The Boy Friend Part - 18

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 18)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 18)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


विश्वजीत आलिया को भागने का इशार करता है, पर आलिया जैसे ही भागती है तो एक आतंकी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागता और आलिया को बचाने के दरम्यान एक आतकीं विश्वजीत को धक्का देता है और विश्वजीत पांचवी मंजिल के खिड़की से बाहर गिर जाता है । आलिया यह देख कर स्तब्ध रह जाती है, पर वो चीख भी नहीं पाती है ।

आतंकी अब भी आलिया को आशि ही समझ रहे थे वो जैसे ही आलिया पर झपटते है की मौका देख कर पांचवी मंजिल छुप कर बैठे फौजी आतंकियों पर हमला कर देते है और सभी को मार गिराते है ।

आलिया समेत सभी लोग सीढ़ियों से नीचे जाने लगते है ।

दुसरे मंजिल पर पहला आतंकी इन सभी बातों से बेखबर अपने साथियों के साथ अब भी आशि को ढ़ुंढ रहा होता है, आलिया और उनके साथी इस बात से अंजान नीचे उतरते ही रहते है कि उन आतंकियों की नजर आलिया पर पड़ती है और वो भी आलिया को आशि समझने लगते  है ।

इससे पहले की आलिया के साथी फौजी कुछ भी कर पाते, सभी आतंकी अपनी बंदुक की नली उन सभी फौजियों सिर पर टीक देते है लेकिन आलिया बड़ी ही चलाकी दिखाते हुए अपने एक साथी से बंदुक छीन कर अपने ही कनपटी पर लगा लेती है क्योंकि आलिया को पता होता है उन सभी का निशाना आशि है और चुँकि आलिया का चेहरा काले कपड़े से ढँका हुआ था तो सारे आतंकी अब भी उसे आशि ही समझ रहे थे । पर अब जो दृष्य बन रहा था वो विश्वजीत के प्लान के मुताबिक नहीं था ।

पहला आतंकी गुस्से से कहता है - ऐ लड़की ... ये तमाश किसे दिखा रही है हां ... मार गोली तु खुद को ... नहीं तो मैं मार दुंगा तुझे ... पर सबसे पहले उस कमीने को मारुंगा जिसकी वजह मेरे इतने साथी मारे गये ... (अपने आतंकी साथियों से कहते हुए) इस लडकी को छोड़ कर सभी को ख़त्म कर दो ।

तभी अचानक पहले आतंकी पर पीछे से हमला होता है और सभी आतंकी का ध्यान हमलावर पर जाता है और एक भी गोली चलने के पहले सारे फौजी एक साथ सभी आतंकियों पर हमला कर देते है और सभी आतंकी ख्त्म कर देते है ।

पहला आतंकी हमले की चोट से नीचले मंजिल की फर्श पर जा गिरता है । जब वह वापस उठा कर खड़ा होता है तो उसके सामने विश्वजीत को देखता है  और गुस्से से कहते हुए जवाबी हमला करता है -

पहला आतंकी - तुने मेरा मिशन बरबाद कर दिया तुझे छोड़ुँगा नही ।

उन दोनो में कुछ देर तक मुकाबला होता है, इस दरम्यान रानी, नैना दो फौजी साथियों के साथ कॉलेज की इमारत से बाहर भागते है और आलिया अपने दो फौजी साथियों के साथ दुसरे मंज़िल पर आशि को ढ़ुंढने लगती है और वो एक कमरे में बेहोश पड़ी मिलती है, आशि को दोनो उठा कर कॉलेज की इमारत से बाहर ले जाते है, आलिया भी कॉलेज की इमारत से बाहर जाती है, जाते जाते वो विश्वजीत की तरफ देखती तो है पर उसके चेहरे पर उदासी साफ झलकती है , बाहर सुबह भी हो जाती है ।

फौजी बाहर जाकर पुलिस को बताते है कि अंदर विश्वजीत और आतंकी के बीच मुठभेड़ चल रही है, थोड़ी देर में पुलिस भी कॉलेज़ के अंदर आ जाती है जहां विश्वजीत आतंकी को पागलों की मार रहा होता है, वह उस आतंकी जान से ही मारने वाला होता है कि पुलिस उसे रुकने का आदेश देती है ।

