The Boy Friend Part - 10

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 10)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 10)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend




समय समय पर जानकि नाथ माथुर कॉलेज़ का मुआएना करने भी आते । उनके इस कार्य की चौतरफा सराहना हो रही थी और आशि की भी चर्चा एक बहादुर बेटी रुप में खुब हो रही थी । सब कुछ बदल सा गया था सिवाय विश्वजीत कि हकलाहट के ।

चारो ओर एक शांति थी और सभी गांव वाले खुश थे । पर शायद यह शांति ज्यादा देर के लिए नहीं थी, कुछ तो होने वाला था पर क्या होने वाला था ये किसी को पता नहीं था ।

एक दिन आशि, विश्वजीत अपने दोस्तों और सहेलियां साथ पास के शहर में घुमनें की योजना बनाते हैं । वे शहर की ओर रवाना ही होते है कि वहां के मुखिया चौरंगी लाल को इस बात की खबर लग जाती है और वह जानकि नाथ माथुर के दुश्मनों को इस बात की खबर दे देता है ।

वो सभी जैसे ही शहर पहुंचते है तो पंद्रह लोग आशि, विश्वजीत और उनके दोस्तों का छुप छुप कर पीछा करने लगते है, वो सभी बदमाश-गुंडे थे । वह बदमाशों का एक गैंग था  जिसके मालिक का नाम छोटु उस्ताद था । उधर आशि, विश्वजीत और उनके दोस्तों को मिला कर कुल दस लोग थे जिनमें सात लड़कियां थी और लडकों में विश्वजीत बहादुर और रमन नाम का एक लड़का था । वे लोग उन बदमाशों के गैंग से अंजान थे ।

सभी बदमाश उन पर घात लगाये थे, उनका मुख्य निशाना आशि थी । सभी बदमाश इस इंतज़ार में थे कि जिस वक्त आशि अकेले होगी वह तुरंत हमला कर देंगें पर विश्वजीत बहादुर और रमन उसे अकेला छोडते ही नहीं है ।
आशि और बाकि सभी दोस्त एक मॉल जैसी कपड़ों की दुकान में प्रवेश करते है और वहां वे लोग कपड़े देखने लगते है ।


आशि - मैं अपने लिए कुछ कपड़े खरीदना चहती हुँ, चलो सभी लेडिज़ सेक्शन में चलते है ।
आलिया - हां मुझे भी खरीदनी है...चलो ।
सभी लोग कपड़ों के  लेडिज़ सेक्शन जाते है, आलिया विश्वजीत से कहती है -
आलिया - विश्वजीत तुम यहां भी खुद को अकेला महसुस कर रहे हो ?
विश्वजीत - न..न्न.. नहीं तो ... क्यों ?
आलिया - तो फिर इस टेडी बीयर को साथ क्यों लाए हो ?

इससे पहले कि विश्वजीत सवाल का जवाब देता कि बहादुर बीच में ही बोलता है -

बहादुर - (मज़ाकिया लहजे में ) अरे टेढ़ी बीयर भी घर में बोर हो जाता ना इसीलिए साथ ले आया है ... क्यों सही कहा न भाए ?
विश्वजीत - (मुस्कुराते हुए) स्स...स..सही कहा ।

सभी लोग खुद के लिए नये कपड़ों की खरीदारी में लग जाते है उधर वो पंद्रह बदमाश भी दुकान में घुस आते है । उन सभी की नज़र केवल आशि पर होती है ।

आशि और उसकी सहेलियां अपने लिए कपड़े देखती है और विश्वजीत, बहादुर और रमन तीनों पीछे पीछे बॉडीगॉर्ड के तरह चलते है ।

कुछ देर बाद आशि आलिया के लिए एक जींस और टॉप पसंद करती है और आलिया से पहन कर ट्रॉय करने को कहती है तो इस पर आलिया कहती है -

आलिया - अरे... नहीं ...ना बाबा,... ऐसी ड्रेस मैं ना पहनुँगी, घर वाले मुझे जान से मार देंगें ।
आशि - ओह्हो...अरे आलिया तु डर क्यों रही...? एक बार पहन के तो देख । तु इसमें बड़ी अच्छी लगेगी ।
आलिया - तु समझ नहीं रही है आशि, पापा पुराने ख्यालों वाले लोग है, ऐसे कपडे पहने की इजाजत कभी भी नहीं देंगे, उल्टा डाँट अलग से लगेगी ।

रमन - (पीछे से आलिया की खिंचाई करते हुए ज़ोर से हंसने लगा) नाम तो मॉर्डर्न रखा हुआ है 'आलिया' और ख्याल पुराने रखे हुए है ...हा ...हा...हा ?

आलिया - (रमन को गुस्से से जवाब देते हुए) अरे बेवकुफ, मेरा नाम अलिया रखा था मेरे मां-बाउजी ने, एक बार शहर आई थी ताउ जी से मिलने,...वहां उनका एक लड़का था जो विदेश में पढ़ता था उसी ने 'अलिया' से 'आलिया' बना दिया । फिर सभी ने आलिया कहना शुरु कर दिया ।

सभी लोग एक साथ - ओ..ओ..ओ..ओ..उ....आलिया ।

आशि - अच्छा वो सब ठीक है इसे ट्रॉय तो कर, एक बार पहन के देख तु कैसी लगती है, इसके बाद इसे उतार देना फिर कोई और ड्रेस ले लेना ।
आलिया - ठीक है ...।

आलिया और आशि दोनो एक साथ ट्रॉयल रूम में जाते है, आशि कपडे बदलने में आलिया की मदद करती है, थोड़ी देर बाद आलिया उस जींस और टॉप को पहन कर बाहर आती है तो सभी आलिया को देखते ही रह जाते है -
बहादुए - अरे बाप रे बाप... आलिया तु तो क्या मस्त लग रही है ।

सभी का ध्यान आलिया की तरफ था, तभी उस गैंग एक बदमाश  ट्रॉयल रूम के अंदर जाता हुआ दिखता है, पर यह बात किसी को पता नहीं चलती है ।

थोडी देर बाद ...

