The Boy Friend Part - 9

Share:

द बॉयफ्रेंड (भाग – 9)


Follow my blog with Bloglovin

शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 9)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


विश्वजीत - व...व...वो म ...म्म...मैं ही त...त...तुम्हारे घर के बाहर खड़ा था ।
आशि - मैंने तुम्हें अपनी बगल की सीट पर जगह दी थी, अपने जिंदगी में नहीं ... अपनी हद में रहना ।

बहादुर मन में सोचता है -  अरे... भाभी तो भड़क गई ।

विश्वजीत का मन उदास हो जाता है वो मायुस हो कर आशि को कहता है -
विश्वजीत - (आशि के बात का जवाब देते हुए) ... अ...अ..ओ0 के0...द...द...दुबारा ऐसा नहीं होगा ।

पुरे दिन कक्षा में विश्वजीत मायुस अकेला पीछे की सिट पर बैठा रहता है, बहादुर उसके साथ बैठने की इच्छा जाहिर करता है पर वो मना कर देता है । जब विद्यालय से छुट्टी का वक्त होता है तो उसके कक्षा के सभी विद्यार्थी कक्षा से निकल जाते हैं पर विश्वजीत अकेला बैठा रहता है । कक्षा के बाहर बहादुर एक विद्यालय में लगे पेड़ के नीचे बैठा रहता है, आशि बहादुर से मिलती है -

आशि - (बहादुर से विश्वजीत के बारे में पुछ्ते हुए) आज तुम अकेले हो तुम्हारा दोस्त नहीं है तुम्हारे साथ ?
बहादुर - वो मैंने उसे चलने को कहा था पर तो उसने कहा कि थोड़ी देर में बाहर आयेगा (अपना सिर झुका कर) उसी का इंतजार कर रहा हुँ ।

उधर कक्षा में अकेला बैठा विश्वजीत अपने स्कुल बैग से अपना टेडी बीयर निकालता है और उससे बातें करने लगता है -

विश्वजीत - (टेडी बीयर को हाथ में लेकर, निराशा भरी मुस्कान के साथ) तुने सुना उसने क्या कहा ? उसने मुझे अपनी जिंदगी में जगह नहीं दी है, (मायुस होकर)...यार खाली फोक़ट में आज सुबह सुबह डाँट खानी पड़ गयी और वो भी उसके सहेलियों के सामने । कितनी बेईज्ज्ती हुई मेरी मैंने तो कुछ भी गलत किया नहीं तो फिर ऐसा क्युं ?

विश्वजीत - (अपने टेडी बीयर से पुछते हुए ) तु बता मैंने कुछ गलत किया ?

यह सवाल पुछते ही टेडी बीयर की आंखों में हरी बत्ती जलने लगती है ?

विश्वजीत - (हल्की मुस्कुराहट के साथ) ह्म्म्म...तु तो समझता है यार ?... अब मैं न उससे बातचीत ही नहीं करुँगा ... कभी नहीं करुगा ।

इतना बोलते ही टेडी बीयर की हरी आंखें लाल हो जाती हैं ।

यह देख कर विश्वजीत कहता है - क्या ...क्या मतलब है तेरा मैं उससे बातचीत बंद नहीं करूँ...? (टेडी बीयर की लाल आंखें हरी हो जाती हैं ।)

विश्वजीत - वाह...क्या बात है... पता नहीं क्या क्या झलेना पडेगा अभी ।
विश्वजीत काफि देर तक अकेला उस टेडी बीयर से बातें करता रह्ता है, कक्षा के बाहर आशि अपने सहेलियों से बातें करती रहती है...उसमें एक रानी नाम की लडकी आशि से कहती है -

रानी - आशि, ये तुने ठीक नहीं किया अपने बेचारे बॉयफ्रेंड का दिल तोड़ दिया...।

आशि - बॉयफ्रेंड,... और वो ... शकल देखी है उसने अपनी ?
दुसरी सहेली आलिया कहती है - शकल में तो कोई खराबी है नहीं, उपर से लंबा चौड़ा है आर्मी के जवान की तरह दिखता है ... कोई खराबी तो नहीं है उसमें...।

आशि - खराबी है ... और एक नहीं दो खराबियां है उसमें ... ।
सारी सहेलियां एक साथ - दो खराबियां ?
आशि - हां ... पहली की वो ह..ह..हक्... हकलाता है।
रानी - और दुसरी ?
आशि - दुसरी की वो दिखता जवान की तरह है ... पर है तो नहीं ।
आलिया - जवान नहीं है तो क्या बुढ़ा है ?
आशि (खिजते हुए) - ओह...हो ... मेरा मतलब था आर्मी का जवान नहीं है । (फिर मुस्कुराते हुए ) मेरा बॉयफ्रेंड तो कोई आर्मी मैन ही होगा ।
सारी सहेलियां एक साथ - ओह्होओओओ...।

तभी उसकी नैना नाम की एक और सहेली दुर से आवाज़ देती है और दौड़कर आशि के पास आती है और कहती है - (हाँफते हुए) अरे आशि तुमने अपने बॉयफ्रेंड को डाँट के ठीक नहीं किया...।

आशि - नैना ... दोबारा कभी मत कहना की वो मेरा बॉयफ्रेंड है... ठीक है ...? वैसे हुआ क्या ?
नैना - (हाँफते हुए) वो तो पागल हो गया है ... ।
आशि - क्या मतलब है तुम्हारा ?
नैना - (हाँफते हुए) हमारे कक्षा में वो अकेला बैठा है और किसी से बात कर रहा है ।
आशि - किससे ?
नैना - (हाँफते हुए) पता नहीं ?
आशि - अरे कहना क्या चाहती हो तुम ?
नैना - (हाँफते हुए) तुम खुद जाकर देख लो ?

