द बॉयफ्रेंड (भाग – 8)
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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 8)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)
अपनी पत्नि के बात सुनकर सिपाही शांत हो जाता है और पास खड़े सारे सैनिक अपना सिर झुका लेते है।
सिपाही की पत्नि सिपाही से पुछती है - आप जब युद्ध के मैदान में लड़ते है और यदि उस समय आपके साथी सिपाही को गोली लगा जाती है और वो वीरगति को प्राप्त होजाता है, तो आप अपने बचे हुए साथी सिपाहियों से क्या कहते है ?
सिपाही - मुव ऑन...।
सिपाही की पत्नि - बिल्कुल सही ...मुव ऑन ...इसका मतलब क्या है ?
सिपाही - इसका मतलब होता है कि आगे बढ़ो।
सिपाही की पत्नि - क्यों आप आपने साथी सिपाही पास क्यों नहीं रुकते,... उसके पास रुक कर उसके जाने का शोक क्यों नहीं मनाते?
सिपाही - जो जंग के मैदान में वीरगति को प्राप्त कर हमें छोड़ कर चले जाते हैं, वो कभी वापस नहीं आयेंगे, चाहे हम कितने भी शोक मना लें। पर उनकी शौर्य की खातिर हमें आगे बढ़ते ही रहना होता है और जाने वाले की परवाह न करके उस संघर्ष को जारी रखना होता है जिसके लिए वो अपनी जान कुर्बान कर देते हैं।
सिपाही की पत्नि - क्यों?
सिपाही - क्योंकि यही हमारा कर्म है।
सिपाही की पत्नि - बिल्कुल सही कहा आपने... यही आपका कर्म है। ...पर यही आपका कर्म है यह तय कौन करता है कभी ये सोचा आपने ?
सिपाही - नहीं ।
सिपाही की पत्नि - आपका कर्म,... यह प्रकृति तय करती है, इसी प्रकृति ने हम सभी को अपने अपने कर्मों से बांध रखा है । इस कर्म के बिना हमारे जीवन में कोई मकसद नहीं रहता, आपको प्रकृति ने वीर, बहादुर और साहसी बनाया है,... इसीलिए अपने देश की रक्षा के लिए अपनी प्राणों तक की चिंता नहीं करते है, ... दुश्मन की गोलियों का भय आपके साहस के आगे घुटने टेक देता है,... और यही वजह है की आप एक वीर सैनिक हैं और आपको अपने देश के दुश्मन में अपना दुश्मन दिखाई देता है, आपको अपने देश की रक्षा करके संतोष मिलता है । ठीक उसी तरह मैं जो कार्य करती हुँ, प्रकृति ने मुझे इसी कार्य के लिए चुना है । तभी तो मुझे यह कार्य कर के संतोष मिलता है,...जब मैं सैनिकों को पानी पिलाती हुँ तब मुझे उनमें एक सैनिक नहीं, एक इंसान दिखाई देता है जिसे पानी की जरुरत होती है ।
सभी सैनिक सिपाही की पत्नि के उत्तर से संतुष्ट हो जाते है । उनका गुस्सा भी शांत हो जाता है । इसी तरह काफि दिन बीत जाते है और फिर से एक बार सरह्द पर जंग छीड़ जाती है ।
जब संघर्ष समाप्त होता है तो सिपाही की पत्नि प्यासे सैनिकों को पानी पिलाने जाती है। जब वो रणभुमि में सरहद के पास जीवित सैनिकों की मदद कर रही होती है तभी मृत सैनिकों के झुंड पास अपने पति को शव को देखती है । यह देख कर उसे बहुत ही दुख होता है... वह अपने मृत पति के सिर को अपने गोद में रख कर काफि देर तक रोती है, समय उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ।
तभी मृत सैनिकों के झुंड में से एक घायल सैनिक के कहराने की आवाज़ आती है । वह बार बार पानी माँग रहा था । सिपाही की पत्नि उस घायल सैनिक के पास जाती है तो वह देखती है दुश्मन देश का एक सैनिक बहुत ही घायल है और उसे प्यास लगी है ।
वह घायल सैनिक को पानी पिलाती है । थोड़ी देर बाद जब घायल सैनिक फिर से खड़ा होता है तो सिपाही के पत्नि से पुछता है -
घायल सैनिक - पानी पिलाने के लिए शुक्रिया... पर आप कौन हैं ?
सिपाही की पत्नि - मैं इस देश के बहादुर सिपाही की पत्नि हुँ ।
घायल सैनिक - कहाँ है आपके पति ?
सिपाही की पत्नि (अपने मृत पति कि ओर इशारा करते हुए ।) - वो रहे ।
यह देख कर घायल सैनिक आश्चर्यचकित हो जाता है और सिपाही के पत्नि से पुछता है -
घायल सैनिक - नि:संदेह आपके पति, हमारी सेना के हाथों ही वीरगति को प्राप्त हुए होंगे, यह जानने के बावजुद आपने मुझे पानी पिला कर मेरी जान बचाई क्यों ?