आलिया - आशि ... अब मैं अपने कपडे बदल लेती हुँ ।
आशि - ओ0के0...ट्रॉयल रूम में मैं भी चलुँ ?
आलिया - नहीं ... अब मैं खुद बदल लुंगी ।

आशि दुसरी तरफ घुम कर कुछ और ड्रेस देखना शुरु करती है और आलिया ट्रॉयल रूम अंदर जाती है, तभी आशि दुकान में लगे शीशे में देखती है की विश्वजीत आलिया के पीछे-पीछे ट्रॉयल रूम के अंदर जा रहा है, जैसे ही आशि पीछे मुड़कर देखती है तो ट्रॉयल रूम का दरवाज़ा बंद हो चुका होता है ।

आशि दौड़ कर ट्रॉयल रूम के पास आती है और दरवाज़े जोर से ध्क्का देती है, दरवाजा अंदर से बंद रहता है, आशि दरवाज़ा ठकठकाती है और कहती है -

आशि - (जोर की आवाज में ) आलिया दरवाजा खोलो ... दरवाजा खोलो आलिया ।
आलिया अंदर से थोड़ा सा दरवाज़ा खोल कर झाँकती है... और आशि से पुछती है -
आलिया - क्या हुआ आशि ?
आशि - आलिया विश्वजीत अंदर क्या कर है ?
आलिया - ( अपना सिर हिलाकर इंकार करते हुए )नहीं ... आलिया यहां पर तो सिर्फ मैं हुँ ।
आशि - (गुस्से से और हांफते हुए ) तो तुम दरवाजा पुर क्यों नहीं खोल रही हो ?
आलिया - (धीमी आवाज़ में ) आशि वो ... मैं अभी नीचे कुछ नहीं पहना है ।
आशि - मैंने विश्वजीत को अंदर जाते हुए देखा था, क्या वो अंदर नहीं है ।
आलिया - नहीं ... वो अंदर कैसे होगा वो तो तुम्हारे पीछे खड़ा है ।

आशि पीछे देखती है तो आश्चर्यचकित हो जाती है, विश्वजीत बहादुर और रमन के साथ खड़ा था और दुकान के अन्य ग्राहक भी शोर सुन कर वहां जमा हो जाते है ।

आशि फिर से पुछती है - विश्वजीत तुम्हारे हाथ में टेडी बीयर था ना, कहां है वो ?

इतना सुनते ही विश्वजीत की आंखे बडी हो जाती है और वो कुछ बोलता नहीं है पर बहुत परेशान हो जाता है जैसे उसकी कोई बेशकिमती चीज़ खो गई हो ।


वह इधर उधर दौड़ भाग करने लगता है उसके पीछे पीछे आशि भी भागती है और पर विश्वजीत अपने टेडी बीयर को दुकान के दुसरे सेक्शन में ढ़ुंढ़नें में लगा रहता है । विश्वजीत भागता ही जाता है और फिर आशि आंखे से ओझल हो जाता है आशि वहां अकेले हो जाती है और इसी मौके की तलाश में घात लगाये गुंडे आशि को पक़ड़ने के लिए आगे बढ़ते है, आशि इस बात से अंजान विश्वजीत को ढ़ुंढ़ती रहती है पर थोडी देर बाद दो गुंडे आशि के बहुत पास आ जाते है और आशि को पीछे से दबोचने की कोशिश करते है पर जैसे आशि पर हाथ डालने ही वाले होते है कि अचानक वो खड़े-खड़े ही ज़मीन पर गिर जाते है ।

गिरने की आवाज़ सुन कर आशि पीछे मुड़ती है तो देखती है कि उन दोनो गुंडों की लाश ज़मीन पर पडी है और उन दोनो के सिर पर गोली लगी है, यह देख कर आशि घबरा जाती है और जैसे ही भागने के लिए पीछे मुड़ती है कि तो विश्वजीत पीछे ही खड़ा होता है  और वो विश्वजीत से टकरा जाती है ।

विश्वजीत घबरा कर आशि से पुछता है - अ..अ..अ..आशि क्या हुआ ... इतनी घबराई हुई क्यों हो ?
आशि घबरा कर, हांफते और डर से रोते हुए गुंडों की लाशों की तरफ इशारा करती है -
आशि - वो व..व..विश्वजीत पता नहीं ये लोग कौन....।

डर और घबराहट से आशि अपनी बात पुरी नहीं कर पाती है, विश्वजीत भी यह देख कर घबरा जाता है पर फिर भी वह आशि के हौसला अफज़ाही के लिए अपने डर पर काबु करने की कोशिश करता है और आशि से कहता है -
विश्वजीत -  अ..अ..आ ..आशि डरो नहीं ... ओ0 के0 ... सब ठीक हो जाएगा, डरने वाली कोई बात नहीं, मैं हु ना तुम्हारे साथ ।


कहानी आगे जारी रहेगी...
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