आशि अपने सहेलियों के साथ कक्षा के अंदर जाती है, उन्हें देख पीछे पीछे बहादुर भी भागता है , कक्षा के अंदर आने के बाद आशि को विश्वजीत के किसी बात करनें आवाज सुनाई देती है पर वहाँ विश्वजीत के अलावा कोई नहीं होता है, तभी आशि कहती है -

आशि - तुम किससे बात कर रहे हो ?

आशि को देख कर वो बिल्कुल शांत हो जाता है और कुछ नहीं कहता, थोड़ी देर के बाद वह उठ कर जाने लगता है तो आशि अपना सवाल फिर दोहराती है - मैंने पुछा किससे बातें कर रहे हो ?

विश्वजीत कुछ कहे बगैर जाने लगता है तभी बहादुर कक्षा के अंदर प्रवेश करता है और पुछता है - हो गई बात ?
विश्वजीत अपना सिर हिला कर हां में जवाब देता है, अब आशि बहादुर से पुछती है -

आशि - बहादुर ... किसके बात कर रहा था ये ?
बहादुर - अरे भाभी वो...?
आशि और सभी सहेलियां एक साथ - क्या कहा... ?
बहादुर - अरे रे ... ज़बान फिसल गई माफ करना...व ..वो आशि जी ये जब भी उदास होता है ना, तो अपने टेढ़ी भालु से बात करता है । ए ... भाए इस टेढ़ी भालु को अंग्रेजी क्या कहते हो ?
विश्वजीत - (अपनी नज़रे दुसरी तरफ करके) टेडी बीयर ... ।
बहादुर - हां ...वही... टेढ़ी बीयर ।
विश्वजीत - (गुस्से में) बहादुर चल यहां से...।

विश्वजीत और बहादुर दोनो वहां से चले जाते है । उन दोनो के जाने के बाद आलिया कहती है -
आलिया - (अपने सहेलियों से विश्वजीत के बारे में ) हकला तो है और साथ में हल्कट भी है ...।
सभी सहेलियां एक साथ - ह्म्म्म्म...म्म्म् च् च् च् बेचारा ।

इसके बाद सभी वहां से चले जाते है ।
इसी तहर समय बीतता चला जाता है । विश्वजीत आशि को पसंद करने लगता पर कभी भी आशि को कुछ भी नहीं बतता है । कुछ महिनों के बाद 15 अगस्त यानि देश की आज़ादी का दिन नज़दीक आ जाता है । विद्यालय में सभी शिक्षकगण और विद्यार्थी मिल कर एक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला करते है और इसके लिए सभी विद्यार्थी अपने अपने भुमिका के लिए तैयारियां भी शुरु कर देते है ।

दुसरी तरफ इस विद्यालय के खुलने से नशाखोरी के धंधे से जुड़े लोगों को भारी नुकसान होने लगा था, क्योंकि  के नौजवान लड़के अब नई नशे का शिकार हो थे,  पढ़ाई का नशा सभी युवाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा था, गांव के मुखिया चौरंगी पर भी भारी दवाब होता है क्योंकि नशे के कारोबार में उसकी भी हिस्सेदारी होती थी ।
गाँव वालों की तो जैसे निकल पड़ी थी, दिनो दिन चाट पकौडों ठेले तो बढ़ते ही जा रहे थे और खाने वालों को सिर्फ बहाना चाहिए था । अगर कोई पास हुआ तो पार्टी और फेल हुआ तो भी पार्टी ।

लोग खुशी और गम में अक्सर शराब पीते है पर वहां खुश हो कर लोग समोसे खाते, तो ग़म में छोले और चाट ।  आये दिन दोस्तों में सबसे ज्यादा पानीपुरी खाने की शर्त लग जाती । शाम में पानी पुरी हुंकार और फिर सुबह प्रकृति की पुकार । सुबह पेट में जुलाब लगी तो शाम को जलेबियां हाज़िर हो जाती । सभी को खुब मज़ा आ रहा था ।

समय समय पर जानकि नाथ माथुर कॉलेज़ का मुआएना करने भी आते । उनके इस कार्य की चौतरफा सराहना हो रही थी और आशि की भी चर्चा एक बहादुर बेटी रुप में खुब हो रही थी । सब कुछ बदल सा गया था सिवाय विश्वजीत के हकलाहट के ।

चारो ओर एक शांति थी और सभी गांव वाले खुश थे । पर शायद यह शांति ज्यादा देर के लिए नहीं थी, कुछ तो होने वाला था पर क्या होने वाला था ये किसी को पता नहीं था ।


कहानी आगे जारी रहेगी...
Follow my blog with Bloglovin

No comments

Thanks for Your Comments.