The Boy Friend Part - 20

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 20)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 20)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend



आखरी बार जब कॉलेज में आतंकियों का हमला हुआ था तब वहां जो दुसरा कमांडो छुप कर गोलियां चला रहा था वो रंजीत था, याद है जब सुबह होने वाली थी तब सारे आतंकियों को धोखा हुआ था कि हम दुसरे मंजिल पर हैं या तीसरी मंजिल पर । वास्तव हम दोनो नें अपने चेहरे कपड़े से ढँक लिये थे पर हम दोनो के साथ जो दो लोग थे उन के चेहरे एक ही जैसे थे विश्वजीत और रंजीत के, जैसे आज तुम धोखे से रंजीत को विश्वजीत समझ रही थी, उस दिन उनके साथ भी वही धोखा हो रहा था । उस समय भी तुम्हारे साथ रंजीत ही था ।

किस्मत कुछ और ही मंजुर था उस दिन जब मुझे बचाने के लिए विश्वजीत मेरी तरफ आ रहा था तभी एक आतंकी ने उसे धक्का दे दिया और पांचवे मंज़िल से नीचे केम्पस की दिवार पर पीठ के बल जा गिरा और उसके रीढ के हड्डी टुट गयी ।

जब तक मिशन पुरा हुआ और सारे आतंकी मारे गये तब तक विश्वजीत कोमा में जा चुका था, मिशन खत्म होने के बाद आखरी बार तुम जिस शख्स से बात कर रहीं थी वह वास्तव में रंजीत था विश्वजीत नहीं । उस दिन रंजीत ने अपने भाई को लगभग खो दिया था और इस वजह से वो बाहर से तो गुस्से में था पर अंदर से टुट चुका था । उसके पास तुम्हें बताने के लिए कुछ भी नहीं था क्योंकि यह एक सिक्रेट मिशन था, इसलिये वो वहां से चुप-चाप चला गया ।

आर्मी के डॉक्टर्स ने जब विश्वजीत की जांच की तो पाया कि उसकी हालता इतनी नाज़ुक थी, कि उसे कहीं दुर बड़े अस्पताल में ले जाना मुम्किन ही नहीं था, जो सबसे नज़दीक अस्पताल था, वो था यह आशिर्वाद हॉस्पीटल इसीलिए डॉक्टर्स ने उसे इसी अस्पताल में भर्ती करा दिया और मेडिकल के स्पेशल इक्वीपमेंट्स की व्यवस्था कराने के आदेश दे दिये । उन स्पेशल इक्वीपमेंट्स  के आने में काफि देर हो चुकी थी और हफ्ते बीत चुके थे पर विश्वजीत की सांस उन कठिन हालातों में भी चल रहे थे यह देख कर यहाँ के डॉक्टर्स ने दुसरे बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स से विश्वजीत के बारे में बात की । और तो और विश्वजीत की बदनसीबी नें इन हालातों मे भी उसका साथ नहीं छोड़ा । कुछ बड़े-बड़े डॉक्टर्स ने विश्वजीत की जांच की तो पाया की उसक दिमाग पुरी तरह कोमा में पर उसके बावजुद भी वह कुछ लिखने की कोशिश कर रहा है । बड़े डॉक्टर्स ने जांच के डेटा न्युरोमैक्स नाम की एक कंपनी को दी । न्युरोमैक्स सिगांपुर की एक मेडिकल संस्था है जो न्युरोलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट करती है ।

न्युरोमैक्स विश्वजीत को ठीक करने के बजाए एक टेस्ट सब्जेक्ट बना कर अपने रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिये इस्तेमाल करने लगी । उन सभी लोगों का कहना था कि आज़ तक उन्होनें मेडिकल साइंस के इतिहास में ऐसा केस नहीं देखा था । कुछ हफ्ते पहले न्युरोमैक्स ने अपने टेस्ट को खत्म करने के बारे में जानकारी दी और कहा की सारे डेटा एनालाईज़ हो चुके है और उन्हें विश्वजीत की अब कोई ज़रुरत नहीं ।

