हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा। (भाग – 7)
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शिर्षक (Title) - हमारी अधुरी कहानी – एक प्रेम कथा।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा (Love Story)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)
जब राकेश की बारी आती है तो राकेश सिर झुका कर अपने हाथों को आगे करता है और संयोगवश लाउड स्पीकर पर गुरुमंत्र गुँजने लगता है -
गुरुरब्रम्हा गुरुर्विष्णु: गुरुदेवो महेश्वर: ।
गुरु: साक्षात्परब्रम्हा तस्मै श्री गुरुवेनम: !!
राकेश इस पल को महसुस करने के लिए अपनी आंखे बंद कर लेता है, गौरी अपना दान राकेश के हाथों पर रख देती पर उसे पहचान नहीं पाती है, राकेश वो कम्बल और कपडे लेकर वहां से चला जाता है और वह उस गांव के आदमी के पास जाकर उसको उसकी चादर लौटा देता है और अपना सामान एवं हुलिया ठीक करता है।
राकेश गुरुदक्षिणा लेने के लिए गौरी से किया हुआ आखरी वादा पुरा कर देता है और वापस गांव के स्कुल आता है जहाँ गौरी छुप के पढती थी। अब वहां टुटी फुटी स्कुल नहीं बल्कि एक विशाल विधालय था।
जैसे ही राकेश प्रवेश द्वार के पास जाता है तो मन गदगद हो उठता है, उस विधालय का नाम ‘राकेश शर्मा उच्च विधालय’ है और विधालय के भवन का नाम गुरुदक्षिणा है। प्रवेश द्वार के बाद आँगन में दो प्रतिमाएं हैं, जो निसंदेह: गौरी के माता पिता की हैं । वहां एक स्थान पर एक और प्रतिमा थी उसके नीचे शीलापट था जिसमें लिखा था ‘राकेश शर्मा – बिलासपुर का आर्मस्ट्रॉंग’।
राकेश अब जान चुका था कि उसकी और गौरी की कहानि भले ही अधुरी थी पर इस कहानि का इससे बेहतर अंत हो नहीं सकता था। इसी संतोष और खुशी के साथ वो अपने घर वापस लौट जाता है।
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