The Boy Friend Part - 11

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 11)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 11)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


डर और घबराहट से आशि अपनी बात पुरी नहीं कर पाती है, विश्वजीत भी यह देख कर घबरा जाता है पर फिर भी वह आशि के हौसला अफज़ाही के लिए अपने डर पर काबु करने की कोशिश करता है और आशि से कहता है -

विश्वजीत -  अ..अ..आ ..आशि डरो नहीं ... ओ0 के0 ... सब ठीक हो जाएगा, डरने वाली कोई बात नहीं, मैं हु ना तुम्हारे साथ ।

इस घटना के कारण वहां मौजुद सभी लोग में अफरा तफरी मच जाती है और दुकान में लोग इधर उधर से बाहर निकल कर भागने का रस्ता ढ़ुंढ़ने लगते है । कुछ लोग पुलिस को फोन करते है । यह देखकर बाकि बदमाश वहां से भाग निकलते है ।

आलिया, बहादुर, रमन और बाकि सभी सहेलियां आशि के पास पहुँचते है  और विश्वजीत अपने सभी दोस्तों हिम्मत रखने को कहता है ।

जल्दी ही पुलिस आकर पुरे माहौल को अपने नियंत्रण में ले लेती है और आशि को उसके दोस्तों के साथ वापस भेजने का प्रबंध करती है ।

दुसरे दिन

जानकि नाथ माथुर को यह बात पता चलती है तो घर पर आशि को फोन करते है -
जानकि नाथ माथुर - (फोन पर) बेटा तुम ठीक तो हो ना ?
आशि - (डर और घबराहट से रोते हुए) हां पापा... मैं ठीक हुँ ।
जानकि नाथ माथुर - बेटा... तुम्हें अगर किसी भी चीज़ की जरुरत हो, तो घर में लोग हैं तुम्हारे देख भाल के लिए, उंन्हें बताओ...पर ऐसे कभी भी बिना सोचे समझे बाहर नहीं निकलना । तुम समझ रही हो ना, मैं क्या बोल रहा हुँ ?

आशि - हाँ पापा... सॉरी... वो मैं थोड़ा बोर हो रही थी तो मैंने सोचा की दोस्तों के साथ बाहर से घुम आंऊँ, पर मुझे नहीं पता था कि ऐसा कुछ होगा ।... नेक्स टाईम आई'ल बी केयर फुल पापा...आप गुस्सा मत किजिएगा ।
जानकि नाथ माथुर - बेटा मैं गुस्सा नहीं हुँ... तुम लंदन में पली बढ़ी हो ... मैं समझ सकता हुँ कि तुम्हें यहां एड्ज्स्ट करने में कितनी तकलीफ हो रही होगी, पर यहां कुछ समस्याएं है, उन्हें ठीक करने से पहले सावधानी बरतनी होगी ... ओ0को ।
आशि - ओ0को ... पापा ।

जानकि नाथ माथुर आशि से काफि देर तक बात करते है ताकि उसे अकेलापन और डर न लगे ।

दो-तीन दिन बाद फिर से सब कुछ सामान्य हो जाता है तो आशि क़ॉलेज़ जाती है और अपने सभी दोस्तों से मिलती है, सभी एक दुसरे का हाल चाल पुछते है । आशि विश्वजीत के बारे में भी पुछती है -


आशि - आलिया विश्वजीत कहां है ?
आलिया - वो भी दो दिन से कॉलेज़ नहीं आया और उसका दोस्त बहादुर भी दिखाई नहीं दिया ।

तभी रानी बोलती है - वो देखो बहादुर वहां पेड के नीचे बैठा है । चलो उससे पुछते है, विश्वजीत कहां ?

सभी लोग बहादुर के पास जाते है, आशि बहादुर से पुछती है -

आशि - बहादुर कैसे हो तुम ?
बहादुर - मैं ठीक हुँ... तुम कहो ... अभी डर लग रहा  है तुम्हें ?
आशि - (पुरे विश्वास के साथ) नहीं नहीं... मुझे डर वर नहीं लगता ... मैं बहुत बहादुर हुँ ।
बहादुर - (मजाकिया अंदाज़ में) अरे... बहादुर तो मैं हुँ ।

यह बात सुनकर सभी हँसने लगते है ।

आशि - (हल्की से हँसी के साथ) अच्छा बहादुर ... विश्वजीत कहाँ है ?
बहादुर - (एकदम से जवाब देता है) तुम्हारे पीछे ।

आशि एकदम से पीछे मुड़ती है और पीछे विश्वजीत को देख कर फिर से डर जाती है ।

आशि - आ..आ..उउ...उ .. नहीं ।

आशि आंखे बंद करके चीखने लगती है  तो विश्वजीत उसे संभालने की कोशिश करते हुए कहता है -

विश्वजीत - अ..अ..अरे आशि तुम डर क्यों रही हो ? ये मैं ही हुँ... विश्वजीत ... तुम्हारा विश्वजीत ।

बहादुर - (मजाकिया अंदाज़ में आशि का मज़ाक बनाते हुए) मुझे डर वर नहीं लगता ... मैं तो बहुत बहादुर हुँ ।
ये सुनकर सभी फिर से ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते है ।

आलिया - (चुपके से विश्वजीत के पास जाकर) तुम्हारा विश्वजीत ? माज़रा क्या है अंह बोलो बोलो... टेल टेल ।
विश्वजीत - (मुस्कुराते हुए और फुसफुसाकर ) अरे जैसा तुम सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं हैं ।