सिपाही के पत्नि (घायल सैनिक के आंखों में देखकर) - क्योंकि आप अपना कर्म कर रहें है और मैं अपना ।
यह जवाब सुन कर घायल सैनिक अपनी नज़रे झुका लेता है और बिना कुछ कहे मृत सिपाही के शव को उसके घर तक पहुँचाने में मदद करने लगता है । जैसे ही घायल सैनिक सिपाही के शव को अपने कंधे पर उठाता है तो उसके मृत सिपाही के हाथ से एक कागज़ का टुकडा गिरता है उस पर लिखा एक संदेश लिखा होता है जो सिपाही ने अपने पत्नि के छोड़ा था ।
उस कागज़ पर लिखा होता है - 'मुव ऑन' । जिसका अर्थ था अपना कर्म करते रहना रुकना नहीं ।
घायल सैनिक अपने सेना का सेनापति रहता है, वह जब अपने वतन पहुंचता है तो अपने देश की सरकार को अपनी कहानी सुनाता है और उनसे दोनो देशों की के बीच की युद्ध को हमेशा के लिए खत्म करनें की गुजारिश करता है ।
सेनापति की कहानी सुनकर वो हमेशा के लिए युद्ध को समाप्त करने के लिए राज़ी हो जाते है ।
कपिल मिश्रा - बच्चों यह कहानी यहीं समाप्त होती है । कोई बता सकता है कि इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
विश्वजीत (खड़े होकर) - ज...ज...जी सर, मैं बता सकता हुँ ।
कपिल मिश्रा - हाँ बताओ विश्वजीत ।
विश्वजीत - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि परिस्थितियां कैसी भी हों हमें अपना कर्म करते रहना चाहिए । हमें जिस कर्म के लिए प्रकृति नें चुना है यदि हम उस कर्म को निरंतर करते रहेंगें तो नि:संदेह अच्छे परिणाम मिलेंगें ।
कपिल मिश्रा - हम्म्म...बहुत अच्छे विश्वजीत । उम्मीद है कि बाकि सारे बच्चे भी इस कहानी का अर्थ समझ गये होंगे ।
शाम होती है विद्यालय से छुट्टी होती है सभी लोग साथ साथ अपनी अपनी कक्षा से निकल रहे होटल है । केम्पस के बाहर निकलते ही बहादुर अचानक बेहोश होकर गिर पड़ा ।
विश्वजीत - ए...ए...ब...बहादुर क्या हुआ ? यार... कोई थोडा पानी लाओ । (अपने अन्य साथियों से कहते हुए ।)
उसके साथी पानी लाते है और बहादुर के चेहरे पर पानी के छींटे मारते है, थोडी देर में बहादुर को होश आ जाता है और वो विश्वजीत से कहता है -
बहादुर - भाए मुझे ... कमज़ोरी महसुस हो रही है ।
विश्वजीत बहादुर को उठा कर घर लाता है और उसे आराम करने को कह कर जाने लगता है पर जाने से पहले वो बहादुर के घर की पुरी तलाशी लेता है कि कहीं उसने फिर से घर में हेरोईन छुपा कर तो नहीं रखा है । उसे कहीं कुछ नहीं मिलता है इस बात विश्वजीत समझ जाता है कि बहादुर नें हेरोईन लेना छोड़ दिया है और बहादुर का बेहोश होना उसका पहला असर था ।
उधर आशि इस बात से अंजान जब अपने घर पहुंचती है तो उसे घर के बाह्रर थोडी दुर एक आदमी दिखाई देता है, आशि को लगता है कि वह आदमी विश्वजीत है जो शायद उसका पीछा कर रहा हो । वह आवाज लगाती है -
आशि - विश्वजीत क्या ये तुम हो ?
उधर से कोई जवाब नहीं आता है, आशि फिर आवाज लगाती है तो घर के अंदर से एक महिला बाह्रर आती है जो आशि की देखभाल करती है, उसका नाम शोभा है -
शोभा - आशि बिटिया आप किसे आवाज़ लगा रहीं है ?
आशि - देखों न ताई वहां रास्ते पर कोई है,... लगता है वो विश्वजीत है, मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ता है । उसे आवाज...(इतना कहते ही वो फिर उस आदमी की तरफ देखती है तो वहां कोई नहीं रहता है आशि फिर कहती है ।) अरे कहां गया अभी तो था...वहाँ ।
शोभा - आशि बिटिया वहाँ तो कोई नहीं है ... खैर छोड़ो ... अब अंदर चलो ... आपके पिता जी का फोन आया था वो आपके मोबाईल पर फोन कर रहे थे पर लग नहीं रहा था ।
आशि - हाँ वो मेरे मोबाईल की बैटरी डाउन हो गयी थी ... वैसे क्या कह रहे थे पापा ?
शोभा - बस आपके बारे मे पुछ रहे थे और कहा है कि जैसे आप घर आए तो उन्हें एक बार फोन कर लें ।
आशि जानकि नाथ माथुर को फोन लगाती है और काफि देर तक बात करती है ....
अगली सुबह ।
विश्वजीत, बहादुर, आशि और अन्य सभी लोग कॉलेज आते है, आशि सबसे पहले विश्वजीत से मिलने जाती है और विश्वजीत से पुछती है -
आशि - कल कॉलेज के बाद तुम कहाँ गये थे ?
विश्वजीत के जवाब देने से पहले बहादुर बोलने की कोशिश करता है -
बहादुर - ये तो मुझे घर पर छोड़ने....(आशि बहादुर को बीच में टोकते हुए चुप करा देती है और गुस्से में कहती है -)
आशि - (गुस्से में ) मैंने तुमसे नहीं पुछा है ... समझे ।
विश्वजीत - व...व...वो म ...म्म...मैं ही त...त...तुम्हारे घर के बाहर खड़ा था ।
आशि - मैंने तुम्हें अपनी बगल की सीट पर जगह दी थी, अपने जिंदगी में नहीं ... अपनी हद में रहना ।
बहादुर मन में सोचता है - अरे... भाभी तो भड़क गई ।
विश्वजीत - (आशि के बात का जवाब देते हुए) ... अ...अ..ओ0 के0...द...द...दुबारा ऐसा नहीं होगा ।
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