulous and appreciated by many peoples. After that my pen was waiting long time for first drop but when the time come the laptop keyboard have taken the place of the pen.<br />
<br />
In late 2015 I started to <a href="https://www.progrramers.com/" rel="dofollow" target="_blank">learn programming and website development</a> with online available courses. Finally Kalpanik Kahaaniyan is onboard.
<a href="https://kalpanikkahaaniyan.blogspot.in/" rel="dofollow" target="_blank">Kalpanik Kahaaniyan</a> is a kind of <strong>short story publications</strong> where you can find many verities on the <strong>shelves</strong>. <strong>Short Stories</strong>, <strong>fiction stories</strong>, <strong>heart touching</strong> <strong>romantic love stories</strong>, <strong>science fiction stories for kids</strong>, <strong>mysterious stories</strong>, <strong>kids story books</strong>, <strong>romantic story books in hindi</strong> and many more.<br />
<br />
The language I preferred is <strong>Hindi</strong> just because there are very less amount of <strong>Hindi Story Website</strong>. People want to read but they can’t find the place where they can move on. So this is my little step to reach up to you. I hope you will like my stories. If there is anything unusual you find then please let me know write your thoughts in the comments. I believe people can’t born with perfection just because perfection is always about improvement.<br />
<br />
<br />
Thank You!<br />
<br />
<br />
C.N.Ajax<br />
Author<br />
काल्पनिक कहानियां<br />
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 12)</h2>
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 12)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-1b0cnKE3z-k/WrpzgzuqCZI/AAAAAAAAAb8/_Z-7S7Bd9coaKEgh2oesGc6qTXzvrJ_EACPcBGAYYCw/s1600/The_Boy_Friend.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img alt="The_Boy_Friend" border="0" data-original-height="600" data-original-width="800" height="240" src="https://3.bp.blogspot.com/-1b0cnKE3z-k/WrpzgzuqCZI/AAAAAAAAAb8/_Z-7S7Bd9coaKEgh2oesGc6qTXzvrJ_EACPcBGAYYCw/s320/The_Boy_Friend.jpg" title="The Boy Friend" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<hr />
</div>
प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे, मैंने बाकि सारे कक्षा के भी विद्यार्थियों से भी बात की है पर इस कार्यक्रम को सफल बनानें की जिम्मेदारी आप के कंधों पर हैं,... क्योकि आप सिनियर है इस बात को आप ध्यान में रखेगें ।<br />
<br />
सभी लोग - बिल्कुल सर ।<br />
<br />
यह संदेश देकर प्रधानाध्यापक कक्षा से चले जाते है ।<br />
<br />
आखिर 15 अगस्त का दिन आ ही जाता है, कॉलेज़ में सभी लोग तैयारियों व्यस्त होते है, क़ॉलेज़ की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी जाती है । जानकि नाथ माथुर के साथ और भी बड़े बड़े वी0आई0पी0 को निमंत्रण दिया जाता है ।<br />
<br />
सभी लोगों के उपस्थित होने के बाद कार्यक्रम की शुरुआत की जाती है, सभी कक्षा के विद्यार्थी अपने अपने परफ़ॉरमेंस देते है । आशि अपने कक्षा के छात्राओं के साथ मिलकर सामुहिक नृत्य पेश करती है । सामुहिक नृत्य कार्यक्रम में सभी छात्राएं एक जैसे कपड़े पहनते है ।<br />
<br />
विश्वजीत भी अपने दोस्तों के साथ 'कर्म' नाम की कहानी के आधार पर एक नाटक पेश करता है । उसमें वो एक फौजी का किरदार पेश करता है । उसकी हकलाहट की वजह से उसके संवाद को मंच के पीछे से एक दुसरा विद्यार्थी बोलता है । नाटक के अंत में 'मुव ऑन' का दृष्य सभी के दिल को छु जाता है ।<br />
<br />
कपिल मिश्रा नाटक खत्म होने के बाद सबसे ज्यादा ज़ोर से तालियां बजाते है और हिन्दी साहित्य के शिक्षक सुर्यप्रकाश सभी को बताते नहीं थकते है कि विश्वजीत उनका सबसे प्रिय छात्र है ।<br />
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<br />
विश्वजीत, बहादुर और रमन नाटक खत्म होनें बाद वहां मंच से दुर एक कोने खड़े होते हैं, बहादुर विश्वजीत से कहता है -<br />
<br />
बहादुर - ए भाए ... आज तो तुने कमाल कर दिया, क्या जबरदस्त परफ़ॉरमेंस दिया है तुने ।<br />
विश्वजीत - अ..अ...अभी नहीं असली परफ़ॉरमेंस तो अब देना है ।<br />
बहादुर - क्या...अब और कोई नाटक करना है ?<br />
विश्वजीत - न..ना..नाटक नहीं हकिकत, याद है... तुने मुझे टिप दिया था ।<br />
बहादुर - ए भाए ... तु क्या बोल रहा मेरे भेजे में घुस नहीं रहा है, विस्तार से बता ना ।<br />
विश्वजीत अपने बैग से एक कागज़ निकालता है और बहादुर को दिखाता है -<br />
बहादुर - ये क्या है ?<br />
विश्वजीत - ल्ल..ल..ल.. लव लेटर...प्रेम पत्र ।<br />
बहादुर - अर् र् र् रे ए ए ए भाए... प्रेम पत्र ... भाभी के लिए ?<br />
विश्वजीत - हम्म ।<br />
बहादुर - ए भाए ... मस्त है तु ... लेकिन ज़रा सावधानी से हाँ ... पिछली बार भाभी भड़क गयी थी ।<br />
<br />
विश्वजीत उस लव लेटर को वापस बैग में रखता है और बैग को एक तरफ रख देता है, पर वहां खडा रमन लव लेटर बैग से निकाल कर अपनी ज़ेब में छुपा लेता है और चुपके से वहां से चला जाता है ।<br />
<br />
दुसरे कोने में आशि और आलिया खड़े होते है और जब विश्वजीत को फौजी की पोशाक में देखते हैं तो उन्हें हैरत होती है वह बिल्कुल आर्मी के जवान की तरह दिखता है, आलिया आशि को विश्वजीत के बारे में कहती है -<br />
<br />
आलिया - ये विश्वजीत आर्मी के कपड़ों में बिल्कुल सेना के जवान की तरह दिख रहा है ।<br />
आशि - हां ... बिल्कुल ।<br />
आलिया - बिल्कुल... तुम्हारे होने वाले बॉयफ़्रेंड की तरह ।<br />
आशि - धत ... तु भी ना... कभी भी कहीं भी शुरु हो जाती है । मैंने कहा ना कि वो मेरा बॉयफ्रेंड नहीं बन सकता ।<br />
आलिया - अच्छा... तो अगर फिर से उसने तेरा पीछा किया तो क्या करोगी ?<br />
आशि - तो मैं उसे थप्प्ड़ मारुंगी ।<br />
<br />
यह बात बगल में खड़ा रमन सुन लेता है और उस लव लेटर को आशि के पर्स में रख कर वहां से चला जाता है, आशि और आलिया बातों में इतने मश्गुल होते है कि उन्हें पता ही नहीं चलता है कि वहां कोई उनकी बातें सुन रहा है । आलिया फिर आशि से पुछ्ती है -<br />
<br />
आलिया - आशि ... अगर उसने कहा वो तुम्हें चाहता है तो क्या कहोगी ?<br />
आशि आलिया की तरफ देखती है और कहती है - हां कहुँगी ।<br />
आलिया - (खुशी से उछल कर) स्स्सच....आशि ? क्या मज़ा आयेगा सच में।<br />
आशि - आलिया मुझे एक बात का डर है ?<br />
आलिया - किस बात का ?<br />
आशि - वो मुझसे कहेगा ना ?<br />
आलिया - आशि मेरा यकिन करो वो तुम्हे जिसमें तरह देखता है ... मुझे पुर यकिन है कि वो सिर्फ तुम्हें ही चाहता है और वो जल्दी ही ये बात कहेगा ।<br />
आशि - तुम्हें कैसे पता ?<br />
आलिया - (मुस्कुराते हुए)... बस पता है ।<br />
आलिया की नज़र अचानक रमन पर पड़ती है उसके व्यवहार को देख कर थोड़ा शक होता है पर उसे पता नहीं चलता आखिर बात क्या है । आलिया आशि से कहती है -<br />
आलिया - आशि ... मैं थोडी देर में आती हुँ ।<br />
आशि - क्यों क्या हुआ ?<br />
आलिया - बस कुछ नहीं ... थोड़ी देर में आती हूँ ।<br />
<br />
इतना कह कर आलिया रमन का पीछा करती है, वह जानना चाह्ती है कि रमन के अज़ीब व्यवहार का सच क्या हैं ।<br />
<br />
कार्यक्रम दोपहर से शुरु होकर शाम तक चलता है और अंत में सभी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरुस्कार वितरण भी किया जाता है । कार्यक्रम खत्म हो जाता है और जानकि नाथ माथुर संग सभी वी0आई0पी0 वहां से प्रस्थान कर जाते है ।<br />
<br />
शाम होने ही वाली होती है, सभी थके मांदे छात्र और छात्राएं थोडा आराम करते है । विश्वजीत, बहादुर और उसके कुछ दोस्त शाम के नाश्ते के लिए कॉलेज़ से बाहर जाते हैं । विश्वजीत बहादुर से कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - चल थोड़ा कुछ खाने के लिए लाते है सभी को भुख लगी होगी ।<br />
बहादुर - (विश्वजीत की टेडी बीयर के ओर इशारा करते हुए) इस टेढ़ी बीयर के लिए भी कुछ ले लेना इसे भी भुख लगी होगी ।<br />
<br />
यह बात सुन कर सभी लोग हँसने लगते हैं ।<br />
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<br />
सुरक्षाकर्मी भी थोड़े आराम करने के बारे में सोचते हैं पर वो जैसे ही पहली झपकी लेते है कि पुरे कॉलेज पर आतंकवादी हमला होता है । चारों तरफ अफरा तफरी मच जाती है । खतरनाक हथियारों से लैस सभी आतंकवादी पुरे कॉलेज़ को अपने कबज़े में ले लेते है ।<br />
<br />
कई सारे विद्यार्थी वहां से भागने भी कामयाब हो जाते है पर आशि, आलिया, रानी के साथ और काफि सारे विद्यार्थी उन आतंकवादियों के चंगुल में फंस जाते है ।<br />
<br />
भागते हुए विद्यार्थी रास्ते में विश्वजीत को सारी बात बताते है । विश्वजीत बहादुर और अपने अन्य दोस्तों से पुलिस को खबर देने को कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - बहादुर तु बाकि सारे लोगों के साथ जा और पुलिस को खबर कर ओ0के0 ।<br />
बहादुर - ए भाए तु कहां जा रहा ?<br />
विश्वजीत - मैं कॉलेज़ जा रहा हुँ, बाकि सारे लोगों के पास ।<br />
बहादुर - तो मैं भी तेरे साथ चलुंगा ।<br />
विश्वजीत - (एक सांस में ) नहीं बहादुर वहां तेरे जान को खतरा होगा ... तु बाकि सारे लोगों के साथ जा प्लीज़ मेरी बात सुन ।<br />
<br />
बहादुर जिद करता है पर विश्वजीत के मनाने से वो मान जाता है । सभी लोग पुलिस को खबर देने निकल पड़ते है पर बहादुर वहीं रुकता है और फिर विश्वजीत से पुछता है -<br />
<br />
बहादुर - (रोते हुए ) एक आखरी बात पुंछुँ ?... तु मुझसे एक बात सच कहेगा ?<br />
विश्वजीत - मैं जानता हुं तु क्या पुछेगा मैं तुम्हें सब सच बताउंगा ?<br />
<br />
विश्वजीत और बहादुर वहां थोड़ी देर बात करते है और फिर बहादुर पुलिस स्टेशन की तरफ और विश्वजीत कॉलेज की तरफ निकल जाते है ।<br />
<br />
विश्वजीत पीछे की दिवार और कंटीले तारों को फांद कर कॉलेज़ के अंदर जाता है वह किसी भी तरह कॉलेज़ के उस हॉलनुमा बड़े कमरे तक पहुंचने में कामयाब हो जाता है जहां सारे लोगों को एक साथ जमीन पर बैठे होते है और चारो ओर से आंतकवादी उन्हें घेरे हुए होते है । सभी का रो रो कर बुरा हाल होता है और सभी बहुत ही ज्यादा डरे हुए होते हैं ।<br />
<br />
विश्वजीत पुरी सावधानी से अंदर तो जाता है पर बदकिस्मती से वो आतंकियों के कब्ज़े में आ जाता है और उसे भी उन्हीं के बीच में बैठा दिया जाता है जहां सारे लोगो बैठे होते है ।<br />
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<br /></div>
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 11)</h2>
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 11)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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</div>
<br />
<hr />
