The Boy Friend Part - 19

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 19)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 19)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


आशि तेजी से अपने कमरे से निकल कर सिढ़ियों से नीचे उतरती है और बगीचे के रेस्टोरेंट में पहुंचती है और जिसे देखती है, उसे देख कर अपनी आंखों पर यकिन नहीं होता है, उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वो कोई सपना देख रही हो । वो पीछे से उस शख्स के पास जाकर उसे पुकारती है - विश्वजीत !

वो शख्स आशि की तरफ मुड़ता है,

आशि उसे ऐसे देख रही थी मानो जैसे की वो अब भी किसी खुबसुरत सपने में हो, उसे यकिन नहीं हो रहा था कि क्या उसके सामने जो भी कुछ हो रहा है वो सच है या फिर सपना, आशि उसके चेहरे को अपने हांथों से छुती है और फिर उसके सामने घुटनों के बल बैठ कर रोते हुए उसका हाथ पकड़ती है और पुछती है - तुम कहां चले गये थे बिना बताए, ... क्यों चले गये थे बिना बताए ... जानते हो मैंने कितना ढुंढा तुम्हें ... तुम्हें कितना मिस किया ... मां-पापा के ग़ुजर जाने के बाद कैसे संभाला है खुद को, तुम्हें इसका अंदाज़ा है ? तुमने तो लिखा था कि मुझसे प्यार हो तो मेरे लिए रुके क्यों नहीं ... ? मेरे लिए रुके क्यों नहीं ... जवाब दो मुझे ?

आशि का रो-रो कर बुरा हाल हो जाता है, लेकिन उसके सवाल रुक नहीं रहे थे -

आशि - (रोते हुए) जवाब दो विश्वजीत, कुछ तो बोलो ... बोलते क्यों नहीं तुम ?

तभी पीछे से एक आवाज़ आती है - वो जवाब नहीं दे सकता ... क्योंकि वो बोल नहीं सकता है ...

आशि को वो आवाज़ भी जानी पहचानी लगती है जैसे ही वो पीछे मुड़कर देखती है तो उसे आलिया खड़ी दिखती है ।

आशि - (खड़ी होकर, आश्चर्य से देखते हुए) आलिया ... तुम यहां और क्या मतलब की वो बोल नहीं सकता है ?
आलिया - हां मैं ...और तुम जिसे तुम विश्वीजीत समझ रही हो वो विश्वजीत नहीं है ।
आशि - नहीं नहीं ...(काँपते हुए आवाज़ में) मेरे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है ।
आलिया - ये विश्वजीत नहीं रंजीत है विश्वजीत का ज़ुड़वा भाई ।

आशि - (एकाएक आशि खुद को स्थिर करती है) ओह ! (रंजीत की ओर देखते हुए) माफ करना मैंने तुम्हें विश्वजीत समझ लिया, वो तुम्हारे बारे अक्सर बातें करता था पर... पर कभी नहीं बताया की तुम दोनो ज़ुड़वा हो, ...सॉरी ... पर मेरा विश्वजीत कहां है ? (आशि की आँखों में उम्मीद साफ झलक रही थी )

आलिया - वो आज भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है ।
आशि - प्लीज ... मुझे उसके पास ले चलो ।

आशि के बाकि साथी भी तब तक नीचे आ चुके होते है, उन सभी को आलिया और रंजीत विश्वजीत के पास ले जाते है ।

आशि के साथ सभी लोग आशिर्वाद हॉस्पीटल पहुंचते है ।

आशि - (आश्चर्य से पुछते हुए) आशिर्वाद हॉस्पीटल !? आलिया तुम मुझे यहां क्यों लाई हो ?
आलिया - तुम्हारा विश्वजीत,... बीस सालों से यहीं तुम्हारा इंतजार कर रहा है ।

ये कहते हुए आलिया आशि उसे कमरे के पास लाती है जिस कमरे के बारे आशि डॉक्टर से बात कर रही थी, उस कमरे की द्वार पर लिखा था 'अनाधिकृत प्रवेश निषेध'  ।

आशि से ही उस कमरे की ओर देखती है ही डर से उसके रौंगटे खड़े होने लगते है, आलिया गेट पर खड़े सिक्योरिटी गॉर्ड से दरवाज़ खोलने को कहती है और आलिया, आशि, अभिषेक और कुछ खास डॉक्टर अंदर जाते है ।

