The Boy Friend Part - 7

Share:

द बॉयफ्रेंड (भाग – 7)


Follow my blog with Bloglovin

शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 7)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


विश्वजीत - मैं तो देख रहा था कि तुझे ये नशा छोडनी है या हमारी दोस्ती।
बहादुर - नहीं यार... कभी नहीं... बस मुझे तेरी दोस्ती चाहिए और इस नशे से आजादी।
विश्वजीत - तु टेंशन न ले, अब तेरा दुश्मन मेरा भी दुश्मन, तो चल, साथ मिल कर हराते है साले को।

दोनो वहां से बातें करते हुए जाने लगते है - बहादुर - अच्छा भाई...(विश्वजीत के हाथ में टेडी बीयर की ओर इशारा करते हुए)...तु इस भालु से बातें कर रहा था ? मुझे एक पल के लिए लगा की तु मेंटल हो गया है।

विश्वजीत - य...य...ये भालु नहीं, टेडी बीयर है, मेरे भाई ने मुझे दिया है, जब भी मैं खुद को अकेला महसुस करता हुँ तो इसी से बात करता हुँ ।
बहादुर - क्या है तुम्हारे भाई का नाम ? और कहां है वो ?
विश्वजीत - उ..उउ...उसका नाम रंजीत है इसी गांव में है वो भी ?

दोनो बातें करते हुए चलते चलते बहादुर के घर पर आ जाते है, दोनो घर के अंदर जाते है, विश्वजीत घर का दरवाजा बंद करता है और बहादुर से कहता है -

विश्वजीत - ब...ब...बहादुर तु नशा छोडना चाहता है न ।
बहादुर - हाँ भाई...।
विश्वजीत - इ...इ... इसकी शुरुआत हमें यहीं से करनी होगी...तुने घर में जहां-जहां भी इस जहर को छुपा कर रखा है,... उसे निकाल और यहीं जला दे।

बहादुर हर एक कोने से हेरोइन की पुडिया निकाल कर एक जगह जमा करता है । जैसे ही बहादुर उसे जलाने के लिए माचिस की तीली जलाता है उसी समय विश्वजीत बहादुर का हाथ पकडता है और बहादुर को आगाह करते हुए एक चेतावनी देता है।


विश्वजीत - (बहादुर की आँखों में देखकर) ब...ब...बहादुर एक बात जान ले, यह जलती हुई माचिस की तीली इस जहर को जला देगी और जो चिंगारी यहां फैलेगी वही तेरी जींदगी में एक नया सवेरा लेकर आयेगा, पर एक बात याद रखना असली लडाई इस जहर के जलने बाद शुरु होगी जो तेरे अंदर के दुश्मन से होगी हमें उसे ही हराना है और अगर उसे हराना है तो अपने आत्मविश्वास की चिंगारी को कभी बुझने नहीं देना।

बहादुर - भाई तु साथ है न ... तो अब आर या तो पार ...।

इतना कहते हुए बहादुर हेरोइन की पुडिया पर जलती हुई माचिस की तीली फैंक देता और पुरी हेरोइन देखते ही देखते जल जाती है। अगले दिन विश्वजीत और बहादुर अपनी कक्षा में आते है, उन दोनो की सिट पर कोई और बैठा रहता है।

विश्वजीत बहादुर को आगे वाली सिट पर बैठा देता है तो बहादुर पुछता है -

बहादुर - ए भाए, मुझे सबसे आगे वाली सिट पर क्यों बैठा रहे हो ?...डर लगता है।
विश्वजीत - त..त..तुझे आगे वाली सिट पर बैठाया है ताकि तुझे सिर्फ पढ़ाई का ध्यान रहे, किसी और चीज़ का नहीं।
अपने डर पर काबु करना सिख ... ठीक है ? बहादुर - हाँ...हाँ...हाँ ठीक है।

जैसे ही विश्वजीत पीछे वाली सिट पर बैठने के लिए बढ़ता है तो आशि विश्वजीत को आवाज़ देती है -

आशि - विश्वजीत...तुम यहां बैठ सकते हो।

विश्वजीत मुड़कर देखता है...आशि फिर कहती है -
आशि - यहां एक जगह खाली है यहां तुम बैठ सकते हो । पर विश्वजीत को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था वो बस आशि को देखता ही जा रहा था।

अचानक बहादुर आगे से आवाज़ देता है - बहादुर - ए भाए...देखने के लिए नहीं, बैठने ले लिए कहा है...।

सभी लोग हंसने लगते है... पर आशि बिना किसी की परवाह किए उसे फिर से अपनी बगल के सीट पर बैठने के लिए कहती है...और विश्वजीत आशि के बगल में बैठ जाता है।

बहादुर अपने बगल में बैठे हुए विद्यार्थी से कहता है -

बहादुर - वो विश्वजीत है... अपना भाई...मस्त है...पर साला जितनी देर कुछ बोलने लगाता है उतनी ही देर समझने भी लगाता है।