</div>
डर और घबराहट से आशि अपनी बात पुरी नहीं कर पाती है, विश्वजीत भी यह देख कर घबरा जाता है पर फिर भी वह आशि के हौसला अफज़ाही के लिए अपने डर पर काबु करने की कोशिश करता है और आशि से कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - अ..अ..आ ..आशि डरो नहीं ... ओ0 के0 ... सब ठीक हो जाएगा, डरने वाली कोई बात नहीं, मैं हु ना तुम्हारे साथ ।<br />
<br />
इस घटना के कारण वहां मौजुद सभी लोग में अफरा तफरी मच जाती है और दुकान में लोग इधर उधर से बाहर निकल कर भागने का रस्ता ढ़ुंढ़ने लगते है । कुछ लोग पुलिस को फोन करते है । यह देखकर बाकि बदमाश वहां से भाग निकलते है ।<br />
<br />
आलिया, बहादुर, रमन और बाकि सभी सहेलियां आशि के पास पहुँचते है और विश्वजीत अपने सभी दोस्तों हिम्मत रखने को कहता है ।<br />
<br />
जल्दी ही पुलिस आकर पुरे माहौल को अपने नियंत्रण में ले लेती है और आशि को उसके दोस्तों के साथ वापस भेजने का प्रबंध करती है ।<br />
<br />
दुसरे दिन<br />
<br />
जानकि नाथ माथुर को यह बात पता चलती है तो घर पर आशि को फोन करते है -<br />
जानकि नाथ माथुर - (फोन पर) बेटा तुम ठीक तो हो ना ?<br />
आशि - (डर और घबराहट से रोते हुए) हां पापा... मैं ठीक हुँ ।<br />
जानकि नाथ माथुर - बेटा... तुम्हें अगर किसी भी चीज़ की जरुरत हो, तो घर में लोग हैं तुम्हारे देख भाल के लिए, उंन्हें बताओ...पर ऐसे कभी भी बिना सोचे समझे बाहर नहीं निकलना । तुम समझ रही हो ना, मैं क्या बोल रहा हुँ ?<br />
<br />
आशि - हाँ पापा... सॉरी... वो मैं थोड़ा बोर हो रही थी तो मैंने सोचा की दोस्तों के साथ बाहर से घुम आंऊँ, पर मुझे नहीं पता था कि ऐसा कुछ होगा ।... नेक्स टाईम आई'ल बी केयर फुल पापा...आप गुस्सा मत किजिएगा ।<br />
जानकि नाथ माथुर - बेटा मैं गुस्सा नहीं हुँ... तुम लंदन में पली बढ़ी हो ... मैं समझ सकता हुँ कि तुम्हें यहां एड्ज्स्ट करने में कितनी तकलीफ हो रही होगी, पर यहां कुछ समस्याएं है, उन्हें ठीक करने से पहले सावधानी बरतनी होगी ... ओ0को ।<br />
आशि - ओ0को ... पापा ।<br />
<br />
जानकि नाथ माथुर आशि से काफि देर तक बात करते है ताकि उसे अकेलापन और डर न लगे ।<br />
<br />
दो-तीन दिन बाद फिर से सब कुछ सामान्य हो जाता है तो आशि क़ॉलेज़ जाती है और अपने सभी दोस्तों से मिलती है, सभी एक दुसरे का हाल चाल पुछते है । आशि विश्वजीत के बारे में भी पुछती है -<br />
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<br />
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<br />
आशि - आलिया विश्वजीत कहां है ?<br />
आलिया - वो भी दो दिन से कॉलेज़ नहीं आया और उसका दोस्त बहादुर भी दिखाई नहीं दिया ।<br />
<br />
तभी रानी बोलती है - वो देखो बहादुर वहां पेड के नीचे बैठा है । चलो उससे पुछते है, विश्वजीत कहां ?<br />
<br />
सभी लोग बहादुर के पास जाते है, आशि बहादुर से पुछती है -<br />
<br />
आशि - बहादुर कैसे हो तुम ?<br />
बहादुर - मैं ठीक हुँ... तुम कहो ... अभी डर लग रहा है तुम्हें ?<br />
आशि - (पुरे विश्वास के साथ) नहीं नहीं... मुझे डर वर नहीं लगता ... मैं बहुत बहादुर हुँ ।<br />
बहादुर - (मजाकिया अंदाज़ में) अरे... बहादुर तो मैं हुँ ।<br />
<br />
यह बात सुनकर सभी हँसने लगते है ।<br />
<br />
आशि - (हल्की से हँसी के साथ) अच्छा बहादुर ... विश्वजीत कहाँ है ?<br />
बहादुर - (एकदम से जवाब देता है) तुम्हारे पीछे ।<br />
<br />
आशि एकदम से पीछे मुड़ती है और पीछे विश्वजीत को देख कर फिर से डर जाती है ।<br />
<br />
आशि - आ..आ..उउ...उ .. नहीं ।<br />
<br />
आशि आंखे बंद करके चीखने लगती है तो विश्वजीत उसे संभालने की कोशिश करते हुए कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - अ..अ..अरे आशि तुम डर क्यों रही हो ? ये मैं ही हुँ... विश्वजीत ... तुम्हारा विश्वजीत ।<br />
<br />
बहादुर - (मजाकिया अंदाज़ में आशि का मज़ाक बनाते हुए) मुझे डर वर नहीं लगता ... मैं तो बहुत बहादुर हुँ ।<br />
ये सुनकर सभी फिर से ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते है ।<br />
<br />
आलिया - (चुपके से विश्वजीत के पास जाकर) तुम्हारा विश्वजीत ? माज़रा क्या है अंह बोलो बोलो... टेल टेल ।<br />
विश्वजीत - (मुस्कुराते हुए और फुसफुसाकर ) अरे जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं हैं ।<br />
<br />
आशि आलिया और विश्वजीत को बातें करते देख लेती है -<br />
<br />
आशि - क्या कानाफुसी हो रही है... मेरा मज़ाक बना रहे ना... छोडुँगी नहीं मैं तुम दोनो को ।<br />
विश्वजीत - अरे..अरे...ह...ह्ह हमारी क्या मजाल की तुम्हारा मज़ाक बनाएं । पर एक बात बताओ तुम अभी यहां क्यों डर गईं, यहाँ तो कोई खतरा भी नहीं है ।<br />
आशि - (चिढते हुए) पता नहीं ... पहले तो तुम दिखाई नहीं देते हो, फिर मैं तुम्हें ढ़ंढ़ती हुँ, तो तुम अचानक से मेरे पीछे न जाने कहाँ से आ जाते हो, ऐसा कुल मिला कर तीसरी बार हुआ है ... पहले ये बताओ कि ये टेडी बीयर इतना जरुरी क्यों है ... उस दिन तुम इसके लिए पागलों की तरह भाग रहे थे ?<br />
<br />
इससे पहले विश्वजीत कुछ बोलता बहादुर बोलने लगता है -<br />
<br />
बहादुर - अरे ये टेढ़ी बीयर, इसके भाई ने इसे दिया है ।<br />
<br />
आशि - भाई ?<br />
विश्वजीत - हम्म...भ..भ..भाई ।<br />
आशि - (विश्वजीत से पुछते) तुम्हारा भाई भी है ?<br />
विश्वजीत - हाँ उसका नाम रंजीत है इसी गांव में है ।<br />
आशि - तो ? इस टेडी बीयर से क्या उसका क्या मतलब ?<br />
विश्वजीत - इस टेडी बीयर से बात करके ऐसा लगता है कि उससे बात हो गई ।<br />
आशि - इतना याद करते हो अपने भाई को, तो इसी स्कुल में उसका दाखिला करा दो, आखिर वो पढ़ता तो होगा ही ना ?<br />
विश्वजीत - नहीं ...वो..पढ़ाई नहीं कर सकता ... ।<br />
आशि - क्यों नहीं कर सकता ...और पढ़ाई नहीं करता तो वो करता क्या है ?<br />
विश्वजीत - (सिर झुकाते हुए उदास होकर) ब..ब...बस कुछ नहीं ।<br />
आशि - अगर वो कुछ नहीं करता तो पढाई तो करनी ही चाहिए थी ?<br />
विश्वजीत - वो गुंगा है, बोल नहीं सकता.. इसलिए पढ़ाई नहीं कर सकता, मैं चाहे अपने भाई से बात करुँ या इस टेडी बीयर से दोनो में से भी कोई भी जवाब नहीं देता बस इशारे में समझना पड़ता है ।<br />
<br />
बहादुर - (बीच में बोलते हुए) हां ... ठीक वैसे ही जैसे इस टेढ़ी बीयर की आंखे कभी लाल तो कभी हरी होकर इशारा करती है ।<br />
<br />
आशि - (विश्वजीत के हाथों से टेडी बीयर लेते हुए) सॉरी ... अपने भाई से मिलवाओगे ?<br />
विश्वजीत - (निराशा भरी मुस्कान के साथ) एक दिन तुम उससे जरुर मिलोगी ।<br />
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<br />
तभी कॉलेज़ की घंटी बजती है और सभी लोग अपनी अपनी कक्षा की ओर जाने लगते हैं ।<br />
<br />
आलिया और आशि कक्षा में एक साथ बैठते है, आलिया आशि से पुछती है -<br />
आलिया - क्या बात है आशि ? कभी वो तुम्हें ढ़ुंढता है, कभी तुम उसे ढ़ुंढती हो...चक्कर क्या है ?<br />
आशि - कुछ नहीं... मैंने कहा था ना कि मेरा बॉयफ्रेंड एक आर्मी मैंन होगा ।<br />
आलिया - अच्छा... तो उस दिन दुकान में तुमने गुस्सा क्यों रही थी ? अगर वो मेरे साथ ट्रायल रूम में होता तो भी क्या फर्क पड़ता है तुम्हें ?<br />
<br />
आशि - नहीं वो बस ऐसे ही ... (आशि अपना सिर झुकाकर मुस्कुराने लगती है) ।<br />
<br />
कक्षा में प्रधानाध्यापक का प्रवेश होता है और सभी खड़े हो जाते है -<br />
<br />
प्रधानाध्यापक - बैठ जाओ बच्चों, कैसे हैं आप सब ?<br />
सभी लोग - हम ठीक हैं सर ।<br />
प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे, ... इस विद्यालय में हम सभी का पहला साल है और जैसा कि आप जानते है हमने 15 अगस्त यानि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है । सभी बच्चों को इसके बारे में पता है ना ?<br />
सभी लोग - जी सर !<br />
प्रधानाध्यापक - तो क्या आप सभी ने अपने-अपने भुमिका की तैयारी कर ली ?<br />
सभी लोग - जी सर !<br />
प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे तो बताओ कि आप में से कौन-कौन क्या करने वाला है ?<br />
<br />
आशि - (खड़े होकर ) हमारे कक्षा की सारी लड़किय़ां मिलकर एक सामुहिक नृत्य का प्रदर्शन करेंगी ।<br />
प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे ? और कोई ?<br />
<br />
विश्वजीत - (खड़े होकर ) स..स...सर हमारे कक्षा के अध्यापक श्री कपिल मिश्रा जी ने 'कर्म' नाम की एक कहानी सुनाई थी, हम उसी कहानी पर एक नाटक का प्रदर्शन करेंगे ।<br />
<br />
प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे, मैंने बाकि सारे कक्षा के भी विद्यार्थियों से भी बात की है पर इस कार्यक्रम को सफल बनानें की जिम्मेदारी आप के कंधों पर हैं,... क्योकि आप सिनियर है इस बात को आप ध्यान में रखेगें ।<br />
सभी लोग - बिल्कुल सर ।<br />
<br />
यह संदेश देकर प्रधानाध्यापक कक्षा से चले जाते है ।<br />
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 10)</h2>
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</div>
<br />
<hr />
</div>
<br />
<br />
समय समय पर जानकि नाथ माथुर कॉलेज़ का मुआएना करने भी आते । उनके इस कार्य की चौतरफा सराहना हो रही थी और आशि की भी चर्चा एक बहादुर बेटी रुप में खुब हो रही थी । सब कुछ बदल सा गया था सिवाय विश्वजीत कि हकलाहट के ।<br />
<br />
चारो ओर एक शांति थी और सभी गांव वाले खुश थे । पर शायद यह शांति ज्यादा देर के लिए नहीं थी, कुछ तो होने वाला था पर क्या होने वाला था ये किसी को पता नहीं था ।<br />
<br />
एक दिन आशि, विश्वजीत अपने दोस्तों और सहेलियां साथ पास के शहर में घुमनें की योजना बनाते हैं । वे शहर की ओर रवाना ही होते है कि वहां के मुखिया चौरंगी लाल को इस बात की खबर लग जाती है और वह जानकि नाथ माथुर के दुश्मनों को इस बात की खबर दे देता है ।<br />
<br />
वो सभी जैसे ही शहर पहुंचते है तो पंद्रह लोग आशि, विश्वजीत और उनके दोस्तों का छुप छुप कर पीछा करने लगते है, वो सभी बदमाश-गुंडे थे । वह बदमाशों का एक गैंग था जिसके मालिक का नाम छोटु उस्ताद था । उधर आशि, विश्वजीत और उनके दोस्तों को मिला कर कुल दस लोग थे जिनमें सात लड़कियां थी और लडकों में विश्वजीत बहादुर और रमन नाम का एक लड़का था । वे लोग उन बदमाशों के गैंग से अंजान थे ।<br />
<br />
सभी बदमाश उन पर घात लगाये थे, उनका मुख्य निशाना आशि थी । सभी बदमाश इस इंतज़ार में थे कि जिस वक्त आशि अकेले होगी वह तुरंत हमला कर देंगें पर विश्वजीत बहादुर और रमन उसे अकेला छोडते ही नहीं है ।<br />
आशि और बाकि सभी दोस्त एक मॉल जैसी कपड़ों की दुकान में प्रवेश करते है और वहां वे लोग कपड़े देखने लगते है ।<br />
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<br />
आशि - मैं अपने लिए कुछ कपड़े खरीदना चहती हुँ, चलो सभी लेडिज़ सेक्शन में चलते है ।<br />
आलिया - हां मुझे भी खरीदनी है...चलो ।<br />
सभी लोग कपड़ों के लेडिज़ सेक्शन जाते है, आलिया विश्वजीत से कहती है -<br />
आलिया - विश्वजीत तुम यहां भी खुद को अकेला महसुस कर रहे हो ?<br />