आशि आलिया और विश्वजीत को बातें करते देख लेती है -

आशि - क्या कानाफुसी हो रही है... मेरा मज़ाक बना रहे ना... छोडुँगी नहीं मैं तुम दोनो को ।
विश्वजीत - अरे..अरे...ह...ह्ह हमारी क्या मजाल की तुम्हारा मज़ाक बनाएं । पर एक बात बताओ तुम अभी यहां क्यों डर गईं, यहाँ तो कोई खतरा भी नहीं है ।
आशि - (चिढते हुए) पता नहीं ... पहले तो तुम दिखाई नहीं देते हो,  फिर मैं तुम्हें ढ़ंढ़ती हुँ, तो तुम अचानक से मेरे पीछे न जाने कहाँ से आ जाते हो, ऐसा कुल मिला कर तीसरी बार हुआ है ... पहले ये बताओ कि  ये टेडी बीयर इतना जरुरी क्यों है ... उस दिन तुम इसके लिए पागलों की तरह भाग रहे थे ?

इससे पहले विश्वजीत कुछ बोलता बहादुर बोलने लगता है -

बहादुर - अरे ये टेढ़ी बीयर, इसके भाई ने इसे दिया है ।

आशि - भाई ?
विश्वजीत - हम्म...भ..भ..भाई ।
आशि - (विश्वजीत से पुछते) तुम्हारा भाई भी है ?
विश्वजीत - हाँ उसका नाम रंजीत है इसी गांव में है ।
आशि - तो ? इस टेडी बीयर से क्या उसका क्या मतलब ?
विश्वजीत - इस टेडी बीयर से बात करके ऐसा लगता है कि उससे बात हो गई ।
आशि - इतना याद करते हो अपने भाई को, तो इसी स्कुल में उसका दाखिला करा दो, आखिर वो पढ़ता तो होगा ही ना ?
विश्वजीत - नहीं ...वो..पढ़ाई नहीं कर सकता ... ।
आशि - क्यों नहीं कर सकता ...और पढ़ाई नहीं करता तो वो करता क्या है ?
विश्वजीत - (सिर झुकाते हुए उदास होकर) ब..ब...बस कुछ नहीं ।
आशि - अगर वो कुछ नहीं करता तो पढाई तो करनी ही चाहिए थी ?
विश्वजीत - वो गुंगा है, बोल नहीं सकता.. इसलिए पढ़ाई नहीं कर सकता, मैं चाहे अपने भाई से बात करुँ या इस टेडी बीयर से दोनो में से भी कोई भी जवाब नहीं देता बस इशारे में समझना पड़ता है ।

बहादुर - (बीच में बोलते हुए) हां ... ठीक वैसे ही जैसे इस टेढ़ी बीयर की आंखे कभी लाल तो कभी हरी होकर इशारा करती है ।

आशि - (विश्वजीत के हाथों से टेडी बीयर लेते हुए) सॉरी ... अपने भाई से मिलवाओगे ?
विश्वजीत - (निराशा भरी मुस्कान के साथ) एक दिन तुम उससे जरुर मिलोगी ।


तभी कॉलेज़ की घंटी बजती है और सभी लोग अपनी अपनी कक्षा की ओर जाने लगते हैं ।

आलिया और आशि कक्षा में एक साथ बैठते है, आलिया आशि से पुछती है -
आलिया - क्या बात है आशि ? कभी वो तुम्हें ढ़ुंढता है, कभी तुम उसे ढ़ुंढती हो...चक्कर क्या है ?
आशि - कुछ नहीं... मैंने कहा था ना कि मेरा बॉयफ्रेंड एक आर्मी मैंन होगा ।
आलिया - अच्छा... तो उस दिन दुकान में तुमने गुस्सा क्यों  रही थी ? अगर वो मेरे साथ ट्रायल रूम में होता तो भी क्या फर्क पड़ता है तुम्हें ?

आशि - नहीं वो बस ऐसे ही ... (आशि अपना सिर झुकाकर मुस्कुराने लगती है) ।

कक्षा में प्रधानाध्यापक का प्रवेश होता है और सभी खड़े हो जाते है -

प्रधानाध्यापक - बैठ जाओ बच्चों, कैसे हैं आप सब ?
सभी लोग - हम ठीक हैं सर ।
प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे, ... इस विद्यालय में हम सभी का पहला साल है  और जैसा कि आप जानते है हमने 15 अगस्त यानि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है । सभी बच्चों को इसके बारे में पता है ना ?
सभी लोग - जी सर !
प्रधानाध्यापक - तो क्या आप सभी ने अपने-अपने भुमिका की तैयारी कर ली ?
सभी लोग - जी सर !
प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे तो बताओ कि आप में से कौन-कौन क्या करने वाला है ?

आशि - (खड़े होकर ) हमारे कक्षा की सारी लड़किय़ां मिलकर एक सामुहिक नृत्य का प्रदर्शन करेंगी ।
प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे ? और कोई ?

विश्वजीत - (खड़े होकर ) स..स...सर हमारे कक्षा के अध्यापक श्री कपिल मिश्रा जी ने 'कर्म' नाम की एक कहानी सुनाई थी, हम उसी कहानी पर एक नाटक का प्रदर्शन करेंगे ।

प्रधानाध्यापक - बहुत अच्छे, मैंने बाकि सारे कक्षा के भी विद्यार्थियों से भी बात की है पर इस कार्यक्रम को सफल बनानें की जिम्मेदारी आप के कंधों पर हैं,... क्योकि आप सिनियर है इस बात को आप ध्यान में रखेगें ।
सभी लोग - बिल्कुल सर ।

यह संदेश देकर प्रधानाध्यापक कक्षा से चले जाते है ।

कहानी आगे जारी रहेगी...
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