द बॉयफ्रेंड (भाग – 14)
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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 14)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)
सभी के दिलों की धड़कने तेज़ हो ज़ातीं है ... धीमी-धीमी आवाज में सभी छात्रों के मुहँ से डर से भरी सिस्कियां निकलने लगती है । दुसरा आतकीं विश्वजीत के सिर पर बंदुक ताने हुए ट्रीगर दबाने को तैयार हो जाता है ...
पहला आंतकी - तीन...,
बंदुक की ट्रीगर दबती है और गोली चलने की आवाज़ भी आती है पर विश्वजीत के सिर पर बंदुक ताने दुसरा आतकीं खुद ही मुँह के बल ज़मीन पर गिर पड़ता है ... उसके सिर पर एक बड़ी गोली के आघात से बना बड़ा सा घाव साफ-साफ दिखता है । यह देख कर पहला आंतकी ज़ोर से चिल्लाता है -
पहला आंतकी - वो यहीं पर है ....
इससे पहले कोई कुछ भी समझ पाता ... बिजली की फुर्ती से विश्वजीत दुसरे आंतकी का बंदुक उठाकर पहले आतंकी पर तान देता है और बंदुक की नली को उस आतंकी के मुँह में घुसेड़ कर जोर से कहता है -
विश्वजीत (गुस्से से) - मेरे एक गिनने से पहले तुम्हारे आदमियों ने बदुंके नही फैंकी तो तेरे थोबड़े का वो हाल करूँगा की पता ही नहीं चलेगा कि ये थोबड़ा किसी आदमी का था या फिर कुत्ते की मौत मारे गये किसी कुत्ते का ।
पहला आंतकी तुरंत सभी को आदेश देता है और सभी आतंकी अपनी-अपनी बंदुके जमीन पर फैंक देते है । विश्वजीत उस आतंकी के मुँह से बंदुक निकाल कर उसकी कनपट्टी पर लगाता है ।
विश्वजीत को इतनी सफाई से बोलते देख कर आशि और बाकि के सभी छात्र हैरान हो जाते है और वो समझ जाते है कि विश्वजीत भी एक फौजी है ... पहला आतंकी गुस्से से विश्वजीत को चेतावनी देता है -
पहला आंतकी - बच्चे ! ये गलती तुम्हें बड़ी मँहगी पड़ेगी ।
विश्वजीत - मैं गलती करते वक्त अजांम का साईज़ नहीं देखता हुँ... पर तुझे दिख रहा होगा कि बाज़ी पलट गयी है, तो अब जितनी देर तक तु अपना मुँह बंद रखेगा ... तेरे जींदा रहने आसार उतने बढ़ेंगे ।
सभी छात्रों में पांच फौजी थे, विश्वजीत सभी फौजियों को आतंकियों की बंदुके उठाने को कहता है और कॉलेज़ के भवन के बाहर जाकर, आतंकियों की गतिविधि का मुआएना करने को कहता है ।
पांचों फौजी बाहर की स्थिति का विस्तार से जायजा लेते है पर बाहर उन्हें न कोई आंतकी मिलता है और न कोई गड़बड़ी, सभी फौजी विश्वजीत को बाहर सब ठीक होने का इशारा करते हैं -
विश्वजीत सभी छात्रों से कहता है - दोस्तों मेरी बात ध्यान से सुनों, बाहर रात हो चुकी है औरे अंधेरे में खतरा भी हो सकता है इसीलिए सभी लोग धीरे-धीरे कॉलेज़ भवन से बाहर निकल कर बगल के बच्चों के विद्यालय के भवन में जायेंगें ... याद रखना... कि किसी को घबराना नहीं है और जल्दबाज़ी में कोई गलती नहीं करनी है,... हिम्मत से काम लो मैं तुम्हारे साथ हुँ ... ठीक है ? (आशि की तरफ देखते हुए) आशि... तुम भी सभी के साथ जाना और सभी लोग एक साथ रहना और अंदर से दरवाज़ बंद कर लेना ।
विश्वजीत रमन को बुलाता है -
विश्वजीत - रमन यहां आओ और ज़मीन पर पड़ी इस पिस्टल को उठाओ...सावधानी से यह लोडेड है, तुम भी सभी के साथ जाओ और (पिस्टल की ओर इशारा करते हुए) इसे अपने पास रखना ।
रमन पिस्टल उठाता है, सभी छात्र एक करके निकलने लगते हैं आशि सबसे पीछे रहती है और रमन आशि के पीछे चलता है, तभी अचानक रमन आशि को पीछे खींच कर दबोच लेता है और आशि के गर्दन को अपने एक बाज़ु में फंसा कर उसके सिर पर बंदुक की नली टीका देता है और विश्वजीत से कहता है -
रमन - कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा, विश्वजीत अपनी बंदुक नीचे फैंक... नहीं तो इसकी खोपड़ी उड़ा दुंगा... और हां एक आदमी बाहर जाने का दरवाज़ा बंद करो ।
एक आतकीं बाहर जाने के मुख्य दरवाज़े को अंदर से बंद कर देता है । अब कॉलेज के हॉल में आशि,रानी, आलिया, नैना, विश्वजीत, पांच फौजी और दो अन्य छात्र, कुल मिला कर 12 लोग आतंकियों के कब्ज़े में थे ।
विश्वजीत रमन के इस रुप को देखकर हैरान हो जाता है और उससे कहता है - रमन मेरे भाई ये क्या कर रहे हो ? छोड़ दो आशि को ... उसे जाने दो ।
रमन - छोड़ दुँ ?.. म्म्म ? ... छोड़ दुँ और इसे ? ... अरे यही तो हमारा मिशन है, ... यही तो इस बात की गांरटी है की हमारी माँगे जरुर पुरी होंगी ... बंदुक हटा ... मैंने कहा - बंदुक हटा... सुनाई नहीं देता तुझे ?
