The Boy Friend Part - 15

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 15)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 15)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


तभी रमन का ध्यान भटक कर विश्वजीत की ओर जाता है और इतने में फिर कहीं से गोली चलने की आवाज़ आती है और अगले ही पल में रमन के सिर के चिथड़े उड़ जाते है और विश्वजीत बड़ी ही तेजी से आशि की ओर झपटता है और जोर से चिल्लाते हुए कहता है -

विश्वजीत - सभी फर्श पर लेट जाओ...

आशि फर्श पर गिर जाती है,  विश्वजीत आशि के उपर आकर उसे ढंक लेता है और इसी बीच बम एक हल्का सा धमाका होता है चारों ओर धुआँ ही धुआं छा जाता है और किसी को कुछ भी दिखाई नहीं देता ... सभी आतंकी कुछ पलों में संभलते है और फर्श पर अंधाधुन गोली चलाने लगते है ...

तभी पहला आतंकी ज़ोर से चिल्लाता है - रूक...जाओ ।

अचानक गोलियों की आवाज़ थम जाती है, अब कमरे में चारो ओर केवल तीन चीज़ें फैलीं थी - धुंआ, बारुद की दुर्गंध और सन्नाटा । जब धुआँ छटता है तो वहां फर्श पर केवल रमन और बहादुर की लाश पड़ी होती है और वहां से सभी लोग भाग कर छुप जाते है ।

विश्वजीत समेत सभी 12 लोग दुसरे मंजिल की एक कक्षा में जाकर छुप जाते हैं । विश्वजीत जाते जाते अपनी टेडी बीयर को साथ में लेना नहीं भुलता है ।

एक फौजी विश्वजीत से कहता है - विश्वजीत हमें दरवाज़ा खोल कर बाहर भाग जाना चाहिए था ... हम यहां आकर और भी ज्यादा फंस गये हैं ।

विश्वजीत - नहीं... ये पागलपन होता, पहला  ज़ोखिम तो बाहर का दरवाज़ा खोलने में था और अगर दरवाज़ा खुल भी जाता तो बाहर अंधेरा था...वो आतंकी बिना सोचे हम पर गोलियां चला देते और कोई भी नहीं बचता है ।

दुसरा फौजी - अब हमें उनसे हर हाल में छुप कर रहना होगा ... (आशि की तरफ देख कर ) नहीं तो आशि के सिवा हम में से कोई नहीं बचेगा ।

रानी - (आश्चर्य से फौजी की तरफ देखते हुए) क्यों !

विश्वजीत - क्योंकि उनका मिशन सिर्फ आशि को ज़िंदा पकड़ना है बाकि हम में से कोई भी उनके लिए मायने नहीं रखता है ।

उधर सबसे निचली मंज़िल पर आतंकी इस घटना से काफि गुस्से में थे -

पहला आतंकी - (अपने एक आदमी से)  ए ... बाहर जाने का दरवाज़ा देखो ।

एक आतंकी बाहर जाने के मुख्य दरवाज़े की जांच करता है और कहता है - जनाब ! यहां दरवाज़ा अंदर से ही बंद है ।

पहला आतंकी - इसका मतलब वो सभी इसी इमारत में कहीं छुपे हुए है, पुरे इमारत में पांच मंजिले है सभी की तलाशी करो,... पर चौकन्ने रहना अब उनके पास हथियार भी है और हम पर वो हमला भी कर सकते है ... याद रहे की हमें मंत्री की बेटी को जींदा पकड़ना है बाकि बीच में जो भी आये सभी को खत्म कर दो ।

इधर विश्वजीत और बाकि सभी लोग कॉलेज़ से सुरक्षित बाहर निकलने की योजना बना रहे थे -
आशि - तो अब क्या करें ।
विश्वजीत - (सभी से कहता है) तुम लोगों के पास घड़ी है न ?
सभी लोग - हां... हां... हम सभी के पास है ।
विश्वजीत - बहुत बढ़िया ... अब सभी घड़ी लोग अपने अपने घड़ी की समय एक साथ मिला लो ?
आशि - ठीक है ... पर इससे होगा क्या ...?
विश्वजीत - देखो आशि ... इससे होना कुछ नहीं है पर ... अगर इसकी जरुरत आ पड़ी तो हमें पहले से तैयार रहना होगा ।
सभी लोग अपनी अपनी घड़ी के समय एक दुसरे से मिला लेते हैं ।

विश्वजीत - (सभी से पुछता है) तुम लोगों में से किसी के पास सिक्का है ?
सभी लोग - नहीं ... ?
विश्वजीत इधर उधर अपनी नज़र घुमा कर देखता है तभी  उसकी नजर आलिया के कानो के बालियों पर पड़ती है जिसका आकार बिल्कुल सिक्के जैसा था ...
विश्वजीत - आलिया तुमने कान में जो कानो की बालियों पहनी हैं वो किस धातु की है ?
आलिया - सोने की ?
विश्वजीत - (मुस्कुराते हुए) बहुत खुबसुरत हैं ... !

आशि -  विश्वजीत तुम्हें इस वक्त मज़ाक सुझ रहा है ...?
विश्वजीत - (बीच मे टोकते हुए) नहीं नहीं ... मैं तो बस ये जानना चाह रहा था कि आलिया को अपनी जान प्यारी है या अपने कानों की बालियां ?
आलिया - (खीज़ कर) विश्वजीत... ? क्या कहना चाहते हो ?

