द बॉयफ्रेंड (भाग – 1)
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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 1)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)
टी0वी0 पर –
स्वागत है आपका आज की बड़ी बहस में, आज चर्चा का विषय है गुरु नानक कॉलेज़ जो पंजाब के अट्टारी में है। इस कॉलेज़ शुरुआत करने के लिए न जाने कितनी जिन्दगियां दाँव पर लग गईं थी, पर आज इस कालेज़ की कर्ताधर्ता सब कुछ छोड़कर विदेश में बसने जा रही है क्या है इस वजह? तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही है। आज उसी अटकलों पर चर्चा करने के लिए हमारे साथ जुड़ चुके है हमारे तीन एक्पर्ट्स। इससे पहले हम डिबेट शुरु करें हम लेते है छोटा सा ब्रेक।
अभिषेक (टी0वी0 की ध्वनि कम करते हुए) - आशि तुम एक बार फिर सोच लो, तुम जो करने जा रही हो उससे तुम पर ही नहीं बल्कि तुम्हारे पिता पर भी सवाल उठने लगेंगे। ये टी0वी0 शोज़ तो महज़ एक शुरुआत है।
आशि – मैंने जो भी फैसला लिया है वो सोच समझ कर लिया है। मैं इस पर और ज्यादा सोचना नहीं चाहती।
अभिषेक – आशि... तुम समझनें की कोशिश करो। जब से तुम्हारे फैसले के बारे में लोगों ने सुना है तब से सभी लोग एक ही बात पर रट लगाए हुए हैं की तुम अब भारत छोड कर किसी दुसरे देश में बसना चाहती हो।
आशि – अभिषेक, ये मीडिया है, इन्हें भी अपनी रोज़ी रोटी चलानी है और तुम ये मत भुलो की हमारी सफलता में मीडिया ने हीं बहुत बड़ा योगदान दिया था। जब ये हमारे साथ थे तब हमनें इन्हें गलत नहीं समझा, तो अब जब ये साथ नहीं है तो हम इन्हें कैसे गलत कह सकते हैं? ये तब भी अपना काम कर रहे थे और अब भी अपना काम कर रहें हैं।
अभिषेक – आशि... तुम ये क्या कह रही हो मैंने कभी भी मीडिया को गलत नहीं कहा...
आशि – तो...... तुम मुझे गलत कह रहे हो?
अभिषेक – मुझे तुम बातों में उल्झा रही हों ... तुम जानती हो की मैं तुम्हें गलत नहीं कह रहा, बस आने वाले खतरे से आगाह कर रहा हुं जो गुरु नानक कॉलेज़ पर मंडाराने वाला है।
आशि – याद है न ... हमने मिल कर इससे बड़े खतरे का सामना किया है...और उससे उबर कर सब कुछ हासिल किया।
अभिषेक – हाँ ... हमने मिल कर किया है पर अब तुम मुझे ये सब अकेले करने को कह रही हो।
तभी दरवाजे पर दस्तक होती है...अंदर आ सकता हुँ, सर।
अभिषेक – हाँ डेविड, आ जाओ।
(डेविड नाम का एक आदमी कमरे के अंदर दाखिल होता है जो आशि का शेड्युल प्लानर है।)
डेविड - गुड इवनिंग मेडम।
आशि – गुड इवनिंग डेविड, कहो कल की सारी तैयारियां पुरी हो गई?
डेविड – यस मेडम, कल सबसे पहले आप आशिर्वाद हॉस्पिटल का भ्रमण करेंगी, फिर वहां के नये वार्ड के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेंगी और फिर शाम को प्रेस कॉंफ्रेंस में आप शिरकत करेंगी और फिर वापस होटल।
आशि – वाह बहुत बढिया...(थोड़ी देर रुक कर)... डेविड...
डेविड – यस मे’म। आशि – गुड जॉब।
डेविड – थैंक यु मेडम।
अभिषेक – आशि ... वैसे हम प्रेस वालों से कहेंगे क्या?
आशि – सिर्फ सच कहेंगे, उसके सिवा कुछ भी नहीं।
अभिषेक – (फुसफुसाते हुए) क्या बात है...
अगली सुबह...
आशि अभिषेक, डेविड तथा कुछ और लोंगों के साथ आशिर्वाद हॉस्पिटल पहुँचती है जो होटल से 1 घंटे की दुरी पर था। सभी का फुलों से स्वागत किया जाता है और एक बढिया गेस्ट रुम में बिठाया जाता है।
अभिषेक – आशि मुझे समझ नहीं आता है कि तुमने यहां सिर्फ एक नये वार्ड के उद्घाटन का प्रपोज़ल स्वीकार कैसे कर लिया।
आशि – अभिषेक तुम्हें नहीं लगता कि तुम कुछ भुल रहे हो?