रंजीत किसी भी तरह अपने भाई को ठीक कराने के लिये सिंगापुर जा कर डॉक्टर्स और साइंटिस्ट्स से मिला, उनसे मिन्नते की पर शायद एक बोल न पाने वाले फौजी के दिल की आवाज उन डॉक्टर्स और साइंटिस्ट्स के कानों तक नहीं पहुंच पाई और जंग के मैदान में दुश्मनों दाँत खट्टे कर देने वाला ये सिपाही जिंदगी की जंग में हार गया ।

न्युरो साइंटिस्टों ने इस घटना के एक साल के भीतर ही विश्वजीत का टेस्ट करके उसके लिये एक बायोमकेनीकल डिवाईस बनाई थी, जो उसके नर्व सिस्टम से जुड़ी हुई थी, उन न्युरो साइंटिस्ट्स का कहना था मानव और मशीन का यह मेल नायाब है । उस मशीन की मदद से विश्वजीत कोमा होने के बावजुद भी अपनी मन की बात कागज़ पर अपने दाहिनें हाथ से लिख सकता था ।

वह उन्नीस साल से हर रोज़ कुछ न कुछ लिखा करता था पर कल तुम्हारे आने के बाद विश्वजीत ने अपने सारी एक्टीवीटी बंद कर दी । इसीलिए हमनें सोचा की अब इस मामले को गुप्त रखने का क्या फायदा आखिरकार आखिरी सांस लेने से पहले इस सिपाही की एक छोटी सी फरियाद तो पुरी होनी ही चाहिये ।

इतनी कहानी बता कर आलिया शांत हो जाती है, आशि विश्वजीत के पास बैठी रोती ही जाती है लेकिन फिर भी वह आलिया से पुछती है - कैसी फरियाद ?
आलिया कहती है - वो बीस सालों से तुम्हारे इंतज़ार में था और शायद कल उसे पता चल चुका था की तुम आ चुकी हो । वह तुमसे कुछ कहना चाहता है आशि ।
आशि आलिया की तरफ देखती है और बेबस होकर पुछती है - क्या ?
आलिया आशि के पास जाती और अपने हाथों का सहारा देकर उसे खड़ा करती है और कहती है 
आलिया - वह एक जांबाज़ फौजी है आशि और उसके के दिल की बात मेरे ज़ुबान की मोहताज़ नहीं ।
इतना कह कर आलिया आशि को पास के एक कमरे के दरवाजें के पास ले कर आती है और फिर आशि से कहती है -
आलिया - वह तुमसे जो कहना चाहता है, उसने तुम्हारे लिये लिख कर छोड़ा है...लो पढ़ लो उसके दिल की बात ...
कह्ते हुए आलिया उस कमरे के दरवाजे को धक्का देकर खोलती है और जो नज़ारा आशि के सामने होता है वह उसके रोम रोम को छु जाता है । उस कमरे की दिवारें फर्श सभी जगह कागज़ बिखरे होते है जिसमें सिर्फ आशि का नाम और उसके साथ बिताए हुये पल के बारे में लिखे होते है, उन कांगज़ों में लिखा होता है विश्वजीत आशि को कितना चाहता है और अपनी सारी जिंदगी आशि के साथ कैसे बिताना चाहता है ।

आशि यह सब देख कर फुट फुट कर रोने लगती और विश्वजीत के पास जाती है और कहती है - 
आशि - विश्वजीत तुमसे मिलने के बाद मैनें  सिर्फ और सिर्फ तुम्हें चाहा है ...(आशि पागलों की तरह कहने लगती है )... विश्वजीत तुम ठीक हो जाओगे फिर हम दोनो सिर्फ हम दोनो कहीं दुरी अपनी एक खुबसुरत दुनिया बसा लेंगें... मैं तुमसे प्यार करती हुं विश्वजीत प्लीज़ प्लीज ... (वह बोल पाने में असमर्थ हो जाती है और जोर जोर से रोने लगती है... कभी वो डॉक्टर्स के पास जाकर पैर पकड कर मिन्नतें करती है तो कभी आलिया के पास जाकर डॉक्टर्स को समझाने के लिये कहती है पर सभी अपना सिर झुका कर खड़े रहते है ।)