विश्वजीत - न..न्न.. नहीं तो ... क्यों ?<br />
आलिया - तो फिर इस टेडी बीयर को साथ क्यों लाए हो ?<br />
<br />
इससे पहले कि विश्वजीत सवाल का जवाब देता कि बहादुर बीच में ही बोलता है -<br />
<br />
बहादुर - (मज़ाकिया लहजे में ) अरे टेढ़ी बीयर भी घर में बोर हो जाता ना इसीलिए साथ ले आया है ... क्यों सही कहा न भाए ?<br />
विश्वजीत - (मुस्कुराते हुए) स्स...स..सही कहा ।<br />
<br />
सभी लोग खुद के लिए नये कपड़ों की खरीदारी में लग जाते है उधर वो पंद्रह बदमाश भी दुकान में घुस आते है । उन सभी की नज़र केवल आशि पर होती है ।<br />
<br />
आशि और उसकी सहेलियां अपने लिए कपड़े देखती है और विश्वजीत, बहादुर और रमन तीनों पीछे पीछे बॉडीगॉर्ड के तरह चलते है ।<br />
<br />
कुछ देर बाद आशि आलिया के लिए एक जींस और टॉप पसंद करती है और आलिया से पहन कर ट्रॉय करने को कहती है तो इस पर आलिया कहती है -<br />
<br />
आलिया - अरे... नहीं ...ना बाबा,... ऐसी ड्रेस मैं ना पहनुँगी, घर वाले मुझे जान से मार देंगें ।<br />
आशि - ओह्हो...अरे आलिया तु डर क्यों रही...? एक बार पहन के तो देख । तु इसमें बड़ी अच्छी लगेगी ।<br />
आलिया - तु समझ नहीं रही है आशि, पापा पुराने ख्यालों वाले लोग है, ऐसे कपडे पहने की इजाजत कभी भी नहीं देंगे, उल्टा डाँट अलग से लगेगी ।<br />
<br />
रमन - (पीछे से आलिया की खिंचाई करते हुए ज़ोर से हंसने लगा) नाम तो मॉर्डर्न रखा हुआ है 'आलिया' और ख्याल पुराने रखे हुए है ...हा ...हा...हा ?<br />
<br />
आलिया - (रमन को गुस्से से जवाब देते हुए) अरे बेवकुफ, मेरा नाम अलिया रखा था मेरे मां-बाउजी ने, एक बार शहर आई थी ताउ जी से मिलने,...वहां उनका एक लड़का था जो विदेश में पढ़ता था उसी ने 'अलिया' से 'आलिया' बना दिया । फिर सभी ने आलिया कहना शुरु कर दिया ।<br />
<br />
सभी लोग एक साथ - ओ..ओ..ओ..ओ..उ....आलिया ।<br />
<br />
आशि - अच्छा वो सब ठीक है इसे ट्रॉय तो कर, एक बार पहन के देख तु कैसी लगती है, इसके बाद इसे उतार देना फिर कोई और ड्रेस ले लेना ।<br />
आलिया - ठीक है ...।<br />
<br />
आलिया और आशि दोनो एक साथ ट्रॉयल रूम में जाते है, आशि कपडे बदलने में आलिया की मदद करती है, थोड़ी देर बाद आलिया उस जींस और टॉप को पहन कर बाहर आती है तो सभी आलिया को देखते ही रह जाते है -<br />
बहादुए - अरे बाप रे बाप... आलिया तु तो क्या मस्त लग रही है ।<br />
<br />
सभी का ध्यान आलिया की तरफ था, तभी उस गैंग एक बदमाश ट्रॉयल रूम के अंदर जाता हुआ दिखता है, पर यह बात किसी को पता नहीं चलती है ।<br />
<br />
थोडी देर बाद ...<br />
<br />
आलिया - आशि ... अब मैं अपने कपडे बदल लेती हुँ ।<br />
आशि - ओ0के0...ट्रॉयल रूम में मैं भी चलुँ ?<br />
आलिया - नहीं ... अब मैं खुद बदल लुंगी ।<br />
<br />
आशि दुसरी तरफ घुम कर कुछ और ड्रेस देखना शुरु करती है और आलिया ट्रॉयल रूम अंदर जाती है, तभी आशि दुकान में लगे शीशे में देखती है की विश्वजीत आलिया के पीछे-पीछे ट्रॉयल रूम के अंदर जा रहा है, जैसे ही आशि पीछे मुड़कर देखती है तो ट्रॉयल रूम का दरवाज़ा बंद हो चुका होता है ।<br />
<br />
आशि दौड़ कर ट्रॉयल रूम के पास आती है और दरवाज़े जोर से ध्क्का देती है, दरवाजा अंदर से बंद रहता है, आशि दरवाज़ा ठकठकाती है और कहती है -<br />
<br />
आशि - (जोर की आवाज में ) आलिया दरवाजा खोलो ... दरवाजा खोलो आलिया ।<br />
आलिया अंदर से थोड़ा सा दरवाज़ा खोल कर झाँकती है... और आशि से पुछती है -<br />
आलिया - क्या हुआ आशि ?<br />
आशि - आलिया विश्वजीत अंदर क्या कर है ?<br />
आलिया - ( अपना सिर हिलाकर इंकार करते हुए )नहीं ... आलिया यहां पर तो सिर्फ मैं हुँ ।<br />
आशि - (गुस्से से और हांफते हुए ) तो तुम दरवाजा पुर क्यों नहीं खोल रही हो ?<br />
आलिया - (धीमी आवाज़ में ) आशि वो ... मैं अभी नीचे कुछ नहीं पहना है ।<br />
आशि - मैंने विश्वजीत को अंदर जाते हुए देखा था, क्या वो अंदर नहीं है ।<br />
आलिया - नहीं ... वो अंदर कैसे होगा वो तो तुम्हारे पीछे खड़ा है ।<br />
<br />
आशि पीछे देखती है तो आश्चर्यचकित हो जाती है, विश्वजीत बहादुर और रमन के साथ खड़ा था और दुकान के अन्य ग्राहक भी शोर सुन कर वहां जमा हो जाते है ।<br />
<br />
आशि फिर से पुछती है - विश्वजीत तुम्हारे हाथ में टेडी बीयर था ना, कहां है वो ?<br />
<br />
इतना सुनते ही विश्वजीत की आंखे बडी हो जाती है और वो कुछ बोलता नहीं है पर बहुत परेशान हो जाता है जैसे उसकी कोई बेशकिमती चीज़ खो गई हो ।<br />
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<br />
वह इधर उधर दौड़ भाग करने लगता है उसके पीछे पीछे आशि भी भागती है और पर विश्वजीत अपने टेडी बीयर को दुकान के दुसरे सेक्शन में ढ़ुंढ़नें में लगा रहता है । विश्वजीत भागता ही जाता है और फिर आशि आंखे से ओझल हो जाता है आशि वहां अकेले हो जाती है और इसी मौके की तलाश में घात लगाये गुंडे आशि को पक़ड़ने के लिए आगे बढ़ते है, आशि इस बात से अंजान विश्वजीत को ढ़ुंढ़ती रहती है पर थोडी देर बाद दो गुंडे आशि के बहुत पास आ जाते है और आशि को पीछे से दबोचने की कोशिश करते है पर जैसे आशि पर हाथ डालने ही वाले होते है कि अचानक वो खड़े-खड़े ही ज़मीन पर गिर जाते है ।<br />
<br />
गिरने की आवाज़ सुन कर आशि पीछे मुड़ती है तो देखती है कि उन दोनो गुंडों की लाश ज़मीन पर पडी है और उन दोनो के सिर पर गोली लगी है, यह देख कर आशि घबरा जाती है और जैसे ही भागने के लिए पीछे मुड़ती है कि तो विश्वजीत पीछे ही खड़ा होता है और वो विश्वजीत से टकरा जाती है ।<br />
<br />
विश्वजीत घबरा कर आशि से पुछता है - अ..अ..अ..आशि क्या हुआ ... इतनी घबराई हुई क्यों हो ?<br />
आशि घबरा कर, हांफते और डर से रोते हुए गुंडों की लाशों की तरफ इशारा करती है -<br />
आशि - वो व..व..विश्वजीत पता नहीं ये लोग कौन....।<br />
<br />
डर और घबराहट से आशि अपनी बात पुरी नहीं कर पाती है, विश्वजीत भी यह देख कर घबरा जाता है पर फिर भी वह आशि के हौसला अफज़ाही के लिए अपने डर पर काबु करने की कोशिश करता है और आशि से कहता है -<br />
विश्वजीत - अ..अ..आ ..आशि डरो नहीं ... ओ0 के0 ... सब ठीक हो जाएगा, डरने वाली कोई बात नहीं, मैं हु ना तुम्हारे साथ ।<br />
<br />
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 9)</h2>
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 9)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
<br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<hr />
</div>
विश्वजीत - व...व...वो म ...म्म...मैं ही त...त...तुम्हारे घर के बाहर खड़ा था ।<br />
आशि - मैंने तुम्हें अपनी बगल की सीट पर जगह दी थी, अपने जिंदगी में नहीं ... अपनी हद में रहना ।<br />
<br />
बहादुर मन में सोचता है - अरे... भाभी तो भड़क गई ।<br />
<br />
विश्वजीत का मन उदास हो जाता है वो मायुस हो कर आशि को कहता है -<br />
विश्वजीत - (आशि के बात का जवाब देते हुए) ... अ...अ..ओ0 के0...द...द...दुबारा ऐसा नहीं होगा ।<br />
<br />
पुरे दिन कक्षा में विश्वजीत मायुस अकेला पीछे की सिट पर बैठा रहता है, बहादुर उसके साथ बैठने की इच्छा जाहिर करता है पर वो मना कर देता है । जब विद्यालय से छुट्टी का वक्त होता है तो उसके कक्षा के सभी विद्यार्थी कक्षा से निकल जाते हैं पर विश्वजीत अकेला बैठा रहता है । कक्षा के बाहर बहादुर एक विद्यालय में लगे पेड़ के नीचे बैठा रहता है, आशि बहादुर से मिलती है -<br />
<br />
आशि - (बहादुर से विश्वजीत के बारे में पुछ्ते हुए) आज तुम अकेले हो तुम्हारा दोस्त नहीं है तुम्हारे साथ ?<br />
बहादुर - वो मैंने उसे चलने को कहा था पर तो उसने कहा कि थोड़ी देर में बाहर आयेगा (अपना सिर झुका कर) उसी का इंतजार कर रहा हुँ ।<br />
<br />
उधर कक्षा में अकेला बैठा विश्वजीत अपने स्कुल बैग से अपना टेडी बीयर निकालता है और उससे बातें करने लगता है -<br />
<br />
विश्वजीत - (टेडी बीयर को हाथ में लेकर, निराशा भरी मुस्कान के साथ) तुने सुना उसने क्या कहा ? उसने मुझे अपनी जिंदगी में जगह नहीं दी है, (मायुस होकर)...यार खाली फोक़ट में आज सुबह सुबह डाँट खानी पड़ गयी और वो भी उसके सहेलियों के सामने । कितनी बेईज्ज्ती हुई मेरी मैंने तो कुछ भी गलत किया नहीं तो फिर ऐसा क्युं ?<br />
<br />
विश्वजीत - (अपने टेडी बीयर से पुछते हुए ) तु बता मैंने कुछ गलत किया ?<br />
<br />
यह सवाल पुछते ही टेडी बीयर की आंखों में हरी बत्ती जलने लगती है ?<br />
<br />
विश्वजीत - (हल्की मुस्कुराहट के साथ) ह्म्म्म...तु तो समझता है यार ?... अब मैं न उससे बातचीत ही नहीं करुँगा ... कभी नहीं करुगा ।<br />
<br />
इतना बोलते ही टेडी बीयर की हरी आंखें लाल हो जाती हैं ।<br />
<br />
यह देख कर विश्वजीत कहता है - क्या ...क्या मतलब है तेरा मैं उससे बातचीत बंद नहीं करूँ...? (टेडी बीयर की लाल आंखें हरी हो जाती हैं ।)<br />
<br />
विश्वजीत - वाह...क्या बात है... पता नहीं क्या क्या झलेना पडेगा अभी ।
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विश्वजीत काफि देर तक अकेला उस टेडी बीयर से बातें करता रह्ता है, कक्षा के बाहर आशि अपने सहेलियों से बातें करती रहती है...उसमें एक रानी नाम की लडकी आशि से कहती है -<br />
<br />
रानी - आशि, ये तुने ठीक नहीं किया अपने बेचारे बॉयफ्रेंड का दिल तोड़ दिया...।<br />
<br />
आशि - बॉयफ्रेंड,... और वो ... शकल देखी है उसने अपनी ?<br />
दुसरी सहेली आलिया कहती है - शकल में तो कोई खराबी है नहीं, उपर से लंबा चौड़ा है आर्मी के जवान की तरह दिखता है ... कोई खराबी तो नहीं है उसमें...।<br />
<br />
आशि - खराबी है ... और एक नहीं दो खराबियां है उसमें ... ।<br />
सारी सहेलियां एक साथ - दो खराबियां ?<br />
आशि - हां ... पहली की वो ह..ह..हक्... हकलाता है।<br />
रानी - और दुसरी ?<br />
आशि - दुसरी की वो दिखता जवान की तरह है ... पर है तो नहीं ।<br />
आलिया - जवान नहीं है तो क्या बुढ़ा है ?<br />
आशि (खिजते हुए) - ओह...हो ... मेरा मतलब था आर्मी का जवान नहीं है । (फिर मुस्कुराते हुए ) मेरा बॉयफ्रेंड तो कोई आर्मी मैन ही होगा ।<br />
सारी सहेलियां एक साथ - ओह्होओओओ...।<br />
<br />
तभी उसकी नैना नाम की एक और सहेली दुर से आवाज़ देती है और दौड़कर आशि के पास आती है और कहती है - (हाँफते हुए) अरे आशि तुमने अपने बॉयफ्रेंड को डाँट के ठीक नहीं किया...।<br />
<br />
आशि - नैना ... दोबारा कभी मत कहना की वो मेरा बॉयफ्रेंड है... ठीक है ...? वैसे हुआ क्या ?<br />
नैना - (हाँफते हुए) वो तो पागल हो गया है ... ।<br />
आशि - क्या मतलब है तुम्हारा ?<br />
नैना - (हाँफते हुए) हमारे कक्षा में वो अकेला बैठा है और किसी से बात कर रहा है ।<br />
आशि - किससे ?<br />
नैना - (हाँफते हुए) पता नहीं ?<br />
आशि - अरे कहना क्या चाहती हो तुम ?<br />
नैना - (हाँफते हुए) तुम खुद जाकर देख लो ?<br />
<br />
आशि अपने सहेलियों के साथ कक्षा के अंदर जाती है, उन्हें देख पीछे पीछे बहादुर भी भागता है , कक्षा के अंदर आने के बाद आशि को विश्वजीत के किसी बात करनें आवाज सुनाई देती है पर वहाँ विश्वजीत के अलावा कोई नहीं होता है, तभी आशि कहती है -<br />