पुलिस - रुक जाओ कमांडो, उसे सज़ा हमारे देश का कानुन देगा ।

यह सुनकर विश्वजीत हमला करना बंद कर देता है और कॉलेज़ के केम्पस के बाहर जाने लगता है उसके आंखों में निराशा भरी आँसु होते हैं मानो उसे इस जंग में जीत की खुशी नहीं बल्कि किसी अपने के खोने दर्द महसुस हो रहा हो ।

जब पुलिस उस आतंकी को हथकड़ी पहनाने लगी तो वह आतंकी विश्वजीत की तरफ देख कर ज़ोर ज़ोर से हंस कर कहने लगा - हा...हा...हा तैयार रहना लड़के मैं वापस आउँगा हा ..हा...हा ... तब तक तुम्हारे देश का कानुन ... हा...हा...हा... मुझे शाही दामाद की तरह रखेगा हा...हा...हा ।

यह सुन कर सभी पुलिस वाले को भी गुस्सा आने लगता है और वो उस आतंकी हाथ की हथकड़ी वापस खोल कर उसे छोड़े देते है और वापस मुड़ कर कॉलेज के बाहर जाने लगते है और जाते जाते विश्वजीत से कहते है - कमांडो, इस शाही दामाद को हमारे देश के फौज़ की खातिरदारी से रुबरु करा दो ।

सभी पुलिस वाले कॉलेज़ के बाहर चले जाते है और थोड़ी देर बाद कॉलेज से गोलियों और चींखों की तेज़ आवाज़े आने लगती है ।

बाहर खड़े पुलिस वाले चींखों की आवाज़ सुनकर अपने साथी पुलिस वालों से कहते है - लगता है शाही दावात में मिर्ची बहुत तेज़ हो गयी हा ... हा... हा ।

थोड़ी देर बाद पुलिस वाले विश्वजीत को हाथ में बड़ी से बंदुक लेकर बाहर निकलता हुआ देख कर अपने साथी पुलिस वालों से कहते है - लो ये बाहर आ गये हमारे मेहमान नवाज़ हा ...हा ...हा ।

थोड़ी देर बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है, कॉलेज़ के बाहर एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ियों का जमावड़ा लग जाता है, कई पुलिस वाले और हथियारों से लैस सैनिक भी कॉलेज़ को चारों तरफ से घेर लेते हैं । कॉलेज़ में पढ़ने वाले छात्रों की ज़ांच करने के लिए कई डॉक्टर भी आ जाते है ।

आशि भी होश में आ जाती है और वो विश्वजीत को ढुंढने लगती है । आशि फैजी के बंकर की गाड़ी के पास विश्वजीत को खड़ा देखती है और दौड़ कर उसके पास ज़ाती है ।

आशि - (अपना हाथ आगे करके मुस्कुराते हुए कहती है) मुबारक हो ... तुमने अपना वादा पुरा कर दिया ।

पर आशि को कोई जवाब नहीं मिलता है, यह उसे थोड़ा अटपटा सा लगता है । वो फिर से कहती है -
आशि - (अपना सिर झुका कर) पता नहीं तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो ... म्म म्म मुझे पता नहीं ... पर मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हुं ... कि मैं तुमसे ....

आशि अपनी बात कहते हुए अपना चेहरा उठाती है और अपने सामने देखती है तो उसके सामने कोई नहीं होता है । बस उसे एक फैजी का बंकर दुर जाता हुआ नज़र आता है जिसमें विश्वजीत बैठा हुआ होता है । धीरे-धीरे वह बंकर उसकी आंखों से ओझल हो जाता है ।

विश्वजीत के अचानक कुछ कहे बिना ही चले जाने से आशि के मन कई सवाल खड़े हो जाते है और आशि जो कहानी पत्रकारों को सुना रही थी उसका अंत यही हो जाता है । बस रह जाते है तो वो सवाल जिसके जवाब के लिए आशि 20 सालों से इंतज़ार कर रही है ।

आशि अपनी कहानी ख़त्म करती है और सभी पत्रकार शांत अवस्था में बैठे रहते है, उन पत्रकारों में एक महिला पत्रकार खड़ी होकर आशि से पुछती है -

महिला पत्रकार - आशि मेम, क्या आपको यकिन है की विश्वजीत आपको प्यार करता ही होगा ? ... मेरा मतलब है कि हो सकता है कि वो नाटक कर रहा हो, उसका कोई प्लान हो आपके करीब रहने का ।