आलिया आशि को संभालती है और उससे कहती है -
आलिया - इस कमरे के दहलीज़ पर मौत फरिश्ते खड़े है आशि, जिसे हर रोज़ विश्वजीत यह कह कर टाल देता है कि तुम उससे मिलने एक दिन जरुर आओगी और पढोगी उसके होठों का एक-एक लफ्ज़ जिसे बोल नहीं सकता... जो उसने लिखा था उन्नीस साल से हर रोज़ सिर्फ तुम्हें याद करके ।
आशि आलिया से रोते-बिलखते हुए पुछती है - 
आशि - आलिया तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया आलिया...
आलिया (आशि को सांत्वना देते हुए) - ये वादा था आशि एक फौज़ी का एक फौज़ी से ।
आशि - कैसा वादा ?
आलिया - आशि... एक तरफ वो तुम्हारा इंतजार तो कर रहा था पर दुसरी तरफ वह तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता था और चाह्ता था कि तुम उसे भुल जाओ और अपनी नई ज़िंदगी शुरु कर लो, इसीलिये उसने मेरे लिये भी एक संदेश लिखा था ।

आलिया अपने जेब से एक कागज़ का टुकड़ा निकाल कर आशि को दिखाती है, जिसमें आशि को उसके हालत के बारे में न बताने के बारे कसम दी हुई होती है ।
आलिया - मैनें सोचा जब कसम देने वाला ही नहीं रहेगा तो इस कसम का क्या मोल ?

आलिया की बात सुन कर आशि का दिल बैठा जाता है और वो बेबस होकर विश्वजीत के पास जाकर बैठ जाती है, तभी विश्वजीत से जुड़े लाईफ सपोर्ट सिस्टम से बीप की तेज़ आवाज़ें आने लगती है, आशि यह देख घबरा जाती है और वहां मौजुद सभी डॉक्टर्स विश्वजीत की जाँच करने लगते है । विश्वजीत के चेहरे पर लगे वेंटीलेटर मास्क के पीछे से आँसुओं की धारा बहने लगती है और उससे जुड़े बायोमकेनीकल डिवाईस से एक कागज़ आशि के पैरों के पास आकर गिरता है । आशि उस कागज़ को उठने के झुकती है और जब तक वापस उठती है तब तक लाईफ सपोर्ट सिस्टम के मॉनिटर पर लाईफ लाईन सामानांतर हो जाते हैं क्योंकि विश्वजीत इस दुनिया को छोड़ कर जा चुका होता है । आशि के लिये मानो वक्त थम सा जाता है और कुछ पलों के बाद वह जोर से विश्वजीत को पुकारती है और फुट फुट कर रोने लगती है ।

आलिया आशि को सहारा और सांत्वना देती है ।

अगली सुबह :
आशि विश्वजीत की चिता को दुर से जलते हुए देखती है, उसके हाथों में वहीं कागज़ का टुकड़ा होता है जो बायोमकेनीकल डिवाईस से निकल कर आशि के पैरों के पास आकर गिरा था । अभीषेक आशि के पास जाता है और आशि को सांत्वना देते हुए कहता है -

अभीषेक - आशि यह समय कठिन है पर तुम्हे अपने आप को संभलना होगा और अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा ।

आशि - जानते हो अभीषेक ... मैं हमेशा सोचती थी कि मेरा बॉयफ्रेंड एक फौजी होगा...आर्मी का एक जांबज और बहादुर सोल्ज़र । लेकिन विश्वजीत को जानने से पहले मुझे यह पता नहीं था कि सोल्ज़र इतने बहादुर होते हैं । मैं निराश नहीं हुँ क्योंकि उसने मुझे अपनी जिंदगी पर नाज़ करने मौका दिया ... गर्व है मुझे कि मेरा बॉयफ्रेंड विश्वजीत जैसा इंडियन आर्मी का एक जांबज और बहादुर सोल्ज़र है... या फिर उससे भी ज्यादा जिसको बयां करने के लिये मेरे पास अल्फाज़ नहीं हैं । बस  एक सवाल है मेरे मन में ...जिसका मुझे अफ़सोस रहेगा ... जिन्दगी भर...