आशि डर के मारे कुछ भी कर नहीं पाती है, उसे देखकर विश्वजीत तुरंत ही अपनी बंदुक ज़मीन पर फैंक देता है और सारे फौजी साथियों को भी बंदुकें ज़मीन पर फैंकने का इशारा करता है, सभी फौजी अपने हाथ में लिए बंदुको को ज़मीन पर फैंक देते है ... विश्वजीत रमन की ओर देखकर कहता है -
विश्वजीत - तो तु इनके साथ मिला हुआ है ? पहली बार गलती हुई आदमी पहचानने में ।
रमन - (अपने दांत पीसते हुए) अब जाके सही पहचना तुने मुझे ... (आशि की तरफ इशारा करते हुए) ... अरे इसे तो हम उसी दिन दुकान में ही अगवा कर लेते, जिस दिन तुम लोग शहर घुमने गये थे, पर पता नहीं हमारे तीन आदमी वहां कैसे मारे गये ?
आशि रमन की बात सुनकर सोचती है कि उस दिन दुकान में केवल दो लोग मारे गये थे, तो तीसरा कौन और कहाँ था...
रमन - पता है बहादुर वापस यहाँ क्यों आया था ? जब तुने उसे पुलिस के पास जाने को कहा था तो बेचारा वो ठीक थाने जा रहा था ... पर रास्ते में मैंनें उसे उकसाया कि मुसीबत में तु अपने दोस्त का साथ छोड़ के जा रहा है ? कैसा दोस्त है रे तु ?... (हंसी उडाते हुए) ... हा हा हा हा... साला बेवकुफ उल्टे पांव यहां पर आ गया और यहां आकर उसने ये राज़ भी उगल दिया की वही ट्वीस्टर ट्वींस टीम का कमांडो है ... साला बेमौत मारा गया ।
इस बीच पहला आतंकी ज़मीन पर पड़ी बंदुक उठाता है और बंदुक की हैंडल से विश्वजीत के पीठ पर कई बार प्रहार करता है, फिर भी विश्वजीत रमन की ओर देख कर अपनी बात कहता ही रहता है -
विश्वजीत - तुम्हारे वज़ह से मेरे दोस्त बहादुर की जान चली गई ... सभी का हिसाब चुकाना पड़ेगा तुझे ।
पहला आतंकी (विश्वजीत के पीठ पर प्रहार करते हुए) - साले हिसाब चुकाएगा तु ... तेरे सामने ही तेरे एक-एक दोस्त को कुत्ते की मौत मारुँगा और अंत में तेरा खेल खत्म करुंगा ।
आशि यह देख कर कहती है - प्लीज़ उसे छोड़ दो ... मत मारो मेरे विश्वजीत को ... (रोते हुए )... ।
आशि की बात सुन कर विश्वजीत दर्द में भी मुस्कुराने लगता है । पहला आतंकी पागलों की तरह विश्वजीत पर प्रहार करता ही जाता है और आशि के पास ये सब देख कर रोने के आलाव कोई चारा नहीं रहता है ।
रमन - (आशि की गर्दन पर अपनी पकड़ मजबुत करते हुए चिल्लाकर कहता है ) ट्वीटर ट्वींस ... कमांडो हम जानते हैं तुम यहीं हो ... आखरी बार कह रहें है तुम हमारे सामने आ जाओ ।
तभी विश्वजीत की नज़र अपने टेडी बीयर पर पड़ती है, उस टेडी बीयर की दोनो आँखे कभी लाल तो कभी हरी हो रही थी ...और अचानक उस टेडी बीयर की दोनो आँखें लाल हो जाती है ... यह देख कर विश्वजीत पुरी ताकत के फुर्ती से खडा होता है और
तभी रमन का ध्यान भटक कर विश्वजीत की ओर जाता है और इतने में फिर कहीं से गोली चलने की आवाज़ आती है और अगले ही पल में रमन के सिर के चिथड़े उड़ जाते है और विश्वजीत बड़ी ही तेजी से आशि की ओर झपटता है और जोर से चिल्लाते हुए कहता है -
विश्वजीत - सभी फर्श पर लेट जाओ...
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