<br />
आशि - तुम किससे बात कर रहे हो ?<br />
<br />
आशि को देख कर वो बिल्कुल शांत हो जाता है और कुछ नहीं कहता, थोड़ी देर के बाद वह उठ कर जाने लगता है तो आशि अपना सवाल फिर दोहराती है - मैंने पुछा किससे बातें कर रहे हो ?<br />
<br />
विश्वजीत कुछ कहे बगैर जाने लगता है तभी बहादुर कक्षा के अंदर प्रवेश करता है और पुछता है - हो गई बात ?<br />
विश्वजीत अपना सिर हिला कर हां में जवाब देता है, अब आशि बहादुर से पुछती है -<br />
<br />
आशि - बहादुर ... किसके बात कर रहा था ये ?<br />
बहादुर - अरे भाभी वो...?<br />
आशि और सभी सहेलियां एक साथ - क्या कहा... ?<br />
बहादुर - अरे रे ... ज़बान फिसल गई माफ करना...व ..वो आशि जी ये जब भी उदास होता है ना, तो अपने टेढ़ी भालु से बात करता है । ए ... भाए इस टेढ़ी भालु को अंग्रेजी क्या कहते हो ?<br />
विश्वजीत - (अपनी नज़रे दुसरी तरफ करके) टेडी बीयर ... ।<br />
बहादुर - हां ...वही... टेढ़ी बीयर ।<br />
विश्वजीत - (गुस्से में) बहादुर चल यहां से...।<br />
<br />
विश्वजीत और बहादुर दोनो वहां से चले जाते है । उन दोनो के जाने के बाद आलिया कहती है -<br />
आलिया - (अपने सहेलियों से विश्वजीत के बारे में ) हकला तो है और साथ में हल्कट भी है ...।<br />
सभी सहेलियां एक साथ - ह्म्म्म्म...म्म्म् च् च् च् बेचारा ।<br />
<br />
इसके बाद सभी वहां से चले जाते है ।
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इसी तहर समय बीतता चला जाता है । विश्वजीत आशि को पसंद करने लगता पर कभी भी आशि को कुछ भी नहीं बतता है । कुछ महिनों के बाद 15 अगस्त यानि देश की आज़ादी का दिन नज़दीक आ जाता है । विद्यालय में सभी शिक्षकगण और विद्यार्थी मिल कर एक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला करते है और इसके लिए सभी विद्यार्थी अपने अपने भुमिका के लिए तैयारियां भी शुरु कर देते है ।<br />
<br />
दुसरी तरफ इस विद्यालय के खुलने से नशाखोरी के धंधे से जुड़े लोगों को भारी नुकसान होने लगा था, क्योंकि के नौजवान लड़के अब नई नशे का शिकार हो थे, पढ़ाई का नशा सभी युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा था, गांव के मुखिया चौरंगी पर भी भारी दवाब होता है क्योंकि नशे के कारोबार में उसकी भी हिस्सेदारी होती थी ।<br />
गाँव वालों की तो जैसे निकल पड़ी थी, दिनो दिन चाट पकौडों ठेले तो बढ़ते ही जा रहे थे और खाने वालों को सिर्फ बहाना चाहिए था । अगर कोई पास हुआ तो पार्टी और फेल हुआ तो भी पार्टी ।<br />
<br />
लोग खुशी और गम में अक्सर शराब पीते है पर वहां खुश हो कर लोग समोसे खाते, तो ग़म में छोले और चाट । आये दिन दोस्तों में सबसे ज्यादा पानीपुरी खाने की शर्त लग जाती । शाम में पानी पुरी हुंकार और फिर सुबह प्रकृति की पुकार । सुबह पेट में जुलाब लगी तो शाम को जलेबियां हाज़िर हो जाती । सभी को खुब मज़ा आ रहा था ।<br />
<br />
समय समय पर जानकि नाथ माथुर कॉलेज़ का मुआएना करने भी आते । उनके इस कार्य की चौतरफा सराहना हो रही थी और आशि की भी चर्चा एक बहादुर बेटी रुप में खुब हो रही थी । सब कुछ बदल सा गया था सिवाय विश्वजीत के हकलाहट के ।<br />
<br />
चारो ओर एक शांति थी और सभी गांव वाले खुश थे । पर शायद यह शांति ज्यादा देर के लिए नहीं थी, कुछ तो होने वाला था पर क्या होने वाला था ये किसी को पता नहीं था ।<br />
<br />
<hr />
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 8)</h2>
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शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 8)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<hr />
</div>
पत्नि पुछती है - तो क्या दुश्मन के घायल सैनिकों को पानी पिलाना भी नियम के खिलाफ है ?<br />
<br />
अपनी पत्नि के बात सुनकर सिपाही शांत हो जाता है और पास खड़े सारे सैनिक अपना सिर झुका लेते है।<br />
<br />
सिपाही की पत्नि सिपाही से पुछती है - आप जब युद्ध के मैदान में लड़ते है और यदि उस समय आपके साथी सिपाही को गोली लगा जाती है और वो वीरगति को प्राप्त होजाता है, तो आप अपने बचे हुए साथी सिपाहियों से क्या कहते है ?<br />
<br />
सिपाही - मुव ऑन...।<br />
<br />
सिपाही की पत्नि - बिल्कुल सही ...मुव ऑन ...इसका मतलब क्या है ?<br />
सिपाही - इसका मतलब होता है कि आगे बढ़ो।<br />
सिपाही की पत्नि - क्यों आप आपने साथी सिपाही पास क्यों नहीं रुकते,... उसके पास रुक कर उसके जाने का शोक क्यों नहीं मनाते?<br />
<br />
सिपाही - जो जंग के मैदान में वीरगति को प्राप्त कर हमें छोड़ कर चले जाते हैं, वो कभी वापस नहीं आयेंगे, चाहे हम कितने भी शोक मना लें। पर उनकी शौर्य की खातिर हमें आगे बढ़ते ही रहना होता है और जाने वाले की परवाह न करके उस संघर्ष को जारी रखना होता है जिसके लिए वो अपनी जान कुर्बान कर देते हैं।<br />
सिपाही की पत्नि - क्यों?<br />
सिपाही - क्योंकि यही हमारा कर्म है।<br />
<br />
सिपाही की पत्नि - बिल्कुल सही कहा आपने... यही आपका कर्म है। ...पर यही आपका कर्म है यह तय कौन करता है कभी ये सोचा आपने ?<br />
सिपाही - नहीं ।<br />
<br />
सिपाही की पत्नि - आपका कर्म,... यह प्रकृति तय करती है, इसी प्रकृति ने हम सभी को अपने अपने कर्मों से बांध रखा है । इस कर्म के बिना हमारे जीवन में कोई मकसद नहीं रहता, आपको प्रकृति ने वीर, बहादुर और साहसी बनाया है,... इसीलिए अपने देश की रक्षा के लिए अपनी प्राणों तक की चिंता नहीं करते है, ... दुश्मन की गोलियों का भय आपके साहस के आगे घुटने टेक देता है,... और यही वजह है की आप एक वीर सैनिक हैं और आपको अपने देश के दुश्मन में अपना दुश्मन दिखाई देता है, आपको अपने देश की रक्षा करके संतोष मिलता है । ठीक उसी तरह मैं जो कार्य करती हुँ, प्रकृति ने मुझे इसी कार्य के लिए चुना है । तभी तो मुझे यह कार्य कर के संतोष मिलता है,...जब मैं सैनिकों को पानी पिलाती हुँ तब मुझे उनमें एक सैनिक नहीं, एक इंसान दिखाई देता है जिसे पानी की जरुरत होती है ।<br />
<br />
सभी सैनिक सिपाही की पत्नि के उत्तर से संतुष्ट हो जाते है । उनका गुस्सा भी शांत हो जाता है । इसी तरह काफि दिन बीत जाते है और फिर से एक बार सरह्द पर जंग छीड़ जाती है ।<br />
<br />
जब संघर्ष समाप्त होता है तो सिपाही की पत्नि प्यासे सैनिकों को पानी पिलाने जाती है। जब वो रणभुमि में सरहद के पास जीवित सैनिकों की मदद कर रही होती है तभी मृत सैनिकों के झुंड पास अपने पति को शव को देखती है । यह देख कर उसे बहुत ही दुख होता है... वह अपने मृत पति के सिर को अपने गोद में रख कर काफि देर तक रोती है, समय उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ।<br />
<br />
तभी मृत सैनिकों के झुंड में से एक घायल सैनिक के कहराने की आवाज़ आती है । वह बार बार पानी माँग रहा था । सिपाही की पत्नि उस घायल सैनिक के पास जाती है तो वह देखती है दुश्मन देश का एक सैनिक बहुत ही घायल है और उसे प्यास लगी है ।<br />
<br />
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वह घायल सैनिक को पानी पिलाती है । थोड़ी देर बाद जब घायल सैनिक फिर से खड़ा होता है तो सिपाही के पत्नि से पुछता है -<br />
<br />
घायल सैनिक - पानी पिलाने के लिए शुक्रिया... पर आप कौन हैं ?<br />
सिपाही की पत्नि - मैं इस देश के बहादुर सिपाही की पत्नि हुँ ।<br />
घायल सैनिक - कहाँ है आपके पति ?<br />
सिपाही की पत्नि (अपने मृत पति कि ओर इशारा करते हुए ।) - वो रहे ।<br />
<br />
यह देख कर घायल सैनिक आश्चर्यचकित हो जाता है और सिपाही के पत्नि से पुछता है -<br />
<br />
घायल सैनिक - नि:संदेह आपके पति, हमारी सेना के हाथों ही वीरगति को प्राप्त हुए होंगे, यह जानने के बावजुद आपने मुझे पानी पिला कर मेरी जान बचाई क्यों ?<br />
<br />
सिपाही के पत्नि (घायल सैनिक के आंखों में देखकर) - क्योंकि आप अपना कर्म कर रहें है और मैं अपना ।<br />
यह जवाब सुन कर घायल सैनिक अपनी नज़रे झुका लेता है और बिना कुछ कहे मृत सिपाही के शव को उसके घर तक पहुँचाने में मदद करने लगता है । जैसे ही घायल सैनिक सिपाही के शव को अपने कंधे पर उठाता है तो उसके मृत सिपाही के हाथ से एक कागज़ का टुकडा गिरता है उस पर लिखा एक संदेश लिखा होता है जो सिपाही ने अपने पत्नि के छोड़ा था ।<br />
<br />
उस कागज़ पर लिखा होता है - 'मुव ऑन' । जिसका अर्थ था अपना कर्म करते रहना रुकना नहीं ।<br />
<br />
घायल सैनिक अपने सेना का सेनापति रहता है, वह जब अपने वतन पहुंचता है तो अपने देश की सरकार को अपनी कहानी सुनाता है और उनसे दोनो देशों की के बीच की युद्ध को हमेशा के लिए खत्म करनें की गुजारिश करता है ।<br />
<br />
सेनापति की कहानी सुनकर वो हमेशा के लिए युद्ध को समाप्त करने के लिए राज़ी हो जाते है ।<br />
कपिल मिश्रा - बच्चों यह कहानी यहीं समाप्त होती है । कोई बता सकता है कि इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?<br />
<br />
विश्वजीत (खड़े होकर) - ज...ज...जी सर, मैं बता सकता हुँ ।<br />
कपिल मिश्रा - हाँ बताओ विश्वजीत ।<br />
<br />
विश्वजीत - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि परिस्थितियां कैसी भी हों हमें अपना कर्म करते रहना चाहिए । हमें जिस कर्म के लिए प्रकृति नें चुना है यदि हम उस कर्म को निरंतर करते रहेंगें तो नि:संदेह अच्छे परिणाम मिलेंगें ।<br />
<br />
कपिल मिश्रा - हम्म्म...बहुत अच्छे विश्वजीत । उम्मीद है कि बाकि सारे बच्चे भी इस कहानी का अर्थ समझ गये होंगे ।<br />
<br />
शाम होती है विद्यालय से छुट्टी होती है सभी लोग साथ साथ अपनी अपनी कक्षा से निकल रहे होटल है । केम्पस के बाहर निकलते ही बहादुर अचानक बेहोश होकर गिर पड़ा ।<br />
<br />
विश्वजीत - ए...ए...ब...बहादुर क्या हुआ ? यार... कोई थोडा पानी लाओ । (अपने अन्य साथियों से कहते हुए ।)<br />
उसके साथी पानी लाते है और बहादुर के चेहरे पर पानी के छींटे मारते है, थोडी देर में बहादुर को होश आ जाता है और वो विश्वजीत से कहता है -<br />
<br />
बहादुर - भाए मुझे ... कमज़ोरी महसुस हो रही है ।<br />
<br />
विश्वजीत बहादुर को उठा कर घर लाता है और उसे आराम करने को कह कर जाने लगता है पर जाने से पहले वो बहादुर के घर की पुरी तलाशी लेता है कि कहीं उसने फिर से घर में हेरोईन छुपा कर तो नहीं रखा है । उसे कहीं कुछ नहीं मिलता है इस बात विश्वजीत समझ जाता है कि बहादुर नें हेरोईन लेना छोड़ दिया है और बहादुर का बेहोश होना उसका पहला असर था ।<br />
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उधर आशि इस बात से अंजान जब अपने घर पहुंचती है तो उसे घर के बाह्रर थोडी दुर एक आदमी दिखाई देता है, आशि को लगता है कि वह आदमी विश्वजीत है जो शायद उसका पीछा कर रहा हो । वह आवाज लगाती है -<br />
<br />
आशि - विश्वजीत क्या ये तुम हो ?<br />
<br />
उधर से कोई जवाब नहीं आता है, आशि फिर आवाज लगाती है तो घर के अंदर से एक महिला बाह्रर आती है जो आशि की देखभाल करती है, उसका नाम शोभा है -<br />
<br />
शोभा - आशि बिटिया आप किसे आवाज़ लगा रहीं है ?<br />
<br />