आशि - नहीं ... ऐसा नहीं हो सकता ... मुझे पुरा यकिन है की वो मुझे प्यार करता है ... जरुर उसकी कोई मज़बुरी रही होगी, कि वो बिना बताये मुझे छोड़ कर चला गया, पर मुझे यकिन है कि वो मेरा इंतज़ार कर रहा होगा ... कोई न कोई तो मज़बुरी ज़रुर जिसकी वजह से वो मेरे पास नहीं आ रहा ।

महिला पत्रकार - इतना यकिन से कैसे कह सकती हैं आप ?
आशि - क्योंकि उस घटना के बाद जब कॉलेज़ की शिनाख्त की ज़ा रही थी तभी वहां शिनाख्त कर्मियों को मेरा बैग और मोबाईल मिला था उन्होनें वो सब मुझे वापस लौटा दिया । एक दिन जब मैंने अपना बैग चेक किया तो उसमें मुझे विश्वजीत का लिखा हुआ लेटर मिला । उस लेटर में उसने मुझसे वादा किया था, की वो सिर्फ मुझे ही चाहेगा और मेरे जवाब का वो पुरी जिंदगी इंतज़ार करेगा और मैं जानती हुं कि वो हमारे देश का बहादुर सैनिक है चाहे वादा किसी से भी किया हो, वो पुरा तो ज़रुर करेगा ।

महिला पत्रकार - आप विदेश में क्यों बसना चाह रहीं है ?

आशि - ये खबर ग़लत है ... मैं विदेश बसने नहीं जा रही, कुछ दिनों पहले मैंने एक न्युज़ चैनल की खबर में विश्वजीत को देखा था वह खबर सिंगापुर की थी, बस उसे ढ़ुंढने जा रही हुँ... पता नहीं इसमें कितना वक्त लगेगा ।

एक दुसरा पत्रकार - आशि मेम, अभिषेक जी के बारे में कुछ बताएंगे ।

आशि - कॉलेज में हुए हमले में आखिर के हम 12 लोगों में से अभिषेक भी एक था । उसने इसी कॉलेज़ से अपनी पढाई पुरी की और अब से ये ही इसी कॉलेज़ की बागडोर संभालेंगे ।

एक अन्य महिला पत्रकार - मैम, आप यहां आशिर्वाद हॉस्पिटल के एक छोटे से वार्ड के उद्घाटन के लिए कैसे राज़ी हो गयी ?

आशि - जब मैं लंदन में थी, तब वहां मेरे देख भाल के लिए एक चाचा जी मेरे साथ रहते थे, उनका नाम हामिद था वो अक्सर मुझे कहते थे कि तुम्हारे कई कोशिशों के बावजुद भी जब तुम्हारी मंजिल तुम्हें दिखाई न दे तो शुरु से कोशिश करनी चाहिए ... मेरी जिन्दगी की शुरुआत यहीं इसी हॉस्पिटल से हुई थी तो सोचा, शुरुआत यहीं की जाये ।

पत्रकार और भी कई सवाल पुछते है और आशि सभी का संतुष्टी भर उत्तर देती है । प्रेस कॉंफ्रेंस खत्म होता है और डेविड जो आशि का शेड्युल प्लानर है, उसके मुताबिक वो होटल वापस चली जाती है ।

अगली सुबह

कई सालों के बाद आशि अपनी कहानी बयां करके काफि हल्का महसुस कर ही थी, उसे उम्मीद थी कि पिछली रात की प्रेस कॉंफ्रेंस जब टी0वी0 पर प्रसारित हो तो शायद विश्वजीत भी उसे देख ले और उससे मिलने की कोशिश करे ।

आशि होटल के कमरे की खिड़की से बाहर देखती रहती है मानो वो खिड़की से अंदर आ रही सुरज़ की रोशनी में आशा की किरण ढ़ुंढ रही हो तभी नीचे होटेल के बगीचे के खुले रेस्टोरेंट में उसे एक शख्स खड़ा दिखता है जो काफी जाना पहचाना सा दिखता है ।

आशि तेजी से अपने कमरे से निकल कर सिढ़ियों से नीचे उतरती है और बगीचे के रेस्टोरेंट में पहुंचती है और वहां जिसे देखती है, उसे देख कर अपनी आंखों पर यकिन नहीं होता है, उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वो कोई सपना देख रही हो । वो पीछे से उस शख्स के पास जाकर उसे पुकारती है - विश्वजीत !

कहानी आगे जारी रहेगी...

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