फिर बहादुर एकाएक खड़े होकर विश्वजीत की ओर देखता है और जोर से कहता है -

बहादुर - ए भाए ... तु डरना मत... मैं भी तेरे साथ हुँ।

आशि (विश्वजीत से) - तुम्हारा दोस्त बहादुर... क्या कह रहा है ?
विश्वजीत - क..क्क..कुछ नहीं ... पता नहीं... क्या पता क्या बोल रहा है ?
आशि - तुम डर क्यों रहे हो।

तभी अंग्रेजी के शिक्षक अंदर आते है उनका नाम है कपिल मिश्रा।

विश्वजीत - न...न्ह..नहीं डर कहां...हाँ... हाँ मुझे डर लग रहा है...व..व.. वो टिचर से डर लग रहा है।
आशि - अरे डरो मत...मैं भी तुम्हारे साथ हुँ।
विश्वजीत (बड़ी ही कोमलता से) - सच !

आशि विश्वजीत की ओर देखती है तो विश्वजी त मुस्कुराते हुए अपना सिर नीचे कर लेता है।

कपिल मिश्रा - कैसे हो बच्चों ?

सभी विद्यार्थी एक साथ खड़े होकर - गुड मॉर्निंग सर... हम सब ठीक है ।
कपिल मिश्रा - बैठ जाओ... आज हम एक ऐसी कहानी पढ़ेंगे जो हमें एक नेक और कर्मठ इंसान बनने की प्रेरणा देता है । इस कहानी का नाम है 'कर्म'।

क्या तुम लोगों में से बता सकता है कि कर्म क्या है ?
सभी विद्यार्थी कर्म की अलग अलग परिभाषा देते है।
कपिल मिश्रा - बहुत अच्छे । अब आप सभी अपनी अपनी पुस्तकें खोल लें।

सारे विद्यार्थी अपनी अपनी पुस्तकें खोल लेते है और कपिल मिश्रा कहानी की शुरुआत करते है।


कपिल मिश्रा - बहुत पुरानी बात है एक बार एक सिपाही था वह अपने देश की सुरक्षा के लिए सरहद पर तैनात था, वह विवाहित था उसकी एक खुबसुरत पत्नि थी । सरहद के हालात अक्सर बिगड़ जाया करते थे । अक्सर युद्धविराम का उलंघन हो जाया करता था और दुश्मन सिपाही अक्सर सीमा पार करके उसके देश में घुस आते और हमला कर देते।

सिपाही बहुत वीर और साहसी था, वह अपने साथी सैनिकों के साथ अपने दुश्मनों को मार गिराता और अपनी देश की सुरक्षा करता । जब युद्ध खत्म हो जाता और युद्धविराम की घोषणा हो जाता तो उसकी पत्नि सरहद पर जाकर सभी थके, प्यासे और घायल सैनिकों को पानी पिलाती, पर वह केवले अपने देश के ही नहीं, बल्कि अपने दुश्मन देश के सैनिकों को भी पानी पिलाती।

यह देख कर उस सिपाही को अच्छा नहीं लगता, फिर भी वो अपनी खुबसुरत पत्नि से कुछ न कहता। उसके साथी सिपाही इस बात से कभी कभी नराज़ भी हो जाते । उसके साथी सिपाही हमेशा उसे उसकी पत्नि के खिलाफ उक्साते और दुश्मनों को पानी पिलाने से मना करने के लिए कहते । पर सिपाही अपनी पत्नि को दुखी नहीं करना चाहता था इसलिए वो कभी कुछ भी नहीं कहता। सिपाही निडर और साहसी तो था पर उसके साथी सिपाही उसे जोरु का गुलाम कह कर उसका मजाक उड़ाते।

एक बार फिर जंग छिड़ गयी और फिर उसकी पत्नि युद्धविराम के बाद सभी सैनिकों को पानी पिलाने चली गयी। जब उसने अपनी पत्नि को दुश्मन देश के सैनिकों को पानी पिलाते देखा तो इस बार उससे रहा न गया और वह अपनी पत्नि के पास गया और गुस्से में बोला - ये तुम क्या कर रही हो ? हमारे दुश्मन को पानी क्यों पीला रही हो ? ये सरहद पार करके हम हमला कर देते है, हमारे साथियों को जान से मार देते हैं फिर भी तुम इन्हें पानी पिलाती हो किसलिए ?

उसकी पत्नि उत्तर देती है - अगर दुश्मन के घायल सैनिकों को आप जान से मार दोगे तो मैं उन्हें पानी नहीं पिला पाउंगी।

इस पर सिपाही कहता है - यह युद्ध के नियम के खिलाफ है।
तो पत्नि पुछती है - तो क्या दुश्मन के घायल सैनिकों को पानी पिलाना भी नियम के खिलाफ है ?
अपनी पत्नि के बात सुनकर सिपाही शांत हो जाता है और पास खड़े सारे सैनिक अपना सिर झुका लेते है।


कहानी आगे जारी रहेगी...
Follow my blog with Bloglovin

No comments

Thanks for Your Comments.