आशि - देखों न ताई वहां रास्ते पर कोई है,... लगता है वो विश्वजीत है, मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ता है । उसे आवाज...(इतना कहते ही वो फिर उस आदमी की तरफ देखती है तो वहां कोई नहीं रहता है आशि फिर कहती है ।) अरे कहां गया अभी तो था...वहाँ ।<br />
<br />
शोभा - आशि बिटिया वहाँ तो कोई नहीं है ... खैर छोड़ो ... अब अंदर चलो ... आपके पिता जी का फोन आया था वो आपके मोबाईल पर फोन कर रहे थे पर लग नहीं रहा था ।<br />
<br />
आशि - हाँ वो मेरे मोबाईल की बैटरी डाउन हो गयी थी ... वैसे क्या कह रहे थे पापा ?<br />
शोभा - बस आपके बारे मे पुछ रहे थे और कहा है कि जैसे आप घर आए तो उन्हें एक बार फोन कर लें ।<br />
आशि जानकि नाथ माथुर को फोन लगाती है और काफि देर तक बात करती है ....<br />
<br />
अगली सुबह ।<br />
<br />
विश्वजीत, बहादुर, आशि और अन्य सभी लोग कॉलेज आते है, आशि सबसे पहले विश्वजीत से मिलने जाती है और विश्वजीत से पुछती है -<br />
<br />
आशि - कल कॉलेज के बाद तुम कहाँ गये थे ?<br />
<br />
विश्वजीत के जवाब देने से पहले बहादुर बोलने की कोशिश करता है -<br />
<br />
बहादुर - ये तो मुझे घर पर छोड़ने....(आशि बहादुर को बीच में टोकते हुए चुप करा देती है और गुस्से में कहती है -)<br />
आशि - (गुस्से में ) मैंने तुमसे नहीं पुछा है ... समझे ।<br />
<br />
विश्वजीत - व...व...वो म ...म्म...मैं ही त...त...तुम्हारे घर के बाहर खड़ा था ।<br />
आशि - मैंने तुम्हें अपनी बगल की सीट पर जगह दी थी, अपने जिंदगी में नहीं ... अपनी हद में रहना ।<br />
बहादुर मन में सोचता है - अरे... भाभी तो भड़क गई ।<br />
<br />
विश्वजीत - (आशि के बात का जवाब देते हुए) ... अ...अ..ओ0 के0...द...द...दुबारा ऐसा नहीं होगा ।<br />
<br />
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 7)</h2>
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 7)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
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<br />
<hr />
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विश्वजीत - मैं तो देख रहा था कि तुझे ये नशा छोडनी है या हमारी दोस्ती।<br />
बहादुर - नहीं यार... कभी नहीं... बस मुझे तेरी दोस्ती चाहिए और इस नशे से आजादी।<br />
विश्वजीत - तु टेंशन न ले, अब तेरा दुश्मन मेरा भी दुश्मन, तो चल, साथ मिल कर हराते है साले को।<br />
<br />
दोनो वहां से बातें करते हुए जाने लगते है -
बहादुर - अच्छा भाई...(विश्वजीत के हाथ में टेडी बीयर की ओर इशारा करते हुए)...तु इस भालु से बातें कर रहा था ? मुझे एक पल के लिए लगा की तु मेंटल हो गया है।<br />
<br />
विश्वजीत - य...य...ये भालु नहीं, टेडी बीयर है, मेरे भाई ने मुझे दिया है, जब भी मैं खुद को अकेला महसुस करता हुँ तो इसी से बात करता हुँ ।<br />
बहादुर - क्या है तुम्हारे भाई का नाम ? और कहां है वो ?<br />
विश्वजीत - उ..उउ...उसका नाम रंजीत है इसी गांव में है वो भी ?<br />
<br />
दोनो बातें करते हुए चलते चलते बहादुर के घर पर आ जाते है, दोनो घर के अंदर जाते है, विश्वजीत घर का दरवाजा बंद करता है और बहादुर से कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - ब...ब...बहादुर तु नशा छोडना चाहता है न ।<br />
बहादुर - हाँ भाई...।<br />
विश्वजीत - इ...इ... इसकी शुरुआत हमें यहीं से करनी होगी...तुने घर में जहां-जहां भी इस जहर को छुपा कर रखा है,... उसे निकाल और यहीं जला दे।<br />
<br />
बहादुर हर एक कोने से हेरोइन की पुडिया निकाल कर एक जगह जमा करता है । जैसे ही बहादुर उसे जलाने के लिए माचिस की तीली जलाता है उसी समय विश्वजीत बहादुर का हाथ पकडता है और बहादुर को आगाह करते हुए एक चेतावनी देता है।<br />
<br />
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विश्वजीत - (बहादुर की आँखों में देखकर) ब...ब...बहादुर एक बात जान ले, यह जलती हुई माचिस की तीली इस जहर को जला देगी और जो चिंगारी यहां फैलेगी वही तेरी जींदगी में एक नया सवेरा लेकर आयेगा, पर एक बात याद रखना असली लडाई इस जहर के जलने बाद शुरु होगी जो तेरे अंदर के दुश्मन से होगी हमें उसे ही हराना है और अगर उसे हराना है तो अपने आत्मविश्वास की चिंगारी को कभी बुझने नहीं देना।<br />
<br />
बहादुर - भाई तु साथ है न ... तो अब आर या तो पार ...।<br />
<br />
इतना कहते हुए बहादुर हेरोइन की पुडिया पर जलती हुई माचिस की तीली फैंक देता और पुरी हेरोइन देखते ही देखते जल जाती है।
अगले दिन
विश्वजीत और बहादुर अपनी कक्षा में आते है, उन दोनो की सिट पर कोई और बैठा रहता है।<br />
<br />
विश्वजीत बहादुर को आगे वाली सिट पर बैठा देता है तो बहादुर पुछता है -<br />
<br />
बहादुर - ए भाए, मुझे सबसे आगे वाली सिट पर क्यों बैठा रहे हो ?...डर लगता है।<br />
विश्वजीत - त..त..तुझे आगे वाली सिट पर बैठाया है ताकि तुझे सिर्फ पढ़ाई का ध्यान रहे, किसी और चीज़ का नहीं।<br />
अपने डर पर काबु करना सिख ... ठीक है ?
बहादुर - हाँ...हाँ...हाँ ठीक है।<br />
<br />
जैसे ही विश्वजीत पीछे वाली सिट पर बैठने के लिए बढ़ता है तो आशि विश्वजीत को आवाज़ देती है -<br />
<br />
आशि - विश्वजीत...तुम यहां बैठ सकते हो।<br />
<br />
विश्वजीत मुड़कर देखता है...आशि फिर कहती है -<br />
आशि - यहां एक जगह खाली है यहां तुम बैठ सकते हो ।
पर विश्वजीत को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था वो बस आशि को देखता ही जा रहा था।<br />
<br />
अचानक बहादुर आगे से आवाज़ देता है -
बहादुर - ए भाए...देखने के लिए नहीं, बैठने ले लिए कहा है...।<br />
<br />
सभी लोग हंसने लगते है... पर आशि बिना किसी की परवाह किए उसे फिर से अपनी बगल के सीट पर बैठने के लिए कहती है...और विश्वजीत आशि के बगल में बैठ जाता है।<br />
<br />
बहादुर अपने बगल में बैठे हुए विद्यार्थी से कहता है -<br />
<br />
बहादुर - वो विश्वजीत है... अपना भाई...मस्त है...पर साला जितनी देर कुछ बोलने लगाता है उतनी ही देर समझने भी लगाता है।<br />
<br />
फिर बहादुर एकाएक खड़े होकर विश्वजीत की ओर देखता है और जोर से कहता है -<br />
<br />
बहादुर - ए भाए ... तु डरना मत... मैं भी तेरे साथ हुँ।<br />
<br />
आशि (विश्वजीत से) - तुम्हारा दोस्त बहादुर... क्या कह रहा है ?<br />
विश्वजीत - क..क्क..कुछ नहीं ... पता नहीं... क्या पता क्या बोल रहा है ?<br />
आशि - तुम डर क्यों रहे हो।<br />
<br />
तभी अंग्रेजी के शिक्षक अंदर आते है उनका नाम है कपिल मिश्रा।<br />
<br />
विश्वजीत - न...न्ह..नहीं डर कहां...हाँ... हाँ मुझे डर लग रहा है...व..व.. वो टिचर से डर लग रहा है।<br />
आशि - अरे डरो मत...मैं भी तुम्हारे साथ हुँ।<br />
विश्वजीत (बड़ी ही कोमलता से) - सच !<br />
<br />
आशि विश्वजीत की ओर देखती है तो विश्वजी त मुस्कुराते हुए अपना सिर नीचे कर लेता है।<br />
<br />
कपिल मिश्रा - कैसे हो बच्चों ?<br />
<br />
सभी विद्यार्थी एक साथ खड़े होकर - गुड मॉर्निंग सर... हम सब ठीक है ।<br />
कपिल मिश्रा - बैठ जाओ... आज हम एक ऐसी कहानी पढ़ेंगे जो हमें एक नेक और कर्मठ इंसान बनने की प्रेरणा देता है । इस कहानी का नाम है 'कर्म'।<br />
<br />
क्या तुम लोगों में से बता सकता है कि कर्म क्या है ?<br />
सभी विद्यार्थी कर्म की अलग अलग परिभाषा देते है।<br />
कपिल मिश्रा - बहुत अच्छे । अब आप सभी अपनी अपनी पुस्तकें खोल लें।<br />
<br />
सारे विद्यार्थी अपनी अपनी पुस्तकें खोल लेते है और कपिल मिश्रा कहानी की शुरुआत करते है।<br />
<br />
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कपिल मिश्रा - बहुत पुरानी बात है एक बार एक सिपाही था वह अपने देश की सुरक्षा के लिए सरहद पर तैनात था, वह विवाहित था उसकी एक खुबसुरत पत्नि थी । सरहद के हालात अक्सर बिगड़ जाया करते थे । अक्सर युद्धविराम का उलंघन हो जाया करता था और दुश्मन सिपाही अक्सर सीमा पार करके उसके देश में घुस आते और हमला कर देते।<br />
<br />
सिपाही बहुत वीर और साहसी था, वह अपने साथी सैनिकों के साथ अपने दुश्मनों को मार गिराता और अपनी देश की सुरक्षा करता । जब युद्ध खत्म हो जाता और युद्धविराम की घोषणा हो जाता तो उसकी पत्नि सरहद पर जाकर सभी थके, प्यासे और घायल सैनिकों को पानी पिलाती, पर वह केवले अपने देश के ही नहीं, बल्कि अपने दुश्मन देश के सैनिकों को भी पानी पिलाती।<br />
<br />
यह देख कर उस सिपाही को अच्छा नहीं लगता, फिर भी वो अपनी खुबसुरत पत्नि से कुछ न कहता। उसके साथी सिपाही इस बात से कभी कभी नराज़ भी हो जाते । उसके साथी सिपाही हमेशा उसे उसकी पत्नि के खिलाफ उक्साते और दुश्मनों को पानी पिलाने से मना करने के लिए कहते । पर सिपाही अपनी पत्नि को दुखी नहीं करना चाहता था इसलिए वो कभी कुछ भी नहीं कहता। सिपाही निडर और साहसी तो था पर उसके साथी सिपाही उसे जोरु का गुलाम कह कर उसका मजाक उड़ाते।<br />
<br />
एक बार फिर जंग छिड़ गयी और फिर उसकी पत्नि युद्धविराम के बाद सभी सैनिकों को पानी पिलाने चली गयी। जब उसने अपनी पत्नि को दुश्मन देश के सैनिकों को पानी पिलाते देखा तो इस बार उससे रहा न गया और वह अपनी पत्नि के पास गया और गुस्से में बोला - ये तुम क्या कर रही हो ? हमारे दुश्मन को पानी क्यों पीला रही हो ? ये सरहद पार करके हम हमला कर देते है, हमारे साथियों को जान से मार देते हैं फिर भी तुम इन्हें पानी पिलाती हो किसलिए ?<br />
<br />
उसकी पत्नि उत्तर देती है - अगर दुश्मन के घायल सैनिकों को आप जान से मार दोगे तो मैं उन्हें पानी नहीं पिला पाउंगी।<br />
<br />
इस पर सिपाही कहता है - यह युद्ध के नियम के खिलाफ है।<br />
तो पत्नि पुछती है - तो क्या दुश्मन के घायल सैनिकों को पानी पिलाना भी नियम के खिलाफ है ?<br />
अपनी पत्नि के बात सुनकर सिपाही शांत हो जाता है और पास खड़े सारे सैनिक अपना सिर झुका लेते है।
<br />
<br />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 6)</h2>
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शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 6)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
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</div>
बहादुर – भाई मुझे माफ कर दे...वो...म्म.. मैंने पीछे से तुम्हें हकला... कहा था। भाई मेरे से दोस्ती करोगे ? विश्वजीत (गुस्से में उंगली दिखाकर) – एक शर्त पर... त..त्...तु मुझे...हकला...(एकाएक मुस्कुराते हुए) नाम से ही बुलाएगा...हा हा हा...।<br />
<br />
दोनो एक दुसरे को गले लगा कर जोर जोर से हसने लगते है।
अगले दिन
विद्यालय अपने समय पर खुल जाता है और सभी विद्यार्थी समय से पहुँच जाते है। आज विश्वजीत कुछ ज्यादा ही बन ठन कर आया, पीछे उसका दोस्त बहादुर उसे आवाज़ लगाता है – ए विश्वजीत भाई... रुक न...।<br />
<br />
विश्वजीत – अ...अ...अबे, म्म....मैंने तुझे कहा था न... मुझे हकला ही बुलाना...।<br />
बहादुर – क्यों मेरी सुबह सुबह ले रहा यार...<br />
विश्वजीत – ल...ले नहीं रहा हुँ दे हरा हुँ...।<br />
बहादुर – क्या ?<br />
विश्वजीत – टिप...।<br />
बहादुर – ये क्या होता है...?<br />