 अभीषेक - कैसा सवाल ?

आशि - यही कि एक फैजी को अपने देश के सेवा करने के लिये कितनी बार मरना होगा ? क्या उसे मरने का भी हक नहीं था ? वो हमारे देश का फौजी था उसकी शहादत शानदार होनी चाहिये थी, पर उन लोगों ने उसे महज़ टेस्ट सबजेक्ट बना कर रख दिया और उसकी ज़िन्दगी को मौत की दहलीज़ पर ले ज़ाकर शर्मिन्दा करते रहे हर रोज़ ...बीस ... बीस सालों तक  । क्या यही इंसानियत है ?.. क्या ये सही है ?

अभीषेक - याद है आशि उस डॉक्टर ने कहा था कि कुछ बातें सही और गलत से परे होंती है ... और विश्वजीत खुद भी तो  हमेशा कहता था "जिंदगी में सफलता का असली मतलब दुसरों के काम आना होता है ।" उसने अपना फर्ज़ निभाया है जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी । आशि इस समय तो कहना सही नहीं है ... फिर भी अब आगे क्या करना है तुम्हें इसके बारे में सोच समझ कर फैसला लेना होगा ।

आशि - अभीषेक हर वो इंसान जो इंसानियत के खातिर अपने कर्म और फर्ज़ के रास्ते पर चलता है चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हो, वो एक सोल्ज़र है ।  विश्वजीत जाते जाते मुझे जीने की एक नई वजह दे गया है ...
अभीषेक - क्या मैं वो वजह जान सकता हुँ ?

आशि - बिल्कुल (आशि अपने हाथ में लिए कागज़ के टुकड़े को अभीषेक को देती है ... उस कागज़ में लिखा होता है मुव ऑन ) ।

अभीषेक - मुव ऑन ... याद है मुझे... कपिल मिश्रा की क्लास में हमने एक काहानी सुनी थी... कर्म नाम की ।
आशि (एक गहरी सांस लेते हुए और अपने आँखों में गर्व भरते हुए ) - जाते जाते वो मुझे भी सोल्ज़र बना गया... (विश्वजीत की चिता को ओर देखते हुए) अब मैं जानती हुँ मुझे क्या करना है... ये वादा रहा एक सोल्ज़र का एक सोल्ज़र से ...अपने कर्म के रास्ते पर जरुरी चलुंगी । इस कॉलेज़ की इमारत मेरे पिता की आखरी निशानी है जिसमें विश्वजीत की आत्मा है और अब मैं इस कॉलेज़ को बंद नहीं होने दुंगी किसी भी किमत पर ।
अभीषेक - ये हुई न बात ... भगवान भी तुम्हारे साथ हैं ... आज सुबह ही हरेराम सिंह जी के बेटे का कॉल आया था वो ज़मीन की लीज़ आगे बढ़ाने को राजी हो गये है ।

आशि अपना सिर उठा कर असमान की तरफ देखती है और कहती है - विश्वजीत ... बस तुम हमेशा मेरी ताकत बन कर मेरे साथ रहना । तुमने मुझे जो चाहत दी है उसके बदले में तुम्हें देने के लिए मेरे पास इस जिंदगी के सिवाय और कुछ भी नहीं और अब जितनी भी  जिंदगी बची है वो भी तुम्हारे नाम ।

कुछ घंटों में विश्वजीत चिता भले ही ठंड़ी पड़ जाती है पर उसकी चिता आशि के अंदर फर्ज़ की एक लौ जला देती है आशि उसी लौ की तपिश के साथ अपने कर्म के रास्ते पर निकल पड़ती है ।

समाप्त ।

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1 comment:

  1. यह इस कहानी का अंतिम भाग है, यदि आप थ्रिलर लव-स्टोरी पढ़ने के शौकिन है तो कृपया शुरु से अंत तक पढ़ें मुझे यकिन है आपको यह काहनी जरुर पसंद आयेगी । और हां अपने विचार कमेंट में लिखना न भुलियेगा । आपका अपना C.N. Ajax

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