आशि को सबसे दिवार पर एक काग़ज़ का टुकड़ा चिपका हुआ मिलता है जिस पर लिखा होता है ‘जिंदगी में सफलता का असली मतलब दुसरों के काम आना होता है ‘ और जो दुसरी चीज़ दिखती है वो था उसका टेडी बीयर जो कॉलेज़ में अक्सर उसके हाथ में होता है ।

आशि - (डर से काँपते हुए आवाज़ में ) ये सब क्या है और यहां क्यों है आलिया ?
आलिया - आशि यहां जो कुछ भी हुआ है उसके सिवा हमारे पास कोई चारा नहीं था । (आलिया एकाएक रोने लगती है )

आशि - (डर से काँपते हुए आवाज़ में) आलिया तुम रो क्यों रही हो... कहां है मेरा विश्वजीत ...?
आलिया - (बेड पर पडे हुए मरिज़ की ओर इशारा करते हुए) यहां है तुम्हारा विश्वजीत आशि ... ।

आशि डर और हैरानी से उस मरिज़ की ओर देखते हुए उसके पास जाती है, उस मरिज़ का चेहरा एक वेंटीलेटर मास्क से छीपा हुआ था जिससे उसे कृत्रिम प्राण वायु दी जा रही थी, पर पास से देखने पर वो विश्वजीत को पहचान लेती है, उसकी हालत देख कर आशि को सदमा लग जाता और रोते ही चली जाती है वहां मौजुद लोग उसे संभालने की कोशिश करते है पर विश्वजीत ये हालत देख कर आशि को मर जाने इच्छा होने लगती है । किसी भी तरह लोग उसे संभालते है ...

आशि - (ज़ोरों से विलाप करते हुए) आलिया ये क्या हाल कर दिया मेरे विश्वजीत का ... ये सब कैसे हुआ आलिया ? क्या हुआ है इसे बताओ ?
आलिया आशि अपने गले से लगा कर उसे सहार देती है और उसे शांत करती है और फिर उसे पुरी बात बताती है -

आलिया - ये कहानि इतनी छोटी नहीं है आशि पर सच जानने का तुम्हें पुरा हक है... क्योंकि तुम्हारे एक साहसी कदम से ये सब शुरु हुआ था ।

आशि तुम्हें याद होगा कि गांव वालों नें तुम्हारे पिता के सामने शर्त रखी थी कि कॉलेज में सबसे पहले तुम्हार दाखिला होगा और फिर दुसरे बच्चों का । जब तुम लंदन से वापस आ गई तो तुम्हारे पिता को इंटर्पोल की खबर मिली थी कि सरहद के उस पार के आंतकी तुम्हें अगवा करने का प्लान बना रहे है और तुम्हारी रिहाई के बदले कॉलेज की इमारत को गिराने की मांग करेंगे ।

अगर आंतकियों पर दवाब पाकिस्तान के तरफ से होता तो सोवियत रुस और अमेरिका इस मामले में जरुर अपनी टांग अड़ाते, पर जब पाकिस्तान से इस मुद्दे पर एक गुप्त वार्ता हुई तो पाकिस्तान इस योजना में अपना हाथ होने से साफ साफ मुकर गया ।

जब रॉ नें पुरे मामले की ज़ाँच की, तो पता चला की हमारे देश के कुछ भ्रष्ठ नेता इस योजना में शामिल थे । केन्द्र सरकार इसमें ज्याद कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि एक तरफ पोखरण के परमाणु प्रयोग का मामला था और दुसरी तरफ कार्गिल के सरहद पर युद्ध का खतरा, इस कारण सरकार भी दवाब में थी ।  इस मामले की जब अंदरुनी ज़ाँच हुई, तब इस योजना में कई बड़े नेता के नाम निकल गये । अगर केन्द्र सरकार इस मामले में सीधे सीधे हस्तक्षेप करती तो केंद्रिय मंत्री मंडल भंग हो जाता और सरकार गिर जाती क्योंकि उस समय हमारे देश में गठबंधन की सरकार थी ।

इसलिए तुम्हारे पिता नें ट्विस्टर ट्वींस कमांडो को इस मिशन में शामिल कर लिया । ट्विस्टर ट्वींस कमांडो की अपनी एक खासियत होती है । जैसे की विश्वजीत और रंजीत ।
आशि - क्या ? विश्वजीत ... ट्विस्टर ट्वींस कमांडो था ? (आशि विश्वजीत की तरफ देखती है और उसे उस पर नाज़ होने लगता है ।)

आलिया - हाँ , दोनो जुडवा है, विज्ञान की भाषा में आईडेंटीकल ट्वींस''। इन दोनो में इतनी समानता है कि इन दोनो में फर्क बताना मुश्किल है । रंजीत ने कश्मीर में हुए एक आतंकी हमले में अपनी ज़बान खो दी थी । पर विश्वजीत मॉर्डन इलेक्ट्रानिक साइंस में माहीर था उसने अपने भाई के इस कमज़ोरी को ही अपना हथियार बना लिया और एक ऐसा इलेट्रॉनिक रेडियो डीवाईस बनाया जिससे इन दोनो के बीच होने वाली बात-चीत को डिकोड करना मुश्किल था और इससे इनकी काबलिया और भी बढ गयी ।

एक दुसरे से संपर्क में रहने के लिए इसी रेडियो डीवाईस की मदद लेते थे जिसका एक हिस्सा रंजीत के पास था और दुसरा विश्वजीत के टेडी बीयर में फ़ीट था । इसीलिए विश्वजीत कभी भी इस टेडी बीयर को अपने से अलग नहीं होने देता था । जब रजींत को किसी बात का जवाब हां या ना में देना होता तो उसके पास इस डिवाईस से ज़ुड़े ट्रांस्मीटर का बटन दबा कर ज़वाब देता, जब इस टेडी बीयर की आंखे हरी होती तो उसका मतलब था 'हां' और जब लाल होती तो उसका मतलब था 'ना' और जब तेजी से आंखें लाल हो जाती तो इसका मतलब था 'खतरा है भागो' ।

तुम्हें याद है उस आतकीं ने बहादुर को ट्विस्टर ट्वींस कमांडो समझ कर मार डाला था दरसल वो सच में कमांडो नहीं था और जिस कमांडो को वो लोग ढुंढ रहे थे वो कोई और नहीं विश्वजीत ही था ।

आलिया - आशि तुम पहले भी रंजीत से मिल चुकी हो ।
आशि - पहले भी ? ये क्या कह रही हो ?(आश्चर्य से देखते हुए ।)

आलिया - हाँ , तुम्हें याद होगा, एक दिन तुमने विश्वजीत को तुमने डाँट लगाई थी क्योंकि उसने तुम्हार घर तक पीछा किया था, उससे एक दिन पहले तुमने पहली बार रंजीत को अपने घर के पास देखा था ।

दुसरी बार, जब हम लोग शहर घुमने गये थे और वहां बदमाशो नें हम पर हमला किया था, वहां बदमाशों को जिसने मारा था वो भी रंजीत ही था । वहां तुम्हें शक था कि मेरे साथ ट्रॉयल रूम में विश्वजीत है या नहीं, तुम्हारा शक बिल्कुल सही था... ट्रॉयल रूम में एक बदमाश मुझे मारने के लिए पहले ही जाकर छुप गया था, यह विश्वजीत नें देख लिया था, इसलिये मुझे बचाने वो भी ट्रॉयल रूम के अंदर आ गया पर तुम्हें न जाने कैसे पता चल गया । जब तक तुमने ट्रॉयल रूम का  दरवाज़ा खटखटाया तब तक विश्वजीत उस बदमाश की गर्दन तोड़ चुका था और दरवाजे के पीछे उसे लेकर छीपा था और जो तुम्हारे पीछे खड़ा था वो विश्वजीत नहीं रंजीत था । जब तुमने उससे सवाल किया तो वो कुछ बोल नहीं पाता इसीलिए उसने टेडी बीयर के गुम होने और भागने का नाटक किया था ।

आखरी बार जब कॉलेज में आतंकियों का हमला हुआ था तब वहां जो दुसरा कमांडो छुप कर गोलियां चला रहा था वो रंजीत था, याद है जब सुबह होने वाली थी तब सारे आतंकियों को धोखा हुआ था कि हम दुसरे मंजिल पर हैं या तीसरी मंजिल पर । वास्तव हम दोनो नें अपने चेहरे कपड़े से ढँक लिये थे पर हम दोनो के साथ जो दो लोग थे उन के चेहरे एक ही जैसे थे विश्वजीत और रंजीत के, जैसे आज तुम धोखे से रंजीत को विश्वजीत समझ रही थी, उस दिन उनके साथ भी वही धोखा हो रहा था । उस समय भी तुम्हारे साथ रंजीत ही था ।

किस्मत कुछ और ही मंजुर था उस दिन जब मुझे बचाने के लिए विश्वजीत मेरी तरफ आ रहा था तभी एक आतंकी ने उसे धक्का दे दिया और पांचवे मंज़िल से नीचे केम्पस की दिवार पर पीठ के बल जा गिरा और उसके रीढ के हड्डी टुट गयी ।

कहानी आगे जारी रहेगी...

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