विश्वजीत – ब...ब...बड़े होटल में जब खाना खाते हैं त...तो वहां जो हमें क्ख्...खाना परोसता है उसे खुश होकर कुछ पैसे देते है उसे ही टिप बोलते है।<br />
बहादुर – ए इसी को टिप बोलते है...अरे भाए तु तो अपना ही भाई निकला रे...मैं भी छगन की दुकान पर चाय पीता हुँ ना, तो उसके बच्चे को चार आने, आठ आने दे दिया करता हुँ कंचे खरिदने के लिए...वैसे तु मुझे कोई टिप दे रहा था... क..अ क्या ...है वो?<br />
<br />
विश्वजीत – ट..टिप ये है कि दोस्ती में कुछ लेना देना नहीं होता है ब...बस निभाना होता है।<br />
बहादुर – अच्छा...तो मैं भी तुम्हे एक टिप्प देता हुँ,... तुने उस लड़की को देखा जिसका नाम आशि है? कल तुझे बड़े ध्यान से देख रही थी।<br />
विश्वजीत – अच्छा... त..त..तो इसमें टिप वाली बात क्या है?<br />
बहादुर – मैंने न... मन ही मन में...<br />
विश्वजीत – हां ...त..त्त..तुने क्या ?<br />
बहादुर – मैंने न...मन ही मन में उसे अपना...<br />
विश्वजीत – अ..अ..अबे आगे भी बोलेगा?<br />
बहादुर - मैंने न मन ही मन में उसे अपना भाभी मान लिया है...। तु कॉलेज़ खतम कर, भाभी को सब कुछ बता दे ?<br />
विश्वजीत - क्या बता दुं ?<br />
बहादुर – यही की तु उससे प्यार करता है और शादी करना चाहता है।<br />
<br />
तभी कॉलेज़ की घंटी बज उठती है , सारे लोग अपनी अपनी कक्षा की ओर बढ़ते है और कक्षा शुरु हो जाती है। विश्वजीत और बहादुर साथ साथ अपनी कक्षा की ओर बातें करते हुए बढ़ते है।
कक्षा में प्रवेश करते ही विश्वजीत बहादुर से कहता है – य...य्य...ये बात दुबारा कहना भी मत, साले वो मंत्री की बेटी है, तु मुझे मरवायेगा क्या?<br />
<br />
बहादुर – अबे, तु दोस्त के लिए इतना नहीं कर सकता क्या...साला डरपोक है तु...है न ?<br />
विश्वजीत – म...म...मैं डरपोक नहीं हुँ।<br />
बहादुर – तो...?<br />
विश्वजीत – त..त...तो क्या ...ब...ब...बस थोडा सा डर लगता है, पर तु क्या बहुत बड़ा बहादुर है?<br />
बहादुर – और नहीं तो क्या... मेरा नाम ही बहादुर है।<br />
विश्वजीत – अ..अ.अच्छा, .... ये बता...तेरा नाम बहादुर किसने रखा?<br />
बहादुर – मां-बाउजी ने...।<br />
विश्वजीत – अच्छा....साले...क्या तु पैदा होते समय रोने के बजाए जागते रहो चिल्ला रहा था क्या ?(दोनो हंसते हुए बाते करते कक्षा में चले जाते हैं।)<br />
<br />
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शिक्षका प्रवेश करते है और लेक्चर शुरु करते है। कुछ घंटों के बाद कॉलेज से छुट्टी होती है, विश्वजीत और बहादुर दोनो साथ साथ कक्षा से बातें करते हुए निकलते हैं।
<br />
<br />
विश्वजीत को बहादुर के चेहरे पर पसीना आता दिखता है, यह देख कर वो बहादुर से पुछता है -<br />
विश्वजीत - बहादुर तेरी तबियत तो ठीक है ना ?<br />
बहादुर - हाँ...,<br />
विश्वजीत - नहीं तुझे पसीने आ रहे हैं ?... तेरा चेहरा पसीने ढका हुआ है,... अभी तो ऐसी गर्मी भी नहीं है ?<br />
बहादुर - अच्छा ... (बहादुर बोलते हुए अपनी जेब से रुमाल निकालता है और अपने चेहरे को पोंछता है।)<br />
<br />
रुमाल निकालते समय बहादुर की जेब से एक प्लाटिक की छोटी से सफेद पुड़िया जमीन पर ग़िरती है, यह विश्वजीत देख लेता है और उस पुड़िया को उठाकर पुछता है -<br />
<br />
विश्वजीत - ये क्या है...?<br />
बहादुर - कुछ नहीं बस ऐसे ही...(बहादुर घबरा कर विश्वजीत हाथ से वो पुड़िया जल्दी से छीन लेता है और सर झुका कर फिर कहता है...) अरे बस...क्क..क...कोई खास काम की चीज़ नहीं है...जाने दे।<br />
<br />
विश्वजीत बहादुर को घुर कर देखता है और वहां से बिना कुछ बोले चला जाता है, यह देख बहादुर थोड़ा हैरान हो जाता है और जाते हुए विश्वजीत को रोक भी नहीं पाता है।<br />
<br />
दो-तीन दिन तक विश्वजीत कॉलेज आता है बहादुर से बात नहीं करता है। बहादुर को भी बड़ी टेंशन होने लगती है कि विश्वजीत उससे बात नहीं कर रहा था। एक दिन विश्वजीत कॉलेज़ की एक खाली कक्षा में अकेले बैठा होता है। बहादुर विश्वजीत को ढ़ुंढ़ता हुआ उसी कक्षा में पहुचता है, कक्षा में विश्वजीत के आलावा कोई नहीं होता है पर कक्षा के अंदर से बातें करने की आवाज आ रहीं होती है।<br />
<br />
बहादुर चुपके से झाँक कर देखता है तो वो आश्चर्यचकित हो जाता है।
वो देखता है कि विश्वजीत एक खिलौने टेडी बियर से बातें कर रहा होता है। ध्यान से सुनने पर बहादुर को समझ में आता है कि वो बहादुर के ही बारे में कुछ कहा रहा था। बहादुर एकाएक अंदर प्रवेश करता है और यह देख कर विश्वजीत बिल्कुल शांत स्वाभव में बहादुर की तरफ एक टकटकी मुद्रा में हैरानी से देखता है। फिर अपनी आँखें नीची कर लेता है।<br />
<br />
बहादुर - क्या बात है दो-तीन दिन हो गये, तुने मुझसे बात नहीं की कोई समस्या है?कॉलेज आकर बिना मिले चला जाता है ?<br />
<br />
विश्वजीत - त..त...तेरे हर सवाल का जवाब मैं दुंगा...बस मेरे एक सवाल का जवाब दे...।<br />
बहादुर - क्या पुछना चाहते हो ?<br />
विश्वजीत - उ ...उ...उस प्लाटिक की पुड़िया में क्या था ?<br />
बहादुर - क्या करोगे जान कर ?<br />
विश्वजीत - स..स्...सवाल का जवाब सवाल नहीं होता...क्या था उस पुड़िया में ?<br />
बहादुर - जाने दे न यार ... क्यों टेंशन में है... बोला ना कुछ खास नहीं था।<br />
विश्वजीत - म ... म्म ...मुझे अफसोस रहेगा...<br />
बहादुर - किस बात के लिए...?<br />
विश्वजीत - ह..ह...हमारी दोस्ती सिर्फ इतने ही दिनों की थी...<br />
बहादुर - ए भाए, तु ऐसा किसलिए कह रहा है...बता न क्या बात है...?<br />
विश्वजीत - ज..ज्...जाने दे ना यार... क्यों टेंशन में... तेरा नया दोस्त उस पुड़िया के अंदर है ना...। उस दोस्त का नाम तो तु जानता ही होगा ?<br />
बहादुर - हाँ (थोडा रुक कर और अपना सिर नीचे करके)...हिरोइन ।<br />
विश्वजीत - ह..ह...हिरोइन नहीं... हेरोईन । तेरा नया दोस्त तुझे मुबारक ।<br />
<br />
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<br />
इतना कह कर विश्वजीत खडा होता है और वहां से जाने लगता है। ये देख कर बहादुर विश्वजीत के पैरों पर गिर जाता है और उसके पाँव को कस कर लिपट जाता है।<br />
<br />
विश्वजीत - ज..ज्ज..जाने दो मुझे...छोड़ो।<br />
<br />
विश्वजीत अपने पैर छुड़ा कर जाने लगता है...पर बहादुर उसके के पीछे भागता है उसे जोर जोर से पुकारता है और कहता है -<br />
<br />
बहादुर - (जोर जोर से रोकर और चिल्लाते हुए) ए भाए ... वो मेरा नया दोस्त नहीं, पुराना दुश्मन है, ए सुन ना मेरी बात...... ऐसे अकेला छोड़ के मत जा मुझे यार,...वो धीरे धीरे मुझे उस रात के अंधेरे में ले जा रहा है जहाँ सुबह नहीं होती है यार...। तुने कहा था न साथी बनेगा तु उन लोगों जो पीछे छुट चुके हैं,... तो फिर क्यों मुझे क्यों छोड़ रहा है ?<br />
<br />
अचानक विश्वजीत रुक जाता है उसे अपनी कही हुई बात याद आने लगती है,... बहादुर दौड़ता हुआ विश्वजीत के पास आता है और उसके सामने घुटनों के बल बैठ कर फुट फुट कर रोने लगता है।<br />
<br />
बहादुर - (फुट फुट कर रोते हुए) मैंने बहुत कोशिश थी यार, पर छुटता ही नहीं है... ये नशा । ऐसा लगता है कि मैं अंधकार के सागर में डुबता जा रहा हुँ जिसका कोई किनारा नहीं और ये मेरे अंदर का ऐसा दुश्मन है जिसके सामने मैं एक कायर की तरह खुद को झुका देता हुँ।
जब पहली बार तेरी बात सुनी तो लगा की तु मेरी मदद करेगा इसीलिए तेरे से दोस्ती भी की, पर साला मेरे जैसों की मदद करनें कोई भी नहीं आता, सभी छोड़ देते है...।<br />
<br />
विश्वजीत बहादुर के दोनो बाजुओं पकड़ कर उसे खड़ा करता है और उसके आँसु पोंछते हुए कहता है -
विश्वजीत - साले...खुद को कायर कहने पहले,... तु ये कैसे भुल गया की तेरे मां-बाउजी नें तेरा नाम बहादुर रखा है।<br />
<br />
यह कह कर विश्वजीत बहादुर को गले लगा लेता है और कहता है -<br />
<br />
विश्वजीत - अरे मैं तुझे छोड़ कर थोडी न जा था...।<br />
बहादुर (विश्वजीत की तरफ देख कर) - तो...?<br />
विश्वजीत - मैं तो देख रहा था कि तुझे ये नशा छोडनी है या हमारी दोस्ती ।<br />
बहादुर - नहीं यार... कभी नहीं... बस मुझे तेरी दोस्ती चाहिए और इस नशे से आजादी ।<br />
विश्वजीत - तु टेंशन न ले, अब तेरा दुश्मन मेरा भी दुश्मन, तो चल, साथ मिल कर हराते है साले को ।
<br />
<br />
<hr />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 5)</h2>
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 5)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
<br />
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<br />
<hr />
</div>
जानकि नाथ माथुर कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहते थे इसीलिए वो स्पेशल बैटल फिल्ड स्नाईपर कमांडोज़ की मदद लेते है। इन कमांडोज़ की टीम का नाम था ‘ट्विस्टर ट्वींस’। ट्विस्टर ट्वींस स्पेशल बैटल फिल्ड स्नाईपरस की खास बात ये होती है कि ये किसी भी मिशन में खुद को छुपा कर रखते है। ये एक अंडरकवर स्नाईपरस कमांडोज़ की टीम होती है और जोड़े में काम करते है।<br />
<br />
कुछ महिनों के बाद कई विधार्थी स्कुल और कॉलेज़ में अपना नामांकन करवा लेते है। उस स्थान का महौल बिल्कुल बदल जाता है और आस पास के भी गांव से कई बच्चे और युवा आने लगते है पर उनमें सबसे अलग आशि दिखती है और हो भी क्युं न। आशि एक हसीन, जवान और दिखने में बेहद खुबसुरत लड़की है।<br />
<br />
कॉलेज का पहला दिन शुरु होता है और शुरु दिन से ही आशि सभी लडकों की नजर में रहने लगती है, कुछ नीडर लड़के आशि से दोस्ती करने के लिए हाथ बढाते तो कुछ दुर से ही देख कर आहें भरते। आशि सभी के साथ हसती बोलती, सभी खुश थे।<br />
<br />
माहौल तो ऐसा था कि जैसे वहां कोई मेला लगा हो। गाँव के अन्य लोग भी कहां कम थे उन्होंने भी कॉलेज़ के केम्पस के बाहर चाट पकौड़े की दुकान लगा ली। यह देख कर ग्रामिणों को भी हल्का सा एहसास हुआ कि यह विद्यालय न केवल शिक्षा का उजाला लेकर ही नहीं बल्कि ढेर सारी खुशियां भी लाया है।<br />
<br />
विद्यालय में न केवल युवा बल्कि बहुत से विधार्थी ऐसे होते है जिनकी उम्र एक युवा से ज्यादा होती है। एक बात जो सारे विधार्थियों से छुपाई जाती है की आर्मी के कई जवान भी कॉलेज़ पढाई कर रहे होते है जो केवल विधार्थीयों की सुरक्षा के लिए होते है। विद्यालय के बाहर भी सेना के ज़वानों को तैनात किया जाता है। विद्यालय को देखने से ऐसा प्रतित होता है यह कोई सुरक्षित दुर्ग (किला) है जिसके बाहर कड़ी सुरक्षा में देश के बहादुर जवान खड़े है।<br />
<br />
<br />
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घंटी बजती है और कक्षा भी आरम्भ होती है।<br />
<br />
सारे लोग अपनी-अपनी कक्षा में चले जाते है। आशि भी अपनी कक्षा में जाती है और कुछ समय के बाद एक शिक्षक का प्रवेश होता है। शिक्षक अपने साथ कुछ पुस्तिका लाते और मेज़ पर रखते है और सारे विधार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहते है – ‘मेरा नाम सुर्यप्रकाश है और मैं साहित्य का शिक्षक हूँ।’<br />
<br />
सारे लोग खड़े होकर – प्रणाम सर....।<br />
<br />
सुर्यप्रकाश – बैठ जाओ...। इससे पहले मैं आज की कक्षा का शुभारंभ करूँ, ... मैं आप सभी का नाम जानना चाहुंगा।<br />
<br />
सारे लोग बारी बारी से खड़े होकर अपना नाम बताते जाते है और कुछ देर बाद यह सिलसिला खत्म जाता है।<br />