विश्वजीत - तुम मुझे अपनी एक कान की बाली दे दो ... इसके बाद मैं सभी को यहां से सही सलामत बाहर निकालने का रास्ता ढ़ुढ़ुंगा?
आलिया - (अपने एक कान की बाली खोलते हुए) एक कान की क्या दोनो कान की बाली ले लो पर हमें बचा लो ।

आलिया अपनी एक कान की बाली खोल कर विश्वजीत को दे देती है । विश्वजीत बिना देर किये कान की बाली में से सिक्केनुमा पट्टी को अलग करता है और कक्षा के मेज़ पर रखे टेबल लेम्प के बल्ब को निकाल कर होल्डर में उस सोने का सिक्का को डाल कर बल्ब को वापस लगा देता है ।

आलिया - विश्वजीत इससे क्या होगा ... ?
विश्वजीत - इससे यहां की बिजली में शार्ट सर्किट होगा ... और मेन फ्युज़ जल कर डिस्कनेक्ट हो जायेगा और ... ।
आशि -  (बीच मे टोकते हुए) और ... बिजली चली जाएगी ... वाह काफि तेज़ दिमाग है तुम्हारा ... और उन आतंकियों को फ्युज़ जोडना तो आता नहीं होगा क्यों ? (एकाएक गुस्से से) एक दम वाहियात आडिया है ... बिजली दो मिनट में वापस आ जायेगी ... कोई फायदा नहीं होगा इससे ।

विश्वजीत - आशि ... थोडा सब्र करो ... मैं जानता हुं की फ्युज़ को जोडने में ज्यादा से ज्यादा दो मिनट लगेंगें पर जब तक ये सोने का सिक्का यहां लगा है फ्युज़ बार बार जल जायेगा और हमें कोई दुसरी तरकीब सोचने का वक्त मिल जायेगा ।

सभी लोग - आशि... विश्वजीत ठीक कह रहा है ... इससे काम बन सकता है ... ।
आलिया - (आशि के कान फुसफुसा कर) सच में इसका दिमाग तो काफि तेज़ है !

विश्वजीत अपनी टेडी बीयर आशि को देकर कहता है - इसे अपने पास रखना... संभाल कर ... कुछ भी हो इसे खोना मत ।
आशि अपना सिर हिलाकर हां मे जवाब देती है ।

विश्वजीत टेबल लेम्प के प्लग को स्वीचबोर्ड से जोड़ता है और सभी की ओर देख कर कहता है - जैसे ही मैं स्वीच दबाउंगा बिजली चली जायेगी फिर हममें से कोई भी आवाज़ नहीं करेगा ... और हम सभी एक साथ बिना कोई शोर किये तीसरी मंज़िल पर चले जायेंगे ... ठीक है ?

सभी लोग एक साथ धीमी आवाज़ में - हां ... हां बिल्कुल ठीक ।

विश्वजीत स्वीच दबाता है और पुरे कॉलेज़ की बिजली चली जाती है ।

निचली मंज़िल एक आतंकी खिड़की से बाहर झाँक कर देखता है और बाहर लगे बिजली के खँभे को देख कर कहता है - जनाब ! बाहर खम्भे की बत्ती जल रही है यानि बिजली है... सिर्फ इसी इमारत की बिजली गई है ।

पहला आतंकी समझ चुका था यह बिजली का शॉर्ट सर्किट है वह अपने आदमियों से कुछ कहने ही वाला होता है कि उसे अपने बगल में खड़े साथी आतंकी के सिर पर लाल लेज़र की रोशनी दिखाई देती है पर इससे पहले की वह कुछ भी कह पाता, गोली चलने की एक तेज़ आवाज़ आती है और उसके साथी आतंकी  का सिर के चिथड़े उड़ जाते है ।

दुसरी मंज़िल पर भी सभी लोग गोली के धमाके कि आवाज़ सुनते है, तभी आशि कहती है - ये गोलियां कौन चला रहा है ?

इससे पहले की कोई आशि के बात का जवाब देता विश्वजीत फुर्ती से खड़े होकर कहता है - जो भी हो, यही मौका तीसरी मंजिल पर जाने का ... चलो जल्दी करो ।

उधर सारे आतंकियों अफरा तफरी मच जाती है तभी उस अंधेरे और शोर का फायद उठा कर विश्वजीत सभी को तीसरी मंजिल पर ले कर चला जाता है और सभी लाईब्रेरी में छुप जाते हैं ।

पहला आतंकि - (तेज़ आवाज़ में) दो लोग बाह्रर जाने वाले दरवाज़े पर दो बड़ी-बड़ी मेज़ लगाओ ... और उस दरवाज़े पर निशाना साधे रखो ... कोई भी वहां हलचल हो तो गोलियां चला देना । दो लोग इस इमारत की बिजलीघर को ढ़ंढ़ो और मेन फ्युज़ चेक करके ठीक करो।

बाकि सारे आतंकि ठीक वैसा ही करते है जैसे पहले आतंकि ने कहा था और तभी बाहर पुलिस आ जाती है और कॉलेज को चारों तरफ से घेर लेती है ।


कहानी आगे जारी रहेगी...

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