The Boy Friend Part - 16

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 16)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 16)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


पहला आतंकि - (तेज़ आवाज़ में) दो लोग बाह्रर जाने वाले दरवाज़े पर दो बड़ी-बड़ी मेज़ लगाओ ... और उस दरवाज़े पर निशाना साधे रखो ... कोई भी वहां हलचल हो तो गोलियां चला देना । दो लोग इस इमारत की बिजलीघर को ढ़ुंढ़ो और मेन फ्युज़ चेक करके .... ठीक करो ।

बाकि सारे आतंकि ठीक वैसा ही करते है जैसे पहले आतंकी ने कहा था और तभी बाहर पुलिस आ जाती है और कॉलेज को चारों तरफ से घेर लेती है ।

पुलिस अपनी फौज़ के साथ कॉलेज को चारों ओर से घेरे हुए लाउड स्पीकर पर घोषणा करती है - इस कॉलेज़ पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया है, ... सभी बच्चों को छोड़ दो और अपने आप को हमारे हवाले कर दो ।

यह देख कर पहला आतंकी कहता है - (अपने आप से कहते हुए ) लो... ससुराल वाले भी अपनी बेटी की विदाई के लिए आ गये है ।

पुलिस बच्चों के विद्यालय में छुपे छात्रों को बाहर निकाल लेती है  । अब सिर्फ 12 लोग ही आंतकियों के बीच फंसे रहते है ।

उधर दो आतंकी सभी 12 लोगों को ढ़ुंढ़ते हुए तीसरी मंजिल पर लाईब्रेरी तक पहुंच जाते है पर जैसे ही वो लाईब्रेरी के अंदर जाते ही हैं की पीछे से उन दोनो सिर पर बारी-बारी से हमला होता है और वे दोनो वहीं पर ढ़ेर हो जाते है और किसी को कुछ पता नहीं चलता है ।

तीसरी मंजिल पर विश्वजीत को जैसे ही पुलिस की आवाज़ सुनाई देती है ... वो झट से आशि से कहता है ...

आशि तुम अपने पास मोबाईल फोन रखती हो न ?
आशि - हाँ रखती तो हुँ मगर ....
विश्वजीत - मगर क्या ....?
आशि - वो तो नीचे बैग में रखी है ...
विश्वजीत - धत तेरी की ... ।
आशि - क्यों क्या हुआ ?
विश्वजीत - बाहर पुलिस वाले आ गये है... पर वो हमें बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पायेंगें ।
आशि - क्यों ?
विश्वजीत - क्योंकि सिर्फ हम 12 लोगों और उन आतंकियों को पता है कि हम उन आतंकियों कब्ज़े में नहीं है और हम चाह कर भी पुलिस तक यह संदेश नहीं पहुँचा सकते । यह लाईब्रेरी भी इस भवन के ठीक बीचों हैं और इस कक्ष से बाहर निकलने में  भी खतरा है ।

आशि - पर पुलिस हमें बचाने के लिए कुछ क्यों नहीं करेगी  ?
विश्वजीत - क्योंकि आतंकी अब भी पुलिस से वैसे बात करेंगे जैसे कि हम सभी उन आतंकियों कब्जे में हो और वो हमें जब चाहें तब मार सकते है और इस डर से पुलिस अपनी तरफ से हमला करने और कॉलेज़ के अंदर का खतरा नहीं उठाएगी ।

आलिया - अब क्या होगा ?
विश्वजीत - डरने वाली बात नहीं है ... इस वक्त हमारे पास एक सबसे बढ़िया चीज़ है ... जिस पर अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया ।

आशि - वो क्या है ?
विश्वजीत - जरा अपने अपने कपड़ों की ओर देखो ।

सभी लोग अपने कपड़े देखने लगते है पर किसी को कुछ समझ में नहीं आता ।

आलिया - क्या खास बात है हमारे कपड़ों में ?
विश्वजीत - खास बात है आलिया... तुम सभी लड़कियों ने एक जैसी ड्रेस पहनी है और सभी लड़कों ने एक जैसी ड्रेस ।

आलिया - हां हम सभी लड़कियों ने स्वागत नृत्य के लिए एक जैसे कपड़े पहने थे...

एक फौजी - ...और हम लड़कों ने नाटक के लिये ... पर इससे फायदा क्या है ?