सुर्यप्रकाश – बहुत अच्छे।... बच्चों आज से आप अपने जीवन का एक नया सफर शुरु करने जा रहे है। मेरा मश्वरा है कि खुद के भविष्य के बारे में सोचते हुए अपने जीवन में एक नया लक्ष्य तय करो और उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खुब मेहनत करो। रास्ते में कोई भी अड़चन आये तो उसे पार करने का साहस खुद के अंदर पैदा करों और खुब तरक्की करो... और जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करो...<br />
<br />
उनका सम्बोधन करिब पाँच मिनटों के तक चलता है।<br />
<br />
इसके बाद सुर्यप्रकाश अपना लेक्चर शुरु करने के लिए मेज़ पर रखी पुस्तिका उठाते है तभी पीछे बैठा एक विधार्थी खड़े होकर (हकलाते हुए) कहता है – अ..अ..और द..देश ? देश का क्या ? उसकी तरक्की का क्या ? उसके बारे में कुछ नहीं सोचना है ? हमारे गाँव और उसके लोगों के बारे में नहीं सोचना है ?<br />
<br />
तभी पीछे से किसी दुसरे विधार्थी की आवाज़ आती है – पहले अपने बारें में तो सोच हकले...। और इतना सुनते ही लोग हँसने लगते है, आशि भी पीछे देखती है तो ... उसे बेहद खुबसुरत और लम्बे कद काठी का एक लड़का खड़ा दिखाई देता है।<br />
<br />
वो लडका फिर से हकलाते हुए कहता है – स..स..सर, म्म...मैं कुछ कहना चाहता हुँ।<br />
सुर्यप्रकाश – (बेहद नम्रता के साथ) क्या नाम है तुम्हारा ?<br />
वो लड़का हकलाते हुए जवाब देता है – स..स..सर अभी तो बताया था... व..वि...विश्वजीत...।<br />
<br />
सुर्यप्रकाश – विश्वजीत...इसका नाम का मतलब क्या है ?<br />
विश्वजीत – जी...ज जो विश्व को जीत ले।<br />
सुर्यप्रकाश – शाबाश... यहां आओ और जो कहना चाहते हो सबके सामने कहो।<br />
<br />
विश्वजीत सुर्यप्रकाश के पास जाकर करके खड़ा हो जाता है बोलना शुरु करता है –<br />
<br />
विश्वजीत (हकला कर सभी विधार्थियों को सम्बोधित करते) – सफलता का असली मतलब क्या है ? अपनी जिंदगी को बेहतर बनाना, आसान बनाना या फिर कुछ और ? एक खुबसुरत और बेहतर एशोआराम की जिंदगी ने सफलता के मायने बदल दिये है, ऐसी जिन्दगी को जीने के लिए सफल होना जरुरी है, सफल होने के लिए बेहतर शिक्षा, बेहतर वातावरण होना जरुरी है। अगर सफलता सिर्फ बेहतर जिन्दगी को जीने का ही नाम है तो क्या हमारे देश के सैनिक और सिपाही सफल नहीं है ? उनकी जींदगी तो न जाने कितनी कठिनाईयों से भरी है, क्या अपनी जान को जोखिम में डाल कर हमारी रक्षा करने वाले फौजी सफल नहीं है ?... या फिर सर आप, (सुर्यप्रकाश की ओर देखते हुए) यहां की हालातों के देखते हुए भी आपने और आप जैसे और भी शिक्षकों ने यहां आकर, अपनी जान को जोखिम में डालकर हमें पढ़ाने का भार अपने कंधों पर लिया, क्या ये फैसला आपको आराम की जिंदगी देगा ? या सफलता देगी ? अच्छा पढना, अच्छी नौकरी करना, पैसे कमाना और आलिशान घर बनाना तो जीवन में कभी न कभी तो होगा ही, सिर्फ उसके लिए निरंतर प्रयास करना होगा क्योंकि यदि हमारे प्रयासों में निरंतरता है, तो परिणाम का कोई हक़ नहीं की वो हमसे दुर रहे। अभी किसी नें मुझे पीछे से ‘हकला’ कहा, सभी ने मेरा मज़ाक बनाया...पर मुझे कोई अफसोस नहीं पता है क्यों ? क्योंकि मैं मानता हुं कि ईश्वर नें मुझे ज्यादा दिया है, किसी के पास तो बोलने के लिए ज़ुबान भी नहीं होती और जिनकी ज़ुबान नहीं होती है न्..., वो अपने दर्द को भी कभी बयां नहीं कर पाते है और न कोई भी जान पाता है। जरा सोचिए क्या बितती होगी ऐसे इंसान पर। हम पढ़ लिख कर ऐसे लोगों की ज़ुबान बनेंगे, सहार बनेंगे अपने बुढ़ें माता-पिता जिनके सहारे हमने चलना सिखा, एक उम्मीद बनेंगे उनके लिए जो नाउम्मीद हो चुके है, साथी बनेंगे उनका जो पीछे छुट चुके है एक नया भविष्य बनेंगे अपने गाँव और अपने देश का... क्योंकि ‘जिंदगी में सफलता का असली मतलब दुसरों के काम आना होता है।‘<br />
<br />
विश्वजीत इतना कह कर शांत हो जाता है, सभी विधार्थी विश्वजीत की ओर एक टकटकी लगा कर देखते रहते हैं, कक्षा के बाहर भी अन्य शिक्षकों का जमावड़ा लगा रहता है और वो भी विश्वजीत को देखते ही रह जाते हैं। ऐसा लगता है की जैसे समय रुक सा गया हो चारों और एक सन्नाटा सा हो जाता है।<br />
<br />
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तभी सुर्यप्रकाश जोर जोर तालियां बजाना शुरु करते है और देखते देखते पुरे सभी तालियां बजाना शुरु कर देते है, पुरा विद्यालय तालियों की गडगडाहट से गुजने लगता है। सुर्यप्रकाश विश्वजीत को अपने गले से लगा लेते है और कहते है – जियों मेरे बच्चे... (सुर्यप्रकाश कुछ और भी बोलना चाहते थे पर खुशी के मारे उनका गला रुंध जाता फिर भी वो कहने को कोशिश करते है )द..दै...अ..आ ...मैं भी हकलाने लगा हुँ ... दैट्स लाईक माई बॉय, वेल डन ।<br />
<br />
विश्वजीत (सुर्यप्रकाश को कस कर पकडते हुए) – न...नो सर, इ..इट...इट्स... वेल बिगन, हॉफ डन।<br />
<br />
कक्षा में कुछ देर में सब कुछ सामान्य हो जाता है लोग अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं कक्षा भी कुछ देर में समाप्त होती है और शिक्षक कक्षा से निकल कर चले जाते है..., उसी समय विश्वजीत के पास ‘बहादुर’ नाम का एक लड़का आता है और विश्वजीत से कहता है –<br />
<br />
बहादुर – भाई मुझे माफ कर दे...वो...म्म.. मैंने पीछे से तुम्हें हकला... कहा था। भाई मेरे से दोस्ती करोगे ? विश्वजीत (गुस्से में उंगली दिखाकर) – एक शर्त पर... त..त्...तु मुझे...हकला...(एकाएक मुस्कुराते हुए) नाम से ही बुलाएगा...हा हा हा...।<br />
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दोनो एक दुसरे को गले लगा कर जोर जोर से हसने लगते है।<br />
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<div style="text-align: center;">
<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 4)</h2>
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शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 4)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
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जैसे ही बलराज और जानकी नाथ माथुर विद्यालय के उदघाटन के लिए रिबन काटने आगे जाते है कि तभी उन पर हमला होता है।<br />
<br />
हमले में बलराज़ बुरी तरह ज़ख्मी हो जाते है और इस हमले में वो अपनी जान गवाँ बैठते है। पर अपने प्राणों को त्यागते हुए भी वो विद्यालय के उदघाटन का रिबन काट देते हैं और जानकी नाथ माथुर से एक वादा लेते है, कि वो इस विद्यालय की योजना को सफल जरुर बनायेंगे और उनके गाँव को नशे की लत से मुक्त करेंगे।<br />
<br />
हमला करने के वाले बदमाश गुंडे हमला करके भाग जाते हैं, पर जाते जाते एक धमकी भरा संदेश दे कर भी जाते है कि “अब भी कोई इस स्कुल में पढ़ने जायेगा, तो अपनी जान हाथ धो बैठेगा”।<br />
<br />
असली चुनौती तो अब थी, क्योंकि गावँ वाले इस हादसे से डर चुके थे और कोई भी अपने बच्चों की जान ज़ोखिम के डालना नहीं चाहता था। बलराज़ गाँव के मुखिया थे इसलिए उनकी मृत्यु के बाद किसी न किसी को तो यह पद सम्भालना था। वहां के भ्रष्ट नेता बड़ी ही चालिकी से चौरंगी लाल नाम के आदमी को मुखिया के रुप में नियुक्त कर देते है जो उनका अपना आदमी होता है।<br />
<br />
चौरंगी लाल का सिर्फ एक मकसद होता है कि किसी भी प्रकार जानकि नाथ माथुर की योजना में विघ्न डालना। वह तरह के षड़यंत्र बनाते ताकि जानकि नाथ माथुर अपने मंसुबे मे कामयाब नहीं हो सके और हार कर गाँव से वापस चला जाए।<br />
<br />
जानकि नाथ माथुर बचपन से ही हठी थे और हार मानना उनकी फिदरत में थी ही नहीं। केन्द्र और राज्य में भी अपनी पार्टी की सरकार होने का फायदा उठाकर वो सरकार से गुजारिश करते है कि उस विद्यालय को सेना की सुरक्षा दी जाए। सरकार की ओर से जानकि नाथ माथुर के आग्रह को स्वीकृती मिल जाती है और विद्यालय में सेना सुरक्षा बल तैनात कर दिये जाते है।<br />
<br />
अब विरोधी भी एक नई चाल चलते है और मुखिया चौरंगी लाल लोगों में फुट डालता है। एक दिन सुबह सुबह गाँव में भीड़ को इकट्ठा करके वो भाषण देता है –<br />
<br />
चौरंगी लाल – (आवाज़ में ज़ोर डाल कर) गाँव के भाई बंधुओं, जानकि नाथ माथुर आपके के भले ले लिए कुछ भी नहीं करने वाला। वो इस गाँव में आया और आपके पुराने मुखिया के जान चली गई। उसने आपनी मंसुबों को कामयाब करने के लिए अपनी बचपन की दोस्त की भी बलि चढ़ा दी और अब वो इस गांव के हरेक बच्चों और युवा की जान ले लेगा। इस स्कुल के बहाने वो अपनी जेब भर रहा है।<br />
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<br />
इस विद्यालय में अब सेना की सुरक्षा के इंतजाम करके आपकी और आपके बच्चों की हिफाज़त का आस्वाशन दे रहा है और शिक्षा देने का वादा कर रहा है, पर मुझे आप ये बताईए की कभी किसी को बंदुक के सहारे कलम चलाना सिखाया जा सकता है?<br />
<br />
उस भीड़ मे खड़े जानकि नाथ माथुर सब कुछ सुन रहे थे, जब ये सब देख कर उनसे रहा नहीं गया तो वो खुद गाँव वालों की भीड़ के सामने आ गये और चौरंगी लाल को टोकते हुए कहा –<br />
<br />
जानकि नाथ माथुर - (आवाज़ में ज़ोर डाल कर, गाँव वालों को सम्बोधित करते हुए) ये विद्यालय केवल अज्ञानता के अंधकार को दुर करने के लिए नहीं है बल्कि आपके जीवन के भी अंधकार को दुर करने के लिए भी है। इस गाँव के बच्चों और जवान लड़कों के जीवन में कोई लक्ष्य नहीं है इसी वजह वो नशे के खाई में एक के बाद एक करके गिरते जा रहें है। जरा सोचिये हमारे बच्चे पढेंगे, उनका बौद्धिक विकास होगा और उनके जीवन में भी कुछ कर गुजरने की भी ईच्छा जागेगी और वो अपना लक्ष्य खुद तय करेंगे और उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जीयेंगे न की नशा करने के लिए।<br />
<br />
चौरंगी लाल – (जोर की आवाज में बीच में ही फटकार लगाते हुए) अरे, छोड़ो जानकि नाथ, बहुत सुनी तुम्हारे बड़ी बड़ी बातें, अगर इतनी ही अच्छी शिक्षा तुम्हें इस विद्यालय में देनी है तो अभी तक अपनी बेटी को क्यों फौरन के देश में पढा रहे हो, यहां लाकर पढ़ाओ?... क्यों भाईयों...?<br />
<br />
गाँव वाले भी चौरंगी लाल की बातों में हां मे हां मिलाने लगे और जोर जोर से चिल्लाने लगे और ये शर्त रखी – हां हां...जानकि नाथ माथुर की बेटी का दाखिला इस विद्यालय में सबसे पहले होगा फिर हम अपने बच्चों को भेजेंगे।<br />
<br />
तभी चौरंगी लाल धीरे धीरे चलकर जानकि नाथ माथुर के करिब आता है फुसफुसाता है – जानकि नाथ अब तु कोई भी चाल चल ले तेरी हार पक्की है।<br />
<br />
जानकि नाथ माथुर ये सब देख-सुन हैरत और असमंजस में पड़ जाते है जिन गाँव वालों के बच्चों की जींदगी को वो बचाना चहते थे वही गाँव वाले उन्ही के बच्ची की जींदगी को दाँव पर लगाने को आतुर थे।<br />
<br />
हैरान और परेशान हो कर वहां से चले जाते है। मीडिया वालों को इस बात की खबर होती है तो वो इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट बना कर अपने चैनल प्रसारित कर देते है और यह बात जानकि नाथ माथुर की एक लौती संतान आशि माथुर तक पहुंच जाती है और बिना सोचे समझे भारत आ जाती और अपने पिता से मिलती है।<br />
<br />
आशि – डैडी, इतना सब कुछ हो गया और आपने मुझे बताया तक नहीं?<br />