अभिषेक - नहीं आशि...मुझे याद है, अपना पर्स चेक करो...
आशि अपना पर्स खोलती है तो उसमें एक गिफ्ट और एक ग्रीटिंग्स कार्ड मिलता है जो अभिषेक ने रखा था।
आशि जैसे ही ग्रीटिंग्स कार्ड खोलती है, तो अभिषेक गुनगुना शुरु करता है...
अभिषेक - (धीमी आवाज में अपना सिर हिलाते हुए) हैप्पी बर्थडे टु यु... हैप्पी बर्थडे टु यु... हैप्पी बर्थडे डीयर आशि... हैप्पी बर्थडे टु यु...
आशि – थैंक यु... तो तुम्हे याद था? ... वेरी लवली सरप्राईज़!
अभिषेक (अपना सिर झुकाते हुए) – योर वेल्कम मे’म।
आशि – ये हॉस्पिटल एक मेटरनिटी सेंटर के तौर पर खुला था। यहां केवल गर्भवति महिलाओं की प्रसुति की जाती थी। धीरे धीरे इस हॉस्पिटल ने काफि तरक्की कर ली। आज इसकी चालीसवीं सालगिरह है और मेरी भी आज चालिसवीं सालगिरह है।
अभिषेक़ – हम्म...तो इसमें नया क्या है?
आशि – एक सरप्राईज़ अब तुम्हारे लिए...
अभिषेक – क्या ?
आशि – मेरी मां इस हॉस्पिटल की पहली पेशेंट थी।
अभिषेक़ – इसका मतलब ... क्या हुआ...यानि मैं थोडा ... अ ... क.. कंफ्युज्ड हो गया हुँ।
आशि – हां, मैं इस हॉस्पिटल मैं पैदा होने वाली पहली बच्ची हुँ।
अभिषेक – अ..ओ ... मेरी बोलती बंद हो गई, ... (मन में सोचते) बस यही एक कारण है?
सभी बात करते ही रहते तभी हॉस्पिटल के सिनियर डॉक्टर आते है और कहते हैं
डॉक्टर – नमस्ते मैडम ! हमारी खुशकिस्मती है कि आप यहां आये हैं, आने का शुक्रिया।
आशि – खुशकिस्मती हमारी है, वैसे हमें देर तो नहीं हुई?
डॉक्टर – बिल्कुल भी नहीं, बहुत ही सही समय पर आप आईं है। मुझे आपकी इजाजत चाहिए ताकि मैं इस हॉस्पिटल की खासियातों से आपको रुबरु करा सकुँ।
आशि – ये मेरी खुशनसीबि है। प्लीज़ चलिए...
आशि के साथ हॉस्पिटल के अन्य ऑफिशिल जैसे डॉक्टर्स और मैनेजरस आदि भी चलते हैं। आशि पुरे हॉस्पिटल की एक एक चीज को बहुत ही उत्साह और ध्यान से देखती है। तभी आशि को महसुस होता है जैसे की किसी ने उसे पुकारा हो ... आशि थोडी देर रुक कर महसुस करने की कोशिश करती है, पर फिर उसे लगता है कि उसे कोई भ्रम हुआ हो और आगे बढ़ जाती है...
अभिषेक – आशि, कोई प्रोब्लेम है?
आशि – नहीं नहीं ... कोई बात नहीं बस ऐसे ही।
आशि को एक कमरा दिखाई देता है जिसके दरवाज़े पर लिखा होता है ‘अनाधिकृत प्रवेश निषेध’।आशि उस कमरे को बडे आश्चर्य से देखती है और रुक कर देखती रहती है, उसे ऐसा महसुस होता है कि किसी ने उसे फिर से उसे पुकारा हो। आशि के साथ सभी वहीं रुक जाते है... कुछ पलों के बाद अभिषेक फिर से आशि को पुछता है...
अभिषेक – आशि, कोई प्रोब्लेम है? प्लीज़ मुझे बताओ...
आशि – (उस कमरे के बारे में पुछते हुए) इस कमरे में क्या है?
डॉक्टर – इस कमरे में एक पेशेंट है जिस पर पिछले बीस सालों से एक शोध चल रहा है। ये काफि क्रिटिकल केस है। ये कमरा पुरी तरह आर्मी और डिफेंस के साइंटिस्ट, डॉक्टरस और इकेक्ट्रॉनिक्स इंजीनिर्यस को डेडीकेटेड है। यहां हमे भी जाने की इजाजत नहीं है। कल इस पेशेंट का आखरी दिन है।
आशि – आखरी दिन है..पर क्यों?
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