विश्वजीत - फायदा है ... मेरे पास एक आडिया है ... यहां से बाहर निकलने का ... इसमें थोड़ा रिस्क है,... पर मुझे पुरा यकिन है कि ये काम करेगा ।

उधर आतंकी कॉलेज़ के बिजली वाले कक्ष को ढ़ुंढ़ लेते है पर जैसे वो फ्युज़ को जोड़ कर बिजली को जोड़ते है, फ्युज़ वास्तव में जल जाती है और ऐसा बार होने लगता है और बिजली नहीं आती है ।

आलिया और आशि एक दुसरे से धीमी आवाज़ में बातें करते है कि - विश्वजीत का आइडिया काम करने लगा है बिजली वाकई में बार बार चली जा रही है ।

बिजली के कक्ष में काम कर रहे आतंकी कई बार प्रयास करते है पर उन्हें सिर्फ नाकामी हाथ लगती है काफि देर होने के बाद थक हार कर वो वापस पहले आतंकी के पास आकर सारी बात बताते हैं ।

इस बात से बौखला कर पहला आतंकी कहता है - यह इन लोगों की कोई चाल है ... ज़रुर कोई गड़बड़ है ... ।
दुसरा आतंकी - जनाब! बाहर पुलिस भी आ चुकी है ... लेकिन हम पर हमला नहीं कर रही है, इसका मतलब है कि यहां की मौजुदा हालात के बारे में उन लोंगों को कुछ नहीं पता है... नहीं तो वो अब तक हम पर हमला कर देते ।

पहला आतंकी - तुम सही कह रहे हो ।
दुसरा आतंकी - मंत्री की बेटी और उन लडकों को ढ़ुंढ़ने से ज्याद बेहतर है पुलिस को गुमराह करना ।
पहला आतंकी - कहने का मतलब क्या है तुम्हारा ?
दुसरा आतंकी - जनाब ! जिस तरह से वो हमें लाउडस्पीकर पर आगाह कर रहें है ... उसी तरह बदलें में हम भी उन्हें इस इमारत से 50 मीटर दुरी बनाए रखने के लिए आगाह कर देते है ।
पहला आतंकी - ऐसा करने से होगा क्या ?
दुसरा आतंकी - वो 12 लोग जो यहां छुपे है उनके पास कोई भी तरकीब नहीं है पुलिस तक अपना पैग़ाम पहुँचाने का ... पर पुलिस इमारत के ज्यादा नज़दीक़ आ गई तो फिर उन्हें यहां के हालात की भनक लग जायेगी और वो हम पर हमला कर देगी ।

पहला आतंकी - ह्म्म्म ... तुम सही कर रहे हो । इन पुलिस वालों को गुमराह करना जुरुरी है ... उसके बाद देखंगे की क्या करना है ।

थोड़ी देर बाद पहला आतंकी भी चिल्ला कर पुलिस वालों को चेतावनी देता है - सभी पुलिस वालों ध्यान से सुनों ... सभी लोग इस कॉलेज़ के बाहरी दिवार से 50 मीटर पीछे चले जाओ और कोई चालाकी करने की कोशिश नहीं करना नहीं तो यहां सभी बंदकों को जान से मार दुंगा ।

सभी पुलिस वाले पीछे हट जाते है ।

पहला आतंकी अपने साथी आंतकियों से कहता है - तुम सभी में से कुछ लोग बाहर जाओ और बाहर से इस इमारत पर नजर रखों ... अगर कोई भी बाहर जाने या अंदर आने की कोशिश करे तो उसे गोली मार देना ।
इधर विश्वजीत अपना प्लान बना लेता और सभी को समझा देता है । प्लान के मुताबिक सभी 12 लोग 6-6 की अलग-अलग टीम बनाते है, एक टीम में आशि, रानी के साथ चार फौजी होते है और दुसरी टीम में विश्वजीत, आलिया, नैना, अन्य दो छात्र और एक फौजी ।

विश्वजीत और आशि को छोड़ कर सभी लोग अपने चेरहे को कपड़े से ढंक लेते है सिर्फ उनकी आँखें ही दिखाई देती हैं ।

विश्वजीत - (सभी लोंगों से पुछते हुए ।) मैंने जो प्लान समझाया है तुम लोग समझ गये हो ना ?
सभी लोग - हाँ हाँ ... हम सभी समझ गये हैं ।

विश्वजीत - हमारा मकसद आशि को यहां से बाहर निकालना है और अगर हम ये करने में कामयाब हो जाते है तो हम सभी बच जायेंगें ... पर सबसे अहम काम ये है कि अब कुछ ही देर में सुबह होने वाली है और हमें यह काम रात के अंधेरे में ही करना होगा क्योंकि सुबह के उजाले में हमारी योजना नाकाम हो जाएगी ।

उधर नीचे पहला आतंकी अपने अन्य साथियों से कहता है - उस छुपे हुए कमांडो ने रात के अंधेरे का अच्छा फायदा उठाया है ... और हमारा बहुत नुकसान किया है... कुछ भी हो हमें अपने मंसुबे में कामयाब होने के लिए सुबह होने का इंतजार करना पड़ेगा तब तक किसी भी तहर इस हालात को अपने काबु से बाहर नहीं होने देना है ।

और बाहर पुलिस वाले भी बेबस नज़र आ रहे थे, पुलिस एक बड़ा अधिकारी अपने साथियों से कहता है  - रात के अंधेरे में हम कोई कदम उठा नहीं सकते है इसलिए हमें सुबह होने का इंतज़ार करना पड़ेगा तब तक उपर वाले से दुआ करो की कॉलेज़ के अंदर सब कुछ ठीक -ठाक हो ।

कहानी आगे जारी रहेगी...

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