जानकि नाथ – कैसे बताता, मैं जानता था कि अगर तुम्हें ये सब पता चलेगा तो तुम भारत वापस आ जाओगी और ये मैं किसी किमत पर नहीं होनें देना चाहता था। बेटा अब भी वक्त है वापस लौट जाओ।<br />
<br />
आशि – आप अपनी बेटी को बेटा भी कहते है और एक कायर के तरह यहाँ से भाग जाने को भी कहाँ रहें है। जानकि नाथ – (आँखों से आँसे पोछते हुए) आखिर हुँ तो मैं एक पिता ही, तुम्हें अपने मकसद में कामयाब होने ज़रिया तो नहीं बना सकता न?<br />
आशि – जरा सोचिए पिता जी, यही मनोस्थिति तो उन गाँव वालों की भी होगी तभी तो वो भी अपने बच्चों की जींदगी खतरे में डालना नहीं चाहते होंगें।<br />
<br />
अपनी बेटी की इतनी समदारी भरी बात को सुनकर, गर्व से उनका सिना चौड़ा हो गया। उन्होंने अपने बेटी को सिने से लगा लिया और कहा – तु है तो मेरी छोटी सी प्यारी बिटिया, पर बात बड़ी समझदारी वाली करती है, बिल्कुल अपनी बलराज चाचा की तरह। अगर तेरे चाचा हमारे बीच होते तो बहुत ही खुश होते। बेटा उसके जाने के बाद मैं अकेला हो गया था पर तेरे आने मुझे फिर से एक हौसला मिला है बेटा।<br />
<br />
इतना कहाँ कर जानकि नाथ मन में सोचते है – चौरंगी अब तु मेरी चाल देख...।<br />
<br />
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अगली सुबह<br />
<br />
जानकि नाथ – (गाँव वालों की भीड़ को इकट्ठा करके) गाँव वालों आपने जैसा कहा था, मेरी बेटी की पढाई भी अब इसी कॉलेज में होगी, सबसे पहले इसका दखिला होगा और हाँ मेरे दोस्त बलराज ने अपने प्राणों की बलि दी है और अगर आपके मन में उसके लिए थोड़ी इज्जत है तो मुझ पर भरोसा रखिये, मैं आपको निराश नहीं करूंगा।<br />
<br />
गाँव वालों को अब जानकि नाथ माथुर पर भरोसा होने लगता है और सभी अपने अपने बच्चों के दाखिले के लिए राज़ी हो जाते है। सारे विद्य़ार्थीयों का नामांकन हो जाता है। शिक्षकगण की नियुक्ति भी हो जाती है पर इंटेलिजेंस ब्युरो से एक गुप्त सुचना मिलती है कि अब जानकि नाथ माथुर की बेटी आशि को निशाना बनाये जाने की योजना बनाई जा रही है।<br />
<br />
जानकि नाथ माथुर कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहते थे इसीलिए वो एक स्पेशल बैटल फिल्ड स्नाईपर कमांडोज़ की मदद लेते है। इन कमांडोज़ की टीम का नाम था ‘ट्विस्टर ट्वींस’। ट्विस्टर ट्वींस स्पेशल बैटल फिल्ड स्नाईपरस की खास बात ये होती है कि ये किसी भी मिशन में खुद को छुपा कर रखते है। ये एक अंडरकवर स्नाईपरस कमांडोज़ की टीम होती है और जोड़े में काम करते है।<br />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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Progrramershttp://www.blogger.com/profile/11092840251425263196noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-750016975357229134.post-79488284947238613782018-03-31T07:19:00.000-07:002019-10-17T11:02:30.997-07:00The Boy Friend Part - 3<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<h2 style="text-shadow: 2px 2px 2px #E76D80;">
द बॉयफ्रेंड (भाग – 3)</h2>
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<br />
शिर्षक (Title) - <b>द बॉयफ्रेंड (भाग – 3)।</b><br />
वर्ग (Category) – <b>प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)</b><br />
लेखक (Author) – <b>सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)</b><br />
<b><br /></b>
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वक्त कटता गया और दोनो की समझदारी बढ़ती गई दोनो बड़े हुए और् उनके साथ साथ गाँव के अन्य युवा भी बडे हुए। गाँव के बस्ती से महज़ तीन से चार किलोमीटर की दुरी पर भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर शुरु हो जाता, जो ‘नो मेंस लेंड’ था।<br />
<br />
बॉर्डर पार से नशीले पदार्थों की तस्करी होती थी। इसमें कई बड़े पॉलिटिशियन और बड़ी हस्तियां शामिल थे। इसलिए इस समस्या से निजात पाना मुश्किल था।<br />
<br />
जब दोनो बड़े हुए तो दोनो ने मिल कर एक संकल्प लिया कि, चाहे जो भी हो नशीले पदार्थों की तस्करी और अट्टारी के युवा की जिंदगी बरबाद होने से रोकना है। मेरे पिता जानकी नाथ माथुर इसी कारण पॉलिटिक्स के क्षेत्र में चले गये और बलराज चाचा वहीं गाँव में रुक कर अपनी पढाई करते और युवाओं को नशा से मुक्ति के लिए प्रेरित भी करते।<br />
<br />
समय बितता गया, मेरे पिता एक बड़े पॉलिटिशियन बन गये और गाँव को छोड़ कर शहर चले गये और बलराज चाचा गाँव में रह कर उस गाँव के मुखिया बन गये।<br />
<br />
<b>लगभग 19 साल बाद</b><br />
<br />
जानकी नाथ माथुर अब, डिपार्टमेंट ऑफ हाईयर एजुकेशन एम0एच0आर0डी0 के मंत्री बन गये थे, और उस वक्त बलराज चाचा खुद की बनाई हुई एक छोटी सी पाठशाला में गाँव के बच्चों को पढाते थे। एक दिन बलराज चाचा बच्चों पढ़ा रहे थे, तभी पीछे किसी के कदमों की आहट आई और बलराज ने बिना देखे उस शख्स को पहचान लिया और कहा –<br />
<br />
बलराज – मुझे लगा कि तुम मुझे भुल गये हो पर शायद मैं ग़लत था। जानकी नाथ माथुर – मैं तुम्हें कभी नहीं भुला पर तुमने मेरी खोज़ खबर लेने की ज़हमत नहीं की।<br />
<br />
इतना कहते ही दोनो एक दुसरे को गले से लगा लेते है। फिर बैठ आराम से घंटों एक दुसरे बातें करते है, अपना सुख-दुख बांटते है।<br />
<br />
बलराज – भाभी जी और आशि बिटिया कैसी हैं? जानकी नाथ माथुर – तेरी भाभी जी ठीक है, तु तो जानता है मैं कितना व्यस्त रहता हूँ, तेरे बारे में जब भी बात करता था तो वो कहती थी, की पता नहीं कब तुम्हें देख पायेगी और आशि लंदन गयी है अपनी पढाई पुरी करने। यहां हमेशा किसी न किसी कारण से उस पर खतरा बना रहता था इसलिए उसे लंदन भेज दिया।<br />
<br />
बलराज चाचा – तो कभी भाभी को इस गरीब की कुटिया में ले आओ। यहां भी कोई कमी नहीं होगी उन्हें। जानकी नाथ माथुर – अरे नहीं यार, तु भी कैसी बात करता है, यहां आकर तो अपनी सम्पुर्णता अनुभव होता है। यहाँ कमी कैसी? सच में तेरी याद बहुत आती थी।<br />
<br />
इतना कह कर दोनो खुले खेतों की लहलहाती फसल की ओर बढ़ जाते है।<br />
<br />
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<br />
जानकी नाथ माथुर – (आनन्दमयी होकर) वाह ! अपने गाँव की मिट्टी की खुशबु... लाजवाब...क्या कहने...इन नज़ारों को देखने को तरस गई थी आँखे।...(चारो तरफ देखते हुए) बलराज याद तुम्हें, हमने क्या संकल्प लिया था, कि इस मिट्टी में कभी नशिली दवाओं का जहर नहीं घुलने देंगें। उस वक्त हमारे हाथ बंधे थे पर आज नहीं, ... आज जितने ताकतवर वो है उतनें ही हम।<br />
बलराज – तुम करना क्या चाहते हो? जानकी नाथ माथुर – यहां मैं छोटे बच्चों के लिए स्कुल और युवाओं के लिए एक कॉलेज खुलावाना चाहता हुँ।<br />
बलराज – सोच तो अच्छी है पर क्या सरकार हमें अनुमति देगी। इस गाँव से 4 कि0मी0 दुर पर ही ‘नो मेंस लेंड है’।<br />
<br />
जानकी नाथ माथुर – उसकी चिंता मुझे करनी है, पर तुमसे मुझे एक बहुत ही बडी और महत्व्पुर्ण मदद चाहिए। इस गाँव में एक बड़ी ज़मीन चाहिए, जहां स्कुल और कॉलेज़ की केम्पस बनाई जा सके।<br />
बलराज – (बलराज ने मुस्कुराते हुए जानकी नाथ माथुर कंधे पर हाथ रखा और कहा) बस, इतनी सी बात? चल कुछ खा ले फिर सोचते है कि क्या और कैसे करना है।<br />
<br />
अगली सुबह बलराज और जानकी नाथ माथुर दोनो हरेराम सिंह नाम के एक ज़मीनदार से मिलते है और अपने योजना बताते है। हरेराम सिंह नाम की जमीन बहुत ही अच्छी थी, इसीलिए वो सबसे पहले उन्हीं पास जाते है, पर ज़मीनदार हरेराम सिंह राजी नहीं होता है वो लोग खाली हाथ वापस लौट जाते है।<br />
<br />
दोनो गाँव में कई लोगों के पास गये पर किसी ने कहा की जमींन पर खेती करनी है और किसी को अपना घर बनाना था पर सच था की नशिले दवाओं की तस्करी में सभी हिस्सेदार थे इसीलिए कोई भी वहां के नेताओं से उलझना नहीं चाहता था।<br />
<br />
ऐसा लग रहा था कि किस्म्त के सभी दरवाज़े बंद हो गये है कोई उम्मीद नहीं नज़र आ रही थी, तभी एक खबर आई कि हरेराम सिंह नाम के जमीनदार जिसके पास सबसे अच्छी ज़मीन थी उसका एकलौता बेटा ‘हेरोईन’ का ज्यादा नशा करके बिमार हो गया और उसे शहर के बड़े हॉस्पिटल में भरती कराने के लिए के जाया गया है।<br />
<br />
ये खबर सुनते ही दोनो शहर की ओर निकल पड़े और हॉस्पिटल पहुँचे। जानकी नाथ माथुर ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल करके समय पर सब कुछ नियंत्रण में ले लिया और हरेराम सिंह का बेटा बच गया। साथ ही उसे अपनी गलती का भी एहसास हुआ और वो अपनी ज़मीन भी लीज़ पर देने को तैयार हो गया।<br />
<br />
बस अब सरकार से अनुमति की ज़रुरत थी, उसकी व्यवस्था भी जानकी नाथ माथुर ने अपने दम पर करा लिया।<br />
और कुछ दिनों बाद ही जमींन पर स्कुल और कॉलेज़ का शिलान्यास भी हो गया। धीरे धीरे यह खबर मीडिया में आग की तरह फैलने लगी और मीडिया ने अपना भरपुर योगदान दिया।<br />
<br />
एक तरफ इस कार्य की चारों ओर सराहना हो रही थी और दुसरी तरफ जिन लोगों को इससे नुकसान होने वाला था वो चुप बैठ नहीं सकते थे, इसलिए वे लोग जानकी नाथ माथुर को निशाना बनाने लगे और उन पर स्कुल और कॉलेज़ बनाने के बहाने घोटाले का आरोप लगाने लगे। वो गाँव के लोगों को भी इकट्ठा करके जानकी नाथ माथुर के खिलाफ भड़काते और जानकी नाथ माथुर का विरोध करने को भी उकसाते।<br />
<br />
आये दिन प्रेस रिलिज़ और कॉंफ्रेंस में जानकी नाथ माथुर के अट्टारी शिक्षा योजना की चर्चा होने लगी। इस बीच बलराज भी गाँव जाकर स्कुल और कॉलेज़ के फायदे के बारे में बताते और उन्हें आश्वासन देते कि उनके बच्चे भी एक दिन पढ़ लिख कर जानकी नाथ माथुर जैसे बड़े इंसान बन सकते है।<br />
<br />
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एक दिन यही कार्य करके बलराज और जानकी नाथ माथुर वापस लौट रहे थे, जानकी नाथ माथुर के साथ बॉडीगार्ड भी थे, तभी कुछ बदमाशों ने सभी को घेर लिया और उन पर हमला कर दिया। बदमाशों से सामना करने के दौरान बलराज जानकी नाथ माथुर की जान बचाने के लिए बीच में आ जाते हैं और बुरी तरह ज़ख्मी हो जाते है। सारे बदमाश भाग जाते है और बलराज को तुरंत ही अस्पताल ले जाया जाता है, समय से अस्पताल पहुंच जाने के कारण वो खतरे से बाहर हो जाते हैं।<br />
<br />
देखते ही देखते स्कुल की इमारत खड़ी हो जाती है और स्कुल की शुरुआत का दिन भी आ जाता है। स्कुल में दाखिले के लिए बच्चों की भीड़ और कॉलेज़ में दाखिले के लिए युवाओं की भी लगी रहती है। इस मौके पर स्कुल के उदघाटन के रिबन काटने के लिए किसी बड़े नेता नहीं बल्कि बलराज को चुना जाता है।<br />
<br />
जानकी नाथ माथुर – बलराज, इस विद्यालय का उदघाटन तुम करोगे। बलराज – जानकी नाथ तुम एक बात भुल रहें हम जब तक साथ रहे तब तक हमनें कोई काम अकेले नहीं किया तो आज कैसे? हम दोनो मिल कर इस विद्यालय का उदघाटन करेंगें।<br />
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जैसे ही बलराज और जानकी नाथ माथुर विद्यालय के उदघाटन के लिए रिबन काटने आगे जाते है कि तभी उन पर हमला होता है।<br />
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कहानी आगे जारी रहेगी...
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