The Boy Friend Part - 12

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 12)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 12)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे, मैंने बाकि सारे कक्षा के भी विद्यार्थियों से भी बात की है पर इस कार्यक्रम को सफल बनानें की जिम्मेदारी आप के कंधों पर हैं,... क्योकि आप सिनियर है इस बात को आप ध्यान में रखेगें ।

सभी लोग - बिल्कुल सर ।

यह संदेश देकर प्रधानाध्यापक कक्षा से चले जाते है ।

आखिर 15 अगस्त का दिन आ ही जाता है, कॉलेज़ में सभी लोग तैयारियों व्यस्त होते है, क़ॉलेज़ की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी जाती है । जानकि नाथ माथुर के साथ और भी बड़े बड़े वी0आई0पी0 को निमंत्रण दिया जाता है ।

सभी लोगों के उपस्थित होने के बाद कार्यक्रम की शुरुआत की जाती है, सभी कक्षा के विद्यार्थी अपने अपने परफ़ॉरमेंस देते है । आशि अपने कक्षा के छात्राओं के साथ मिलकर सामुहिक नृत्य पेश करती है । सामुहिक नृत्य कार्यक्रम में सभी छात्राएं एक जैसे कपड़े पहनते है ।

विश्वजीत भी अपने दोस्तों के साथ 'कर्म' नाम की कहानी के आधार पर एक नाटक पेश करता है । उसमें वो एक फौजी का किरदार पेश करता है । उसकी हकलाहट की वजह से उसके संवाद को मंच के पीछे से एक दुसरा विद्यार्थी बोलता है । नाटक के अंत में 'मुव ऑन' का दृष्य सभी के दिल को छु जाता है ।

कपिल मिश्रा नाटक खत्म होने के बाद सबसे ज्यादा ज़ोर से तालियां बजाते है और हिन्दी साहित्य के शिक्षक सुर्यप्रकाश सभी को बताते नहीं थकते है कि विश्वजीत उनका सबसे प्रिय छात्र है ।


विश्वजीत, बहादुर और रमन नाटक खत्म होनें बाद वहां मंच से दुर एक कोने खड़े होते हैं, बहादुर विश्वजीत से कहता है -

बहादुर - ए भाए ... आज तो तुने कमाल कर दिया, क्या जबरदस्त परफ़ॉरमेंस दिया है तुने ।
विश्वजीत - अ..अ...अभी नहीं असली परफ़ॉरमेंस तो अब देना है ।
बहादुर - क्या...अब और कोई नाटक करना है ?
विश्वजीत - न..ना..नाटक नहीं हकिकत, याद है... तुने मुझे टिप दिया था ।
बहादुर - ए भाए ... तु क्या बोल रहा मेरे भेजे में घुस नहीं रहा है, विस्तार से बता ना ।
विश्वजीत अपने बैग से एक कागज़ निकालता है और बहादुर को दिखाता है -
बहादुर - ये क्या है ?
विश्वजीत - ल्ल..ल..ल.. लव लेटर...प्रेम पत्र ।
बहादुर - अर् र् र् रे ए ए ए भाए... प्रेम पत्र ... भाभी के लिए ?
विश्वजीत - हम्म ।
बहादुर - ए भाए ... मस्त है तु ... लेकिन ज़रा सावधानी से हाँ ... पिछली बार भाभी भड़क गयी थी ।

विश्वजीत उस लव लेटर को वापस बैग में रखता है और बैग को एक तरफ रख देता है, पर वहां खडा रमन लव लेटर बैग से निकाल कर अपनी ज़ेब में छुपा लेता है और चुपके से वहां से चला जाता है ।

दुसरे कोने में आशि और आलिया खड़े होते है और जब विश्वजीत को फौजी की पोशाक में देखते हैं तो उन्हें हैरत होती है वह बिल्कुल आर्मी के जवान की तरह दिखता है, आलिया आशि को विश्वजीत के बारे में कहती है -

आलिया - ये विश्वजीत आर्मी के कपड़ों में बिल्कुल सेना के जवान की तरह दिख रहा है ।
आशि - हां ... बिल्कुल ।
आलिया - बिल्कुल... तुम्हारे होने वाले बॉयफ़्रेंड की तरह ।
आशि - धत ... तु भी ना... कभी भी कहीं भी शुरु हो जाती है । मैंने कहा ना कि वो मेरा बॉयफ्रेंड नहीं बन सकता ।
आलिया - अच्छा... तो अगर फिर से उसने तेरा पीछा किया तो क्या करोगी ?
आशि - तो मैं उसे थप्प्ड़ मारुंगी ।

यह बात बगल में खड़ा रमन सुन लेता है और उस लव लेटर को आशि के पर्स में रख कर वहां से चला जाता है, आशि और आलिया बातों में इतने मश्गुल होते है कि उन्हें पता ही नहीं चलता है कि वहां कोई उनकी बातें सुन रहा है । आलिया फिर आशि से पुछ्ती है -

आलिया - आशि ... अगर उसने कहा वो तुम्हें चाहता है तो क्या कहोगी ?
आशि आलिया की तरफ देखती है और कहती है - हां कहुँगी ।
आलिया - (खुशी से उछल कर) स्स्सच....आशि ? क्या मज़ा आयेगा सच में।
आशि - आलिया मुझे एक बात का डर है ?
आलिया - किस बात का ?
आशि - वो मुझसे कहेगा ना ?
आलिया - आशि मेरा यकिन करो वो तुम्हे जिसमें तरह देखता है ... मुझे पुर यकिन है कि वो सिर्फ तुम्हें ही चाहता है और वो जल्दी ही ये बात कहेगा ।
आशि - तुम्हें कैसे पता ?
आलिया - (मुस्कुराते हुए)... बस पता है ।
आलिया की नज़र अचानक रमन पर पड़ती है उसके व्यवहार को देख कर थोड़ा शक होता है पर उसे पता नहीं चलता आखिर बात क्या है । आलिया आशि से कहती है -
आलिया - आशि ... मैं थोडी देर में आती हुँ ।
आशि - क्यों क्या हुआ ?
आलिया - बस कुछ नहीं ... थोड़ी देर में आती हूँ ।

इतना कह कर आलिया रमन का पीछा करती है, वह जानना चाह्ती है कि रमन के अज़ीब व्यवहार का सच क्या हैं ।

कार्यक्रम दोपहर से शुरु होकर शाम तक चलता है और अंत में सभी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरुस्कार वितरण भी किया जाता है । कार्यक्रम खत्म हो जाता है और जानकि नाथ माथुर संग सभी वी0आई0पी0 वहां से प्रस्थान कर जाते है ।

शाम होने ही वाली होती है, सभी थके मांदे छात्र और छात्राएं थोडा आराम करते है । विश्वजीत, बहादुर और उसके कुछ दोस्त शाम के नाश्ते के लिए कॉलेज़ से बाहर जाते हैं । विश्वजीत बहादुर से कहता है -

विश्वजीत - चल थोड़ा कुछ खाने के लिए लाते है सभी को भुख लगी होगी  ।
बहादुर - (विश्वजीत की टेडी बीयर के ओर इशारा करते हुए) इस टेढ़ी बीयर के लिए भी कुछ ले लेना इसे भी भुख लगी होगी ।

यह बात सुन कर सभी लोग हँसने लगते हैं ।


 सुरक्षाकर्मी भी थोड़े आराम करने के बारे में सोचते हैं पर वो जैसे ही पहली झपकी लेते है कि पुरे कॉलेज पर आतंकवादी हमला होता है । चारों तरफ अफरा तफरी मच जाती है । खतरनाक हथियारों से लैस सभी आतंकवादी पुरे कॉलेज़ को अपने कबज़े में ले लेते है ।

कई सारे विद्यार्थी वहां से भागने भी कामयाब हो जाते है पर आशि, आलिया, रानी के साथ और काफि सारे विद्यार्थी उन आतंकवादियों के चंगुल में फंस जाते है ।

भागते हुए विद्यार्थी रास्ते में विश्वजीत को सारी बात बताते है । विश्वजीत बहादुर और अपने अन्य दोस्तों से पुलिस को खबर देने को कहता है -

विश्वजीत - बहादुर तु बाकि सारे लोगों के साथ जा और पुलिस को खबर कर ओ0के0 ।
बहादुर - ए भाए तु कहां जा रहा ?
विश्वजीत - मैं कॉलेज़ जा रहा हुँ, बाकि सारे लोगों के पास ।
बहादुर - तो मैं भी तेरे साथ चलुंगा ।
विश्वजीत - (एक सांस में ) नहीं बहादुर वहां तेरे जान को खतरा होगा ... तु बाकि सारे लोगों के साथ जा प्लीज़ मेरी बात सुन ।

बहादुर जिद करता है पर विश्वजीत के मनाने से वो मान जाता है । सभी लोग पुलिस को खबर देने निकल पड़ते है पर बहादुर वहीं रुकता है और फिर विश्वजीत से पुछता है -

बहादुर - (रोते हुए ) एक आखरी बात पुंछुँ ?... तु मुझसे एक बात सच कहेगा ?
विश्वजीत - मैं जानता हुं तु क्या पुछेगा मैं तुम्हें सब सच बताउंगा ?

विश्वजीत और बहादुर वहां थोड़ी देर बात करते है और फिर बहादुर पुलिस स्टेशन की तरफ और विश्वजीत कॉलेज की तरफ निकल जाते है ।

विश्वजीत पीछे की दिवार और कंटीले तारों को फांद कर कॉलेज़ के अंदर जाता है वह किसी भी तरह कॉलेज़ के उस हॉलनुमा बड़े कमरे तक पहुंचने में कामयाब हो जाता है जहां सारे लोगों को एक साथ जमीन पर बैठे होते है और चारो ओर से आंतकवादी उन्हें घेरे हुए होते है । सभी का रो रो कर बुरा हाल होता है और सभी बहुत ही ज्यादा डरे हुए होते हैं ।

विश्वजीत पुरी सावधानी से अंदर तो जाता है पर बदकिस्मती से वो आतंकियों के कब्ज़े में आ जाता है और उसे भी उन्हीं के बीच में बैठा दिया जाता है जहां सारे लोगो बैठे होते है ।


कहानी आगे जारी